देश विचार हांसी दिवाली का बदला स्वरूप ……. 12/11/2023 bharatsarathiadmin दिवाली के शुभ अवसर पर हमारे देश में रोशनी, मिठाईयां, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की बात करने की परंपरा है लेकिन विडंबना ये है कि आज के दौर में दिवाली के…
चंडीगढ़ दिल्ली देश भिवानी विचार रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार ……… 04/11/2023 bharatsarathiadmin बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं रहे। शायद इसीलिए प्रमुख त्योहार अपनी रंगत खोते जा रहे हैं और लगता है कि…
देश भिवानी विचार बदलती रामलीला ……….. आस्था में अश्लीलता का तड़का 23/10/2023 bharatsarathiadmin जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न सिर्फ उपहास का कारण बन जाती है बल्कि बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। मर्यादा…
देश विचार हिसार कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत ……… 22/10/2023 bharatsarathiadmin नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता…
चंडीगढ़ देश विचार हिसार भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते ……… 19/10/2023 bharatsarathiadmin एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। रिश्तों के प्रति इंसान…
खेल भिवानी विचार ‘दिखावा’ ……….. तेजी से फैलता एक सामाजिक रोग 18/10/2023 bharatsarathiadmin समय के साथ बदलते समाज में दिखावे की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। आजकल ज्य़ादातर लोग दूसरों के सामने अपनी नकली छवि पेश करते हैं। काफी हद तक ईएमआइ…
देश भिवानी विचार शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन 11/10/2023 bharatsarathiadmin भौतिकता की पराकाष्ठा के समय में जिसमें प्रत्येक कार्य व रिश्तों को धन की बुनियाद पर खड़ा किया जाने लगा है और वो सम्पूर्ण मानव जाति के लिये घातक कदम…
देश विचार हिसार संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते 10/10/2023 bharatsarathiadmin आज हम में से बहुतों के लिए खून के रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं। ऐसे लोग संबंधों को महत्त्व देने लगे हैं। और आश्चर्य की बात ये कि ऐसा उन…
देश विचार हिसार पत्थर होती मानवीय संवेदना ……… 06/10/2023 bharatsarathiadmin वह मानव जिसकी पहचान ही उसके मानवीय गुणों जैसे कि सहानुभूति, संवेदना, दुःख आदि होती है और यही गुण मनुष्य में न रहेंगे तो मानव और पशु में अंतर करना…
गुडग़ांव। देश विचार वैवाहिक मूल्यों का होता …….. विवाह समझौता न होकर सृष्टि चक्र को गति प्रदान करने वाला जीवन मूल्य है 30/09/2023 bharatsarathiadmin इक्कीसवीं सदी को वैचारिक क्रांति की सदी कहना अनुपयुक्त न होगा। वैचारिक क्रांति से समाज और संस्कृति सर्वाधिक प्रभावित हुये विवाहेत्तर सम्बन्ध आज के जीवन की कटु सच्चाई बन गये…