शहर में साधु समाज के पोस्टर हटाने को लेकर साधुओं में पनपा रोष।
मीटिंग में षडदर्शन साधु समाज संगठन को विस्तार देने पर भी चर्चा।
इधर केडीबी ने साधा कई साधुओं से संपर्क:संत सम्मेलन को अब न्यौता।
महोत्सव व संत सम्मेलन को लेकर स्थानीय संतों के पास अब तक नहीं पहुंचा न्यौता, तो साधु समाज रुष्ट।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र :- गीता जयंती बेशक अब इंटरनेशनल गीता महोत्सव बन चुकी है । लेकिन महोत्सव में विभिन्न साधू संतों और अखाड़ों व धार्मिक संस्थाओं की शुरु से भागीदारी रही है । लेकिन गीता जयंती महोत्सव में स्थानीय संतों की अनदेखी भी हो रही है । सरकार ने 12 दिसंबर को भव्य संत सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी की है । इसमें बाहर से तो साधू संतों के पहुंचने के दावे हो रहे हैं । उन्हें बकायदा काफी पहले से निमंत्रण भी भेजे गए । लेकिन अधिकांश स्थानीय संतों से कोई संपर्क नहीं किया गया । हालांकि केडीबी का तर्क है कि सभी प्रमुख संतों से संपर्क कर उन्हें बुलाया जा रहा है । उधर संत सम्मेलन में न्यौता ना देने व गीता महोत्सव में संतों की कथित अनदेखी को लेकर संत रुष्ट भी हैं । रविवार को प्रमुख संतों की मीटिंग बुलाकर निंदा प्रस्ताव भी संतों ने पारित किया । उधर खबर छपने के बाद केडीबी व प्रशासन भी हरकत में आया । कई संतों से अधिकारियों ने टेलीफोन पर भी संपर्क साधा और उन्हें संत सम्मेलन का न्यौता दिया ।

श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन में हुई मीटिंग।
गीता महोत्सव व संत सम्मेलन में अनदेखी व संगठन पर चर्चा करने के लिए षडदर्शन साधूसमाज व भारत साधू समाज के बैनर तले संतों की मीटिंग हुई । इसमें भारत साधू समाज के अध्यक्ष महंत बंसीपुरी, षडदर्शन साधू समाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज, श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के महंत महेशमुनि, कैथल से महाचीव महंत ईशरदास, संगठन सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक,महंत वासुदेवानंद गिरि, महंत अरविंद दास सचिव, महंत कृष्णा पुरी, महंत बलवान दास, महंत गणेश दास, महंत अवध दास, श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा से महंत गुरुभगत सिंह, कैथल फरल से महंत सुनीलदास,साध्वी स्नेह दास, महंत अमर दास, जींद से संतोखदास, पिहोवा से दीपक दास ,महंत लालगिरी , स्थानेश्वर महादेव मंदिर से प्रबंधक रोशनपुरी, देवमुनी महाराज कैथल, बलवानदास कैथल, देवीशरण दास, गणेशदास, मंगलमुनी, नाभकमल से विशालदासमणि आदि शामिल हुए ।

अनदेखी पर जताई निंदा।
मीटिंग में गीता महोत्सव में संतों , खासकर स्थानीय संतों की अनदेखी को लेकर चर्चा हुई । भारत साधुसमाज के प्रदेशाध्यक्ष महंत बंसीपुरी जी महाराज ने कहा कि गीता जयंती से कुरुक्षेत्र ही नहीं, दूर दराज के साधू संत भी जुडे़ रहे हैं । गीता जयंती के नाम पर अब एक तरह से मौजमस्ती का मेला हो रहा है । प्रमुख धार्मिक संस्थाओं और संतों को भी महोत्सव से जोड़ा जाना चाहिए । संतों का आदर सत्कार व उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए। रोशनपुरी ने कहा कि गीता महोत्सव में संत सम्मेलन में भी संतों के साथ भेदभाव हो रहा है । कई स्थानीय संतों को तो निमंत्रण तक नहीं दिया गया । कहा कि पिछले कुछ वर्षों से संतों को महोत्सव में आमंत्रित तो किया जाता रहा, लेकिन मंच पर उनको पूरा सम्मान नहीं मिला । इससे साधू संतों की भावना आहत होती है । कहा कि बिना साधू समाज के गीता जयंती जैसा आयोजन करना सही नहीं है ।

पोस्टर हटाने पर निंदा
संतों ने गीता महोत्सव में अनदेखी को लेकर निंदा प्रस्ताव पास किया । साथ ही साधू समाज व भारत साधू समाज के संयुक्त रुप से लगे पोस्टर हटाने पर रोष जताया । महंत बंसीपुरी जी महाराज ने कहा कि बेशक प्रशासन व केडीबी की तरफ से अनदेखी होती है । लेकिन साधू समाज ने इसे लेकर कभी सार्वजनिक तौर पर रोष नहीं जताया । बावजूद इसके इस बार भी साधू समाज व षडदर्शन साधू समाज ने संयुक्त रुप से शहर भर में पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए पोस्टर लगाए थे । इनमें मुख्य पिपली से थर्डगेट तक सड़क पर लगे पोस्टर हटा दिए । ये पोस्टर किसने और क्यों हटाए । इस तरह पोस्टर हटाना गलत है ।

संगठन विस्तार पर चर्चा
मीटिंग में जहां अनदेखी निंदा प्रस्ताव पास किया। वहीं भारत साधू समाज व षडदर्शन साधू समाज के संगठन को और अधिक विस्तार देने को लेकर चर्चा हुई । निर्णय लिया कि पहले पूरे प्रदेश में संगठन को और अधिक विस्तार दिया जाए । साधू समाज से संबंधित मुद्दों को उठाया जाएगा ।

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