महामारी से लड़ने के ज़रूरी इन्तज़ाम करने की जगह गोबर-गौमूत्र, गो कोरोना गो के जाप, दिया- टॉर्च, ताली -थाली।
धर्मप्राण जनता को मौत के मुंह में धकेलने के लिए क्या इनकी जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिए।

अशोक कुमार कौशिक

 भाजपा में मोदी से लेकर सामान्य कार्यकर्ता भी निर्लज्जता कि सारी हदें पार कर जाते हैं। यूँ तो अंधविश्वास और अवैज्ञानिकता फैलाने वालों की भगवा मण्डली में कोई कमी नहीं है। खुद मोदी ने गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी और हवा से ऑक्सीजन और पानी को अलग करने जैसी बातें की हैं। मानव जीवन पर छाए भीषण संकट के समय भी महामारी से लड़ने के ज़रूरी इन्तज़ाम करने की जगह उसे गोबर- गौमूत्र, गो कोरोना गो के जाप, दिया- टॉर्च, ताली -थाली और भाभीजी के पापड़ से भगाने के दावे किए जाते रहे और लोग मरते रहे। अब जब कोरोना की दूसरी लहर पहले से कहीं ज़्यादा तांडव मचा रही है, तब भी मुख्यमंत्री और कुलपति जैसे ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोग मूर्खतापूर्ण बातें करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। भाजपा के लोग हमेशा से शवों की राजनीति करते है । अभी परसों मुंबई पुलिस ने पोने 5 करोड़ रेमडेसीवीर दवा की एक बड़ी खेप को पकड़ा था जिसे बचाने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस थाने में पुलिस पहुंच गए। भाजपा के एक और नमूने की बात कर लेते हैं। वह भाजपा के उपाध्यक्ष और भोपाल के पूर्व महापौर। ये शव-वाहनों को समारोहपूर्वक फोटो खिंचवा कर रवाना कर रहे हैं। इनको देखकर यही लगता है कि जिन्हें सर्कस में होना चाहिए, वे हमारे सर पर बैठा दिए गए हैं।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने न जाने क्या सोचकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया है। वे पहले फटी जींस को लेकर दिए गए बयान के कारण चर्चा में रहे, फिर उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दो सौ साल भारत पर राज किया। हरिद्वार में कुम्भ से जुड़ी व्यवस्थाओं का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि कुम्भ बनारस में भी आयोजित किया जाता है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के ख़तरे पर उनका कहना था कि मां गंगा की कृपा से कुम्भ में कोरोना नहीं फैलेगा। इसी सिलसिले में उन्होंने कुम्भ और मरकज़ की तुलना को गलत बताते हुए अजीब सा तर्क दिया। उन्होंने कहा कि मरकज़ में कोरोना एक बंद कमरे से फैला जबकि हरिद्वार कुम्भ का विस्तार नीलकंठ और देवप्रयाग तक है।

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के कुलपति राजाराम यादव तो तीरथ सिंह से एक कदम आगे निकल गए। उन्होंने फ़ेसबुक पर लिखा कि शाही स्नान में कोविड प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं था। लेकिन एक वैज्ञानिक की हैसियत से मैं कह सकता हूँ कि कुम्भ स्नान से संक्रमण नहीं हो सकता, क्योंकि गंगा में हिमालय की जड़ी बूटियों के कारण प्रतिरोधक क्षमता होती है, जो किसी भी वायरस से टक्कर ले सकती है। दूसरे, नागाओं की भभूत से कोई भी इन्फेक्शन दूर भागता है। घंटों-घड़ियालों, शंखों की ध्वनि और भंडारे के पक्के भोजन को भी यादव ने सेहत के लिए फ़ायदेमंद बताया। एक ‘वैज्ञानिक कुलपति’ के ऐसे दावे के बावज़ूद कुम्भ में संक्रमितों की संख्या ख़तरनाक तरीके से क्यों बढ़ती चली गई? इतना ही नहीं, मध्यप्रदेश के निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास और जबलपुर में नरसिंह मंदिर के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी श्याम देवाचार्य – दोनों का ही कुंभ में भाग लेने के बाद कोरोना संक्रमण से निधन हो गया। स्वामी देवाचार्य ने तो कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक ली थीं। क्या तीरथ सिंह रावत और राजाराम यादव बताएंगे कि कुम्भ में इतने सारे लोग संक्रमित क्यों हुए, दो-दो धर्मगुरुओं को कोरोना कैसे लील गया। क्या इससे ये साबित नहीं होता कि इन दोनों महानुभावों – ख़ास तौर से अपने आपको वैज्ञानिक बताने वाले कुलपति महाशय को विज्ञान की न्यूनतम समझ भी नहीं है। धर्मप्राण जनता को मौत के मुंह में धकेलने के लिए क्या इनकी जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिए।

यहां महाराष्ट्र की घटना का उल्लेख करना भी न्याय संगत होगा। परसो देर रात मुम्बई के विले पार्ले पुलिस ने पौने 5 करोड़ की रेमडेसीवीर की खेप पकड़ी, जिसे चोरी से गुजरात ले जाया जा रहा था। उन्हें बचाने के लिए पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस आधी रात के बाद पुलिस स्टेशन में प्रकट हो गए और दावा किया कि बीजेपी ने इन इंजेक्शनों को दमन और गुजरात से आर्डर किया है।

