Category: विचार

अब विदेश में हुआ अडाणी का चर्चा ?

-कमलेश भारतीय अभी तक पिछले दस साल से दो उद्योगपतियों के नाम की चर्चा गर्म रही लेकिन अब यह पहली बार है जब विदेश में भी अडाणी की चर्चा हो…

सामयिक व्यंग्य : एग्जिट पोल ……. जल्दबाजी न करना, कई बार ‘जलेबियां’ बंट जाती है !

सुशील कुमार ‘नवीन’ शनिवार को महाराष्ट्र और झारखंड के साथ पांच राज्यों में हुए उपचुनाव का परिणाम घोषित होगा। दोपहर तक लगभग स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। दोनों चरणों को मिलाकर…

अकेले पड़ते बुजुर्गों की बढ़ती मुश्किलें : बुजुर्ग आबादी को न केवल आर्थिक असुरक्षा बल्कि सामाजिक अलगाव का भी समाधान चाहिए

भारत में पहले से कहीं ज़्यादा बुज़ुर्ग लोग हैं। उनमें से ज़्यादातर के पास सामाजिक सुरक्षा बहुत कम है और वे स्वास्थ्य सेवा का ख़र्च नहीं उठा सकते। जबकि सरकार…

मोक्षाश्रम से स्टार वृद्धाश्रम तक ……..

-कमलेश भारतीय हिसार में समाजसेविका श्रीमती पंकज संधीर वर्षों से मोक्षाश्रम बिना किसी स्वार्थ, पद या किसी भी गोपनीय इच्छा या लालसा के बिना ही चला रही हैं । आश्रम…

प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध, संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन …….

बुलडोजर न्याय: प्रशासनिक दक्षता और संवैधानिक अधिकारों के बीच टकराव हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत संपत्ति के विध्वंस के लिए दिशा-निर्देश स्थापित किए,…

प्रस्तावित परिसीमन से भारत के संघीय ढांचे को खतरा

परिसीमन उच्च-विकास वाले राज्यों की ओर शक्ति को झुका सकता है, जिससे उच्च कुल प्रजनन दर वाले उत्तरी राज्यों को संघीय मामलों में अधिक नियंत्रण मिल सकता है। बिहार और…

बाजारीकरण की भेंट चढ़े हमारे सामाजिक त्यौहार ……

हिंदुस्तान त्योहारों का देश है। त्यौहार हमको सामाजिक और संस्कारिक रूप से जोड़ने का काम करते हैं। हमारी सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता ही भारत की अखंडता का मूल आधार है।…

जलते है केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे ?

दशहरे पर रावण का दहन एक ट्रेंड बन गया है। लोग इससे सबक नहीं लेते। रावण दहन की संख्या बढ़ाने से किसी तरह का फायदा नहीं होगा। लोग इसे मनोरंजन…

डिजिटल दुनिया में क्या देख रहे हैं आपके बच्चे?

बच्चों के लिए साइबर सुरक्षा आधुनिक पेरेंटिंग का एक अनिवार्य हिस्सा डिजिटल युग में, ऑनलाइन सुरक्षा और बच्चों के सूचना तक पहुँच के अधिकार के बीच संतुलन बनाना एक जटिल…

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कराने से क्या बदलाव आएगा?

एक राष्ट्र एक चुनाव के संभावित लाभों के बावजूद, आलोचकों ने लोकतांत्रिक भावना, स्थानीय चिंताओं पर राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभुत्व तथा संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता के बारे में चिंता व्यक्त…

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