सकारात्मक सोच और सात्विक कार्य ही जीवन को तनावमुक्त रखते है जो मोक्ष के द्वार तक पहुंचने में सहायक है : विद्यागिरि

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

नई दिल्ली :- संत महामंडल की अध्यक्षा महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज ने आज सत्संग में श्रद्धालुओ को बताया की दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना, प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना इस सबको सकारात्मक दृस्टिकोण कहा जाता है। जीवन का ऐसा कोई बड़े से बड़ा दुःख नहीं जिससे सुख की परछाईयों को ना देखा जा सके। जिन्दगी की ऐसी कोई बाधा नहीं जिससे कुछ प्रेरणा ना ली जा सके।

रास्ते में पड़े हुए पत्थर को आप मार्ग की बाधा भी मान सकते हैं और चाहें तो उस पत्थर को सीढ़ी बनाकर ऊपर भी चढ़ सकते है। विद्यागिरि जी ने बताया की जीवन का आनन्द वही लोग उठा पाते हैं जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।

इस दुनिया में ज्यादा लोग इसलिए दुखी नहीं कि उन्हें किसी चीज की कमीं है अपितु इसलिए दुखी हैं कि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है। सकारात्मक सोचो, सकारात्मक देखो। इससे आपको अभाव में भी जीने का आनन्द आ जाएगा।

महामंडलेश्वर विद्यागिरि जी ने बताया की मनुष्य की सोच सकारात्मक और सात्विक कार्य ही इंसान को तनावमुक्त करते है जो मोक्ष के द्वार तक पहुंचने में सहायक होते है। उन्होंने बताया की मनुष्यायोनी अनमोल है जो दोबारा मिलना दुर्लभ है इसका सदुपयोग करने में ही हम सबका कल्याण है।

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