साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग बाइस : आजकल पासबुक से बड़ी कोई बुक नहीं…. 26/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय मित्रो, चल रहा हूँ, यादों की पगडंडियों पर – बिल्कुल बेखबर कि ये मुझे कहां ले जाने वाली हैं पर मैं डरते-डरते चलता जा रहा हूँ । आज…
साहित्य हिसार जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज….. 25/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय यादों से घिरा रहता हूँ, सुबह शाम ! जब जब यादें आती हैं, कितने खट्टे मीठे अनुभव याद कराती हैं और यह भी कि वक्त क्या क्या दिन…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग बीस …….. कुमार विकल मैं बहुत उदास हूँ ! 24/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय जब जालंधर की यादें लिखनी शुरू की थीं, तब लगता था कि दो चार दिन लिखकर आपसे विदा ले लूंगा लेकिन यादें जालंधर से चलती हुईं मुझे न…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग उन्नीस ………… किताबें उधार लेकर क्यों पढ़ें ? 23/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय वैसे तो यादों की पिटारी किसी की कभी खत्म नहीं होती, लेकिन क्या क्या, कहाँ छिपा हुआ है , किस कोने में छिपा है, यह खुद पिटारी रखने…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर- भाग सत्रह …….. क्या मोहन राकेश ही कालिदास तो नहीं थे? 21/01/2024 bharatsarathiadmin -कमलेश भारतीय पता नहीं, किधर से किधर , यादों की गलियों में निकल जाता हूँ और बहुत बार यादों में खोया-खोया, किसी एक में पूरी तरह खो जाता हूँ। आज…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर -भाग सोलह ……. दिल को छू लेती है आज भी मासूम हंसी! 20/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय यादों का यह सिलसिला जालंधर से शुरू होकर, न जाने किस तरफ अपने आप ही मोड़ ले लेता है और मित्रो मैं कोई नोट्स लेकर किसी तयशुदा मंजिल…
साहित्य मेरी यादों में जालंधर- भाग पंद्रह ………. थियेटर की दुनिया के खुबसूरत मोड़ ! 19/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय हाँ, तो मैं कल बात कर रहा था, जालंधर के थियेटर, रंगकर्म और रंगकर्मियों के बारे में ! गुरुशरण भाजी के साथ लम्बा साथ रहा और बहुत सी…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर- भाग ग्यारह ……. अश्क और मोहन राकेश के ठहाके….कुछ कदम आगे, कुछ कदम पीछे 12/01/2024 bharatsarathiadmin -कमलेश भारतीय यादें भी क्या चीज़ हैं, जो आती हैं, तो आती ही जाती हैं । इनके आने का न तो कोई सबब होता है और न ही कोई ओर-…
साहित्य मेरी यादों में जालंधर- भाग दस : उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो …… 11/01/2024 bharatsarathiadmin -कमलेश भारतीय मित्रो, जालंधर, एक ऐसा शहर, जहाँ मेरा साहित्यिक जीवन शुरू हुआ। यही वह शहर है, जहाँ मैंने साहित्य में अच्छे- बुरे, खट्टे- मीठे अनुभव प्राप्त किये! यही वह…
साहित्य हिसार यादें जालंधर कीं- भाग छह ……….कौई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन 03/01/2024 bharatsarathiadmin -कमलेश भारतीय सच! कितनी प्यारी पंक्तियाँ हैं :कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिनप्यारे प्यारे दिन,वो मेरे प्यारे पल छिन!कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन! नहीं हम सब जानते…