Category: देश

असली चेहरा तो नक़ाब में ही रह गया, सांप भी मर गया, लाठी भी नहीं टूटी

( सोची समझी योजना सफल , भ्रष्ट राजनेता और पुलिस वाले बने नायक ) – —प्रियंका सौरभ. रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, अंततः विकास दुबे…

घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

इनकी असुरक्षा और हीनता की भावनाएँ किसी के लिए मानवीय दृष्टिकोण वाली क्यों नहीं है —-प्रियंका सौरभ. रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार घरेलू कामगारों की बात…

अजब विकास की गजब कहानी खत्म

-कमलेश भारतीय कल उज्जैन के महाकाल मंदिर के प्रांगण से सुरक्षाकर्मियों द्वारा कानपुर वाले विकास दुबे को पकड़ लिये जाने की खबर सुर्खियों में थी लेकिन आज सुबह सुर्खियां बदल…

STF की गाड़ी के एक्सीडेंट के बाद विकास दुबे ने की थी भागने की कोशिश, एनकाउंटर में ढेर

गाड़ी पलटने के बाद घायल यूपी एसटीएफ के पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीन कर विकास दुबे ने भागने की कोशिश की थी. मुठभेड़ में वह मारा गया. एसएसपी और डॉक्‍टरों ने…

रेलवे का निजीकरण रक्त शिराओं को बेचने जैसा होगा।

( छोटे से फायदे के लिए हम आधी से ज्यादा आबादी का रोजमर्रा का नुकसान नहीं कर सकते।) — डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं…

अपराधी के पैर और कानून के हाथ ,,,,

-कमलेश भारतीय मुम्बई के डाॅन के बारे में फिल्म का डायलाॅग-डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन है , अपराधियों को महिमामंडित करने के समान है । अपराधी ऐसे…

झोलाछाप डॉक्टर और कमीशनखोरी का धंधा

-देश भर में झोलाछाप डॉक्टरों के कारण मरीजों की जान सासत में —-प्रियंका सौरभ कोरोना काल में पूरी दुनिया में डॉक्टर भगवान् के रूप में लोगों को नज़र आये है…

प्रधानमंत्री का कॉलर पकड़ने की आजादी से शुरू हुआ सफर यहां तक पहुंच गया है कि आप कौन होते हैं सवाल पूछने वाले?

अशोक कुमार कौशिक बात उन दिनों की है जब देश को ताजा ताजा आजादी मिली थी। एक महिला ने संसद परिसर में नेहरू का कॉलर पकड़कर पूछा, “भारत आज़ाद हो…

किसान जीवन से जुड़ीं कमलेश भारतीय की लघुकथाएं

अंगूठा पिता जी नम्बरदार थे । कोर्ट कचहरी गवाही देने या तस्दीक करने जाते । कभी कभार मैं भी जाता । बीमार होने के कारण साबूदाने की खीर लेकर ।…

महिलाएं हुई बेहाल: सुरक्षा कानूनों के तहत कोई सुरक्षा नहीं, काम पर पड़ा बुरा प्रभाव

कोविद -19 लॉकडाउन ने महिलाओं के लिए रोजगार की उपलब्धता को लगभग कम कर दिया है और देखभाल के काम का बोझ बढ़ गया है। — डॉo सत्यवान सौरभ, कोरोनावायरस…