अब सवाल यह है कि अगर भाजपा ने इनका ऑर्डर दिया था तो उन्हें चोरी से ले जाने की क्या ज़रूरत थी ? क्या देवेंद्र फड़ानवीस महाराष्ट्र की मार्केट से रेमडिसवेयर उठाकर गुजरात भेज रहे हैं जिससे महाराष्ट्र में इस दवा की शॉर्टिज हो जाये और लोगों का ग़ुस्सा उद्धव ठाकरे की सरकार पर उतरे । 

महाराष्ट्र ऑक्सिजन की कमी से पहले ही जूझ रहा है , जिस पर केंद्र सरकार उन्हें ऑक्सिजन देने की बजाय राजनीति कर रहा है । उद्धव ठाकरे को चाहिए कि देवेंद्र फड़नवीस पर रेमडिसवेयर के ग़ैर क़ानूनी स्टॉक करने , महाराष्ट्र में इसकी कमी करने की कोशिश करने और नागरिकों की हत्या के प्रयास का मुक़दमा क़ायम करके फ़ोरन जेल भेजना चाहिए । भाजपा हमेशा से शवों की राजनीति करती है , इस राजनीति को ख़त्म करने के लिए कड़े निर्णय लेने ज़रूरी है ।

टीका उत्सव के बाद श्मशान उत्सव मनाने वाले नमूने

ये हैं मध्यप्रदेश भाजपा  के उपाध्यक्ष और भोपाल के पूर्व महापौर। ये शव-वाहनों को समारोहपूर्वक फोटो खिंचवा कर रवाना कर रहे हैं। इन वाहनों में कोरोना से मृत लोगों को श्मशान घाट पहुंचाया जाएगा। भोपाल के कुछ हिस्सों में कोविड-19 बुरी तरह फैला हुआ। लेकिन आपदा में अवसर तलाशने के लिए भाजपा नेता ऐसे इवेंट आयोजित कर रहे हैं। बताते हैं कि हिटलर के वक्त में नाजियों ने कुछ शवों को समारोहपूर्वक क़ब्रिस्तान रवाना किया था। 

मोदी सम्भवतः संसार का सबसे फेंकू प्रधानमंत्री है जो खुलेआम बेशर्मी और निर्लज्जता के साथ झूठ बोलते है और एक महिला मुख्यमंत्री के चुनाव में हारने की बार-बार बात कर उन्हें डराते है। इसका ताज़ा उदाहरण पश्चिम बंगाल के कूचबिहार विधानसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर हुई हिंसा का मामला है, जिसमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की गोली से 5 ग्रामीणों की मौत हो गई है। इस हिंसा के मामले पर चुनाव आयोग का कहना है कि हिंसा की यह घटना ग्रामीणों में फैली ग़लतफहमी के कारण हुई है। यह हिंसा तब भड़की जब पत्थरों से खेलते कुछ बच्चों में से एक बच्चा भूमि से एक पत्थर उठा रहा था, उसी समय पास से सीआईएसएफ के जवान गुजर रहे थे। उन्होंने समझा के पत्थर उठाकर बच्चा उन्हें मारना चाहता है, इसलिए एक जवान ने उस बच्चे को धकेला और थप्पड़ मारा, जिससे बच्चा जमीन पर गिर पड़ा। तब सीआईएसएफ के जवान उस बच्चे को उठाकर ले गए। 

बाद में पता चला कि उन्होंने बच्चे को अस्पताल में भर्ती करा दिया था। सीआईएसएफ द्वारा बच्चे को ले जाने की घटना की बात पूरे गांव में फ़ैल गई और ग्रामीण जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, ने भी सीआईएसएफ जवानों पर पथराव शुरू कर दिया। कुछ ग्रामीणों ने सीआईएसएफ जवानों के हथियारों को भी छीनने का प्रयास किया। ऐसी स्थिति में सीआईएसएफ जवानों ने फायरिंग की जिसके परिणामस्वरूप 5 ग्रामीण मारे गए। इस पूरी घटना के बारे में दुनिया के सबसे कमीने प्रधानमंत्री ने यह कहा ‘दीदी चुनाव हारता देखकर इस स्तर (अर्थात दुनिया का सबसे फेंकू प्रधानमंत्री यह बताना चाहता है कि हिंसा की घटना ममता बनर्जी की साजिश का नतीजा है) पर गिर गई है’। 

देश के प्रधानमंत्री होने के नाते इस हिंसा की उक्त घटना की सही रिपोर्ट उन्हें मिली होगी इसके बावजूद इस कमीने प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी के खिलाफ बेशर्मी और निर्लज्जता के साथ ऐसा उक्त झूठा आरोप लगाया। अगर हम मान लें कि उसे उक्त घटना की सही रिपोर्ट तुरंत ना मिल पाई हो तो उसे सही रिपोर्ट हासिल करनी चाहिए थी और तब ममता बनर्जी के खिलाफ उक्त आरोप लगाना चाहिए था। ममता बनर्जी के खिलाफ इस……. प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए उक्त झूठे आरोप को चुनाव आयोग ने गलत साबित कर दिया है क्योंकि हिंसा के