विश्व विख्यात सुपर 30 के गणिज्ञ आंनंद सिंह के हाथों ई-लाईब्रेरी आरंभ.
भूपेंद्र की पैतृक हवेली में पूर्वजों की बनाई गई श्री राम प्रसाद ई-लाईब्रेरी.
ई-लाईब्रेरी जमालपुर सहित पूरे क्षेत्र के छात्रों लिए वरदान साबित होगी

फतह सिंह उजाला

पटौदी। पर्यावरण , वन-जलवायु परिर्वतन , श्रम- रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा अपनी पैतृक हवेली में अपने पूर्वजों की बनाई गई श्री राम प्रसाद ई-लाईब्रेरी में रविवार को देश सहित विदेश में विख्यात सुपर 30 के संस्थापर-संचालक प्रौफेसर आनंद सिंह, जिनके जीवन पर तैयार सुपर थ्रटी फिल्म ने छात्रों को शिक्षा के महत्व पर फोक्स डालते हुए छात्र जीवन के महत्व पर गुरुमंत्र दिए। विख्यात गणितज्ञ वहीं आंनंद सिंह का मंत्री भूपेंद्र यादव की पुत्री प्रज्ञा राव, जिला पार्षद राव विजयपाल संटी, समाजसेवी सतपाल यादव, अश्वनी सफेदपोस आदि ग्रामीणों ने गांव जमालपूर आगमन पर  फूलमालाओं और प्रतीक चिंह देकर सम्मान किया।

इस मौके पर आनंद सिंह ने बताया कि यह अच्छी बात है कि केंद्रीय भूपेंद्र यादव व उनकी पुत्री प्रज्ञा राव अपने पैतृक गांव की उन्नति और विकास के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे है। जिससे क्षेत्र के छात्रों का उज्जवल भविष्य तो बनेगा ही साथ में यह अन्य नेताओं के लिए भी आईना दिखाया है। जो किसी सम्मानित ओहदे पर पहुंचने के बाद अपने गांव , ग्रामीणों को भूल कर अलग ही दुनिया में लीन हो जाते है। यह विरास्त में मिले संस्कारों का ही परिणाम है कि भूपेंद्र यादव ने बीजेपी पार्टी में विभिन्न ओहदों पर रहते हुए तथा दो बार राज्य सभा सांसद होने और अब केंद्रीय मंत्री जैसी पद पर विराजमान होने के बाद भी अपने पैतृक गांव को नहीं भूले है। केंद्र में पीएम मोदी मंत्रामंडल के वजीर की यह पहल गांव जमालपुर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगी।

उन्होंने बताया कि उन्होंने गरीब परिवार के बच्चों को उच्च शिक्षा दिला कर उन्हे मुकाम तक पहुंचाया और गरीबों में शिक्षा की अलख जगाई जिससे प्ररेरित होकर फिल्म जगत के महशूर निदेशक द्वारा उनके जीवन पर सुपर थ्रटी फिल्म बनाई और 2019 में वह देश के सभी सिनेमा घरों में दिखाई गई और काफी चर्चित भी रही है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि प्रतिभा चाहे कितने भी गरीब घर में जन्म ले और चाहे जीवन में उन्हे सेटल होने के लिए संर्घष करने पड़ रहे हो, अगर इस प्रकार के बच्चों को अगर कोई सहारा देकर मुकाम तक पहुंचाये तो वह सबसे बड़ा धर्म है। फिल्म का 90 प्रतिशत हिस्सा वास्तिवक जीवन पर आधारित है। उन्होने बताया कि उनके पिता डाक विभाग में डाक छटनी करने की सरकारी नौकरी करते थे। परिवार का गुजर बसर ठीक नहीं होने के बावजूद भी उनके पिता ने उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि को जिंदा रखा और मातापिता द्वारा दिए गए संस्कार और ही थे जो वह इस मुकाम तक पहुंचने में सफल रहे। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थानों में नौकरी की और उन संस्थानों ने उनके चर्रित चेहरे की आड में शिक्षा के नाम पर जिस कदर व्यापार को बढ़ावा दिया और धन कमाने की लालसा संस्थानों ने सम्मपन परिवारों के बच्चों को दाखिले दिए और गरीब परिवार के बच्चों को दरकिनार कर दिया। उनकी यह नीति उन्हे रास नहीं आई और उन्होंने गरीब परिवार के बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर मुकाम तक पहुंचाने के लिए संकल्प लिया और उन बडे शिक्षण संस्थानों से कम्पीटीशन भी किया और गरीबी, भुखमरी की मार झेल रहे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया। वह जानते है कि गरीबी का दर्द क्या होता है।

बिहार जैसे पिछडे प्रदेश में शिक्षा का क्या हाल है सभी भली प्रकार परिचित है। फिल्म में दिखाई गई स्टोरी 90 प्रतिशत वास्तविक जीवन पर आधारित है। उन्हें जमालपुर गांव में पहुंच कर खुशी हुई की केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने पैतृक गांव व ग्रामीण आंचल के बच्चों के समान्य ज्ञान बढाने के लिए अपने पूर्वज श्री राम प्रसाद के नाम पर निरूशुल्क ई लाईब्रेरी शुरु करके बच्चों का ज्ञान वर्धन कर रहे है। आज शिक्षा के नाम पर हो रहे व्यवसायिकरण की मजबूत होती जड़ों को खत्म करके गरीब परिवारों में जन्मे बच्चें को इसी प्रकार के शिक्षण संस्थानों की आवश्यकता है वह उन बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।

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