– लाखों करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में
जेईई पेपर लीक होने से प्रदेश सरकार का नाकारापन एक बार फिर हुआ जगजाहिर

चंडीगढ़ – हरियाणा प्रदेश में एक तरफ बेरोजगारी की दर देश में सबसे अधिक हो 35 प्रतिशत पार कर चुकी है, तो दूसरी ओर युवाओं के भविष्य को सरेआम बेचने का कालाधंधा भाजपा-जजपा सरकारकी नाक के नीचे लगातार फल-फूल रहा है। जेईई परीक्षा का पेपर हरियाणा में लीक होने से प्रदेश सरकार का नाकारापन एक बार फिर जगजाहिर हो गया है, जिसके चलते खट्टर-चौटाला सरकार में हरियाणा ”पेपर लीक माफिया” व ”पेपर बेच माफिया” का केंद्र बन गया है, जहां पर पेपर लीक माफिया में कानून को कोई भय नहीं रह गया है। 

पिछले सालों में लगातार 28 बार से अधिक अलग-अलग पदों के पेपर ”पेपर लीक माफिया” व ”पेपर बेच माफिया” के माध्यम से लीक भी हुए और बेचे भी गए। आज तक भाजपा-जजपा सरकार न तो इस माफिया का भंडाफोड़ कर पाई और न उस पर रोक लगा पाई और नही उन्हें सजा दिलवा पाई, जिसके चलते पेपर लीक माफिया के हौसले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। स्वाभाविक तौर से शक की सुई सत्ता में बैठे सफेदपोशों के प्रत्यक्ष या परोक्ष संरक्षण की ओर उठती है। 

अब तो यह ”पेपर लीक माफिया” व ”पेपर बेच माफिया” का घिनौना व नंगा खेल सब हदें पार कर गयाहै। देश का सबसे प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण एग्जाम जेईईमेन्स है, जिसके माध्यम सेपूरे देश की आईआईटी, एनआईटी, सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं व प्रांतों की यूनिवर्सिटी तथा दूसरी संस्थाओं में बीई, बीटेक आदि के दाखिले होते हैं। कई मायनों में जेईई परीक्षा को देश की शैक्षणिक रीढ़ की हड्डी कहा जाता है क्योंकि पूरे भारत के सबसे बेहतरीन इंजीनियर्स, कंप्यूटर प्रोफेशनल इत्यादि इन संस्थाओं से पढ़कर देश-विदेश में अपना नाम रोशन कर पाते हैं। 
अब जेईई एग्जाम का पेपर भी पेपर लीक माफिया द्वारा सोनीपत, हरियाणा में लीककर दिया गया। सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर (संलग्नक ए1) में साफ अंकित है कि एक संगठित पेपर लीक माफिया द्वारा सोनीपत में जेईई के सेंटर में फर्जी पेपर करवाने के बदले 10 से 15 लाख रु. की रिश्वत ली गई। यही नहीं इस माफिया के तार भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में अलग-अलग चल रहे एग्जाम सेंटरों से जुड़े पाए गए, जैसा एफआईआर में भी अंकित है।

युवाओं के भविष्य की मंडी लगाकर बेचने का यह घिनौना खेल खट्टर सरकार के नाक तले खुले तौर से चल रहा था। क्या भाजपा-जजपा सरकार यह कह सकती है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी? क्या मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को सामने आकर इस विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए? क्या कारण है कि देश के अलग-अलग भागों में सक्रिय पेपर माफिया को हरियाणा एक सुरक्षित आश्रय नजऱआता है? हर बड़े पेपर लीक मामले के तार हरियाणा से क्यों जुड़ जाते हैं?

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