सुप्रीम कोर्ट केे निर्देशानुसार पिछड़े वर्ग के लिए नया नोटिफिकेशन जारी नही करने की कठोर आलोचना करते हुए इसे संघी सरकार का पिछडे वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह व दुर्भवना का द्योतक बताया। विदोही

25 अक्टूबर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही क्रीमी लेयर के संदर्भ में हरियाणा भाजपा सरकार द्वारा अभी तक सुप्रीम कोर्ट केे निर्देशानुसार पिछड़े वर्ग के लिए नया नोटिफिकेशन जारी नही करने की कठोर आलोचना करते हुए इसे संघी सरकार का पिछडे वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह व दुर्भवना का द्योतक बताया। विदोही ने कहा कि केन्द्र की मोदी-भाजपा संघी सरकार किसी न किसी बहाने पिछड़े-दलित आरक्षण पर कैंची चलाने का षडयंत्र करती रहती है और हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार सहित भाजपा शासित राज्यों की सरकारे आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने के लिए संघी एजेडे अनुसार चोर दरवाजे से पिछडे, दलित व आदिवासियों के आरक्षण पर कैंची चालते रहते है। हरियाणा में पिछडे वर्ग के प्रतिभावान युवाओं का आरक्षण से वंचित करने के लिए भाजपा खट्टर के वर्ष 2016 व 2018 के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने के बाद भी इस दिशा में अभी तक करेक्टिव मेजर न लेने से साफ है कि भाजपा खट्टर सरकार की नियत में खोट है ओर वह पिछडे वर्ग के आरक्षण के प्रति पूर्वाग्रह, द्वेषपूर्ण भावना रखती है। 

विद्रोही ने कहा कि यह हालत तो तब है जब भाजपा खट्टर सरकार पिछडा वर्ग बाहुल्य दक्षिणी हरियाणा के समर्थन के बल पर ही दोबारा हरियाणा की सत्ता पर किसी तरह काबिज हो पाई है। वहीं हरियाणा से कहने को पिछडे वर्ग के तीन मंत्री मोदी सरकार में सजावटी मंत्री पदो पर बैठे हुए है। सवाल उठता है कि पिछडे वर्ग द्वारा भाजपा को चुनाव में दिल खोलकर जनसमर्थन दिया व पिछडे वर्ग के तीन केन्द्रीय मंत्रीयों के होने के बाद भी हरियाणा सरकार क्रीमी लेयर के संदर्भ में पिछडे वर्ग के साथ न्याय करने को तत्पर नही तो ऐसी भाजपा सरकार पिछडा वर्ग विरोधी नही तो क्या उनकी हितैषी है? 

विद्रोही ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार नेे 66 हजार मासिक आय वाले उच्च स्वर्ण वर्ग के लोगों को तो आर्थिक रूप से पिछडा मानते हुए केन्द्र व प्रदेश की नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है। जब सरकार 66 हजार मासिक आय वाले उच्च स्वर्ण वर्ग को गरीब मानती है तो यह नियम बीपीएल पर लागू क्यों नही होता? विद्रोही ने मांग की कि जिन परिवारों की मासिक आय 66 हजार रूपये है फिर वे चाहे किसी भी जाति, धर्म व वर्ग के हो, उन्हे भी ईडब्ल्यूएस की परिभाषा अनुसार गरीब मानकर बीपीएल श्रेणी में रखकर उन्हे भी बीपीएल की सभी योजनाओं में लाभ दिया जाये।

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