अरविंद सैनी :पूर्व पत्रकार और भाजपा हरियाणा के सह मीडिया प्रमुख है।

आज का शुक्रवार भारतीय जनता पार्टी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के लिए तो खास है ही, बल्कि उन करोड़ों लोगों के लिए ज्यादा खास है, जिनके पास वर्ष 2014 में देश में बनी नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंच सका। 17 सितंबर को देश के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71वां जन्मदिन है, जबकि ठीक 20 दिन बाद यानी अगले महीने की 7 तारीख को नरेंद्र दामोदर भाई मोदी की प्रशासनिक सेवा ( मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के कार्यकाल) के 20 साल पूरे हो रहे हैं। इसलिए भाजपा ने तो देशभर में इन 20 दिनों को सेवा और समर्पण के नाम करते हुए बड़े-बड़े सेमिनार, रक्तदान शिविर, पौधारोपण, जरुरतमंदों को फल और अनाज वितरण सहित अनेक प्रोग्राम करने की योजना बनाई है।

जबकि इसके अतिरिक्त एक बहुत बड़ा वर्ग भी देश में मौजूद है, जो केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ की परवाह से ज्यादा नरेंद्र मोदी की उस सोच को तरजीह देते हैं, जिसमें राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना मौजूद है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 एवं 35ए को हटाकर पूरे देश को कश्मीर में वैसे ही अधिकार उपलब्ध कराना, जैसे अन्य राज्यों में है, मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में है। इसके बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त करके देश को संदेश दिया कि यह राम का देश है और यहां की संस्कृतिक धरोहर से इतिहास में हुई छेड़छाड़ को भी सुधारने में झिझका नहीं जाएगा।

हालांकि इन सात साल के समय ने नरेंद्र मोदी की परीक्षा भी कम नहीं ली। जहां देश के अंदर नोटबंदी, पुलवामा अटैक, सीएए, धारा 370, किसान आंदोलन और कोरोना जैसी महामारी के चलते र विरोधियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो डोकलाम में चीनी सेना, पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक, अफगानिस्तान में बदले राजनीतिक हालात और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते हालात भी मोदी के लिए चुनौती लेकर आए। लेकिन मोदी देश के अदर की स्थिति को साधते हुए देश के बाहर बनी चुनौतियों से भी निपटने में न केवल कामयाब हुए बल्कि देश को विश्वास दिलाने में भी सफल रहे कि मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है।

करोड़ों लोगों को ध्यान में रखकर योजना बनाने का दावा तो सभी सरकारें करती रही हैं, लेकिन करोड़ों लोगों की समस्या को समझकर और उन्हें महसूस कर योजना बनाने का कार्य सही मायने में पहली बार मोदी ने ही किया। जन-धन योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के खाते खुलवाकर उनमें पैसे डलवाने का कार्य पहली बार देश में हुआ। जिस एलपीजी गैस सिलेंडर के लिए लंबी लंबी लाईन लगती थी, नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद न केवल वो लाईनें समाप्त हो गई बल्कि एक फोन पर हर घर तक सिलेंडर पहुंचने की व्यवस्था ने आम लोगों को भी राहत दी। इस पर उज्जवला योजना के जरिए करोड़ों गरीब घरों में गैस सिलेंडर देना सोने पर सुहागा रहा।

इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, ऑपरेशन ग्रीन योजना, मत्स्य सम्पदा योजना, विवाद से विश्वास योजना, पीएम वाणी योजना, उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री कुसुम योजना, आयुष्मान सहकार योजना, स्वामित्व योजना पीएम मोदी हेल्थ आईडी कार्ड, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण तथा शहरी), आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री अटल पेंशन योजना, मातृत्व वंदना योजना, नेशनल एजुकेशन पालिसी योजना, अन्‍त्‍योदय अन्‍न योजना, स्वनिधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फ्री सोलर पैनल योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना आदि सहीत सैंकड़ों योजनाएं विभिन्न वर्गों का ध्यान रखकर बनाई गई। इन योजनाओं का लाभ समय पर और सही व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी चिंता करते हैं। पीएम मोदी का “मन की बात” कार्यक्रम इसकी एक झलक मात्र है। कोरोना महामारी की शुरुआत में जिस तरह से बार बार देश की जनता से सीधे संवाद करके देश को संभाला ये भी पूरी दुनिया ने देखा। ये मोदी की जनता के प्रति संवेदना ही है कि कोविड के रूप में देश पर आई विपत्ति में लोगों के दर्द को देखकर वे भी द्रवित होते देखे गए।

बेशक कोई भी सरकार आम आदमी के खिलाफ नहीं होती, लेकिन नीति बनाने और उसके वास्तविक कार्यान्वयन के स्तर में अंतर होता है। मोदी सरकार ने इन दोनों स्तरों पर अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखी है।

