आंदोलन करने जा रहे नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि नर्सिंग आवश्यक सेवा के तहत आता है. सिर्फ बजट घटाने के नाम पर इन्हें आउटसोर्स से भर्ती करके गंभीर और जिंदगी की जंग लड़ रहे मरीजों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता. नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली के के सफदरजंग अस्पताल के साथ ही कई अन्य सरकारी अस्पतालों में कल से नर्सिंग स्टाफ आंदोलन करने जा रहा है. दिल्ली नर्सेज यूनियन की ओर से चार जून से आंदोलन शुरू किया जा रहा है. डीएनयू के इस आंदोलन को लेकर अब ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेस फेडरेशन ने भी समर्थन देने की बात कही है. नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि सफदरजंग अस्पताल में कोरोना के दौरान मरीजों के इलाज के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से नर्सों की भर्ती की तैयारी की जा रही है जो गलत है. यह न केवल सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन है बल्कि यह रेगुलर भर्ती के खिलाफ भी है. दिल्ली नर्सेज यूनियन और एआईजीएनएफ की ओर से बताया गया कि एक तरफ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय बजट घटाने की बात कह रहा है वहीं दूसरी और कॉन्ट्रैक्टर को बीच में लाया जा रहा है. मंत्रालय की ओर से अगर पूरा वेतन देने की बात कही जा रही है तो नर्सों की भर्ती रेगुलर तरीके से क्यों नहीं की जा रही. अगर आउटसोर्स से भर्ती का फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो नर्सिंग स्टाफ इसके खिलाफ आंदोलन करेगा. दोनों संगठनों का कहना है कि 2015 और 16 में भी सफदरजंग अस्पताल में आउटसोर्स से नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की कोशिशें की गई थीं हालांकि नर्सेज के विरोध के बाद उसे रद्द कर दिया गया था.आंदोलन करने जा रहे नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि नर्सिंग आवश्यक सेवा के तहत आता है. सिर्फ बजट घटाने के नाम पर इन्हें आउटसोर्स से भर्ती करके गंभीर और जिंदगी की जंग लड़ रहे मरीजों के साथ खिलबाड़ नहीं किया जा सकता. आउटसोर्स से की जा रही भर्ती में गुणवत्ता की भी गारंटी नहीं है. जबकि डॉक्टर सिर्फ एक या दो बार मरीज के पास आते हैं और सारा दारोमदार नर्सिंग स्टाफ के ऊपर ही होता है. Post navigation रामदेव के खिलाफ अर्ज़ी पर हाई कोर्ट ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन से कहा- फिज़ूल बहस से अच्छा, कोरोना के इलाज में समय लगाएं केजरीवाल का पीएम मोदी से सवाल, पिज्जा-बर्गर की होम डिलीवरी हो सकती है तो घर-घर राशन क्यों नहीं?