भिवानी। पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर काम करने वाली सँस्था स्टैंड विद नेचर ने महात्मा गाँधी जी की 150 वी जयंती को बेजुबान जीवो को समर्पित करते हुए मनाया ।पर्यावरण कार्यकर्ता व संस्थापक लोकेश भिवानी व कार्यकर्ता नीरू चावला ने बताया कि पूरा देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वी जयंती का उत्सव मना रहा है ।गाँधी जी पर्यावरण के प्रति बहुत गम्भीर थे ,उन्होंने समय समय पर इस बारे में अपने विचार भी रखे ।

 गाँधी जी का जीवो के बारे में कहना था कि किसी देश की महानता व उसकी नैतिक उन्नति इस बात से तय की जा सकती है कि वहाँ लोग पशु पक्षियों के साथ कैसा व्यवहार करते है ।स्टैंड विद नेचर का विचार है कि सभी जीवों का इस ग्रह के सभी संसाधनों पर समान अधिकार है ।

आज विकास के अंधी दौड़ में हम इस अवधारणा से दूर होते जा रहें है , आज गाँधी जयंती को पशु पक्षियों को समर्पित  करने का यही उद्देश्य है कि हम लोगो को विशेषकर बच्चो के मन मे जानवरो के प्रति सद्भावना का भाव पैदा कर पाए।

स्टैंड विद नेचर के इस अभियान में सैंकड़ो बच्चो , विद्यार्थियों व आम नागरिकों ने हिस्सा लिया जिसमे गाँधी जी के इस विचार का पोस्टर बनाकर जीव जंतुओं को भोजन पानी दिया व प्रण लिया कि इस अभियान को हमेशा जीवित रखेंगे ।

पृथ्वी के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन हर किसी के लालच को नहीं” ये कथन गांधी जी ने कहा था व ऐसे अनेको बातें उन्होंने अपने भाषणों में कही जो उनके पर्यावरण प्रेम को स्प्ष्ट करती है।

 आज हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वी जयंती मना रहे है , मैं पर्यावरण कार्यकर्ता होने के नाते उनके इस जन्मदिन को बेजुबान जीवो को समर्पित कर रहा हूँ।  

आज दुनियाभर में पर्यावरण के अनेको जनांदोलन चल रहे है जो मूल रूप से पूंजीवाद व्यवस्था की आलोचना कर रहें है , ऊपर लिखा गाँधी जी का कथन इन आंदोलनों को गाँधी जी से जोड़ने का काम करता है ।

आजादी के बाद देशभर में हुए प्रमुख पर्यावरण आंदोलनों को मुख्य बात रही कि ज्यादातर आंदोलनों ने गांधीवादी तरीके अपनाए जैसे कि – सविनय अवज्ञा, तटीय रेत में खुद को दफना लेना, जल सत्याग्रह, लंबी पैदल यात्रा, भूख हड़ताल ।

पूंजीवाद द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारणवश इस तरह के आंदोलनों को तेजी मिली  ।

पश्चिम के देशों में इस तरह के जनांदोलनों को मध्यम वर्ग संचालित करता है , लेकिन भारत में गरीब लोग इन आंदोलनों के अगुवा , पुरोधा होते है , वो अपने अतित्व की लड़ाई लड़ रहे होते है ,हालांकि फिर इसमे सभी वर्ग के लोग शामिल हो जाते है ।

अतः हम कह सकतें है कि देश के पर्यावरण आंदोलनों में गांधीवादी विचारधारा समाहित है ।

स्टैंड विद नेचर के इस अभियान में अनेक बच्चो, युवाओं में हिस्सा लिया जिसमे मुख्य रूप से रामधन शास्त्री , निशांत ,गुलशन सहारण , युक्ता अग्रवाल ,सात्विक सांगवान ,दिया बंसल, श्रुति ,कंचन आदि ने पोस्टर बनाकर जीव प्रेम का गाँधी जी का संदेश दिया ।

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