-कमलेश भारतीय आखिर राहुल गांधी की बिछाई बिसात पर चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बन गये । जो चन्नी सुखजिंदर सिंह रंधावा के घर के बाहर सड़क पर घूम रहे थे वे मुख्यमंत्री बन गये और जो सुखजिंदर मुख्यमंत्री बनने वाले थे , वे चन्नी के साथ उप-मुख्यमंत्री बने और जो उप-मुख्यमंत्री बनने वाले थे यानी भारत भूषण और एक महिला वे बिल्कुल एक किनारे कर दिये गये । यह है राहुल गांधी की बिसात जो गुटबंदी खत्म करने की बजाय बढ़ाने वाली साबित हुई । नवजोत के साथ गलबहियां डालने वाले सुनील जाखड़ अब नवजोत से दूर छिटक गये हैं । यह है राहुल की शतरंज । सुखजिंदर भी नवजोत के साथ न रहे क्योंकि मुख्यमंत्री पद पर से नवजोत ही वापस ले आए । है न धोखे ही धोखे इस राह में चन्नी ? कौन कब आपके खिलाफ हो जाये पता भी नहीं चलेगा । फिर आपको तो डम्मी मुख्यमंत्री कहा जाने लगा है । अभी तो आपके पीछे मायावती , राष्ट्रीय महिला आयोग की रेखा शर्मा और कैप्टन अमरेंद्र सिंह का डर सताने को काफी है । अमरेंद्र सिंह से आप तो क्या आपकी हाईकमान भी डर रही है कि न जाने अमरेंद्र का अगला कदम क्या हो ,,,? कैप्टन से मिलने जाने वाले थे लेकिन शायद हाईकमान का रुख देख कर प्रोग्राम टाल दिया । एक पत्रकार तो लगातार राहुल गांधी को भी सुझाव देता रहा कि औपचारिक भेंट या शिष्टाचार भेंट कैप्टन से करते जायें लेकिन रिश्ते इतने खराब हो चुके है कि शायद देख न पा सकते हों एक दूसरे को । अब चन्नी कह रहे हैं कि उनका तो बिस्तर ही कार में लगा है । दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बना कर राहुल को जो वाहवाही मिलनी थी वह हरीश रावत के बयान से जाती रही जब बयान दिया कि अगले चुनाव में पंजाब में चेहरा नवजोत होंगे । बस इसी पर खूब फजीहत होने लगी न केवल हरीश रावत की बल्कि पूरी कांग्रेस की । क्या दलित का चेहरा डम्मी चेहरा है और रिमोट नवजोत के पास रहेगा ? सुनील जाखड़ ने भी कहा कि रावत का बयान मुख्यमंत्री चन्नी की स्थिति को कमज़ोर करने वाला है । यह बहुत दुखद है । अब चर्चा है कि रावत की पंजाब के प्रभारी के रूप मे छुट्टी हो सकती है । जो वाहवाही राहुल को मिलने वाली थी उसको बहुत कम कर दिया और नयी बहस को जन्म दे दिया । आखिर इतनी जल्दी क्या थी रावत जी ? कुछ तो आनंद लेने देते चन्नी को ,,,सचमुच डम्मी ही साबित कर दिया,,,,सिर्फ दलित चेहरा और कमान पीछे से नवजोत के हाथ । वही डाॅ मनमोहन सिंह वाली बात कि चल गयी सरकार तो नवजोत की और न चली ती चन्नी की ,,,,–पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation हरियाणवी कला व संस्कृति को बचाने में सहायक हैं कला उत्सव: प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज भ्रष्टाचार अपरम्पार, रोजगार पर मार, नशे की भरमार।देश के भविष्य की ”सुपारी” ले रही मोदी सरकार : सुरजेवाला