नरेंद्र मोदी का बचपन का संघर्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से मिले देशभक्ति के संस्कार उनको मजबूत बनाते चले गए। इस मजबूती के कारण ही नरेंद्र आम आदमी, गरीबों, दलितों और शोषितों के लिए दिन-रात काम करते – करते राजनीति के शिखर तक पहुंचे।
विपक्ष कुछ भी बोले, लेकिन दबे मुहं विपक्ष भी मानता है कि मोदी की नीति आम लोगों के जीवन में बुनियादी बदलाव ला रही है। लाखों लोगों ने कभी बैंक नहीं देखा था, लेकिन जनधन योजना के जरिए ऐसे 30 करोड़ लोगों के खाते बैंकों में खुल पाए। जिससे किसान, खेतिहर मजदूर, छात्र और महिलाओं को अनेक योजनाओं का सीधा लाभ मिल सका।

सरकारी बाबूगिरी और इन योजनाओं का लाभ पाने में होनेवाली परेशानियों को खत्म करने के लिए नरेंद्र मोदी ने एक ईमानदार कोशिश की है।

मध्यम वर्ग के किसानों के हितों के लिए भी काम किया। किसानों को बुवाई के मौसम में समय पर अच्छी गुणवत्ता के बीज और खाद मिलें, यह सुनिश्चित करने के लिए खुद नरेंद्र मोदी ने पहल की। यूरिया खाद की कालाबाजारी रोकने की कोशिश करने के साथ ही उसकी गुणवत्ता बरकरार रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। मोदी ने दशकों से चली आ रही किसान विरोधी बाजार नीति को बदलने का निर्णय लिया और 2022 तक किसानों की आय दो गुना करने का फैसला लिया और इसके लिए योजना व कानून बनाए। भले ही तीन कृषि कानूनों का विरोध कुछ किसान संगठन कर रहे हैं, लेकिन मोदी का विजन करोड़ों किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का है और यही कारण है कि मोदी अपनी कल्याणकारी नीतियों को लागू करने में हौसला भी दिखाते हैं। ऐसा नहीं है कि धरने पर बैठे किसानों की बातें सुनी नहीं गई, बल्कि 11 बार बातें की, लेकिन किसान नेता अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं।

नए बिजनेस शुरू करने के लिए सुलभ आर्थिक सहायता प्रदान किया, बल्कि उनके उत्पादों के लिए बाज़ार उपलब्ध कराने का भी प्रयत्न किया गया। इन युवाओं द्वारा उत्पादित 4% उत्पादों को सरकार द्वारा खरीदने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय मोदी ने लिया। इससे अब तक देश के 2.75 करोड़ युवाओं को फायदा हुआ। गरीब वर्ग और महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई। मोदी के मंत्रिमंडल पर एक नज़र डालने पर पता चलता है कि उनके मंत्रिमंडल का चेहरा पिछले सभी मंत्रिमंडलों से अलग है।

मोदी के समग्र व्यक्तित्व से देश के युवाओं में आत्मविश्वास पनपा है। ओलिंपिक में हमारे खिलाड़ी पहले भी जाते रहे हैं, लेकिन कभी अभिभावकों की तरह उनकी पीठ पर राजनैताओं ने हाथ नहीं रखा। इस बार मोदी जी ने न केवल ओलंपिक में जाने से पहले खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया बल्कि एक एक मैच के बाद मोदी ने खिलाड़ियों की पीठ थपथपाई। यही कारण रहा कि ओलंपिक और पैरालंपिक में हमने इतिहास रचा।

नरेंद्र मोदी विपरीत परिस्थितियों से लड़ने वाले एक ऐसे योद्धा के रूप में जाने जाते हैं, जो चाइना जैसे दुश्मनों से आंख में आंख मिलाकर डोकलाम में पीछे हटने पर मजबूर कर देता और पुलवामा अटैक का बदला पाकिस्तान से उसके घर में सर्जिकल स्ट्राइक करके लेता है, लेकिन इस योद्धा के पास अपनी जनता के दु:ख में शरीक होकर दुख जताने वाला भावुकता से भरा दिल भी है। निर्णय लेने की क्षमता ने 71 साल के नरेंद्र मोदी की छवि को ग्लोबल बना दिया है। उनकी गिनती दुनिया के चंद बडे़ नेताओं में होती है, जिनके हर फैसले पूरी दुनिया के लिए मायने रखते हैं।

आज अपने इसी नेता का जन्मदिन देश इस प्रार्थना के साथ मना रहा कि तुम जिओ हजारों साल-साल में दिन हो पचास हजार।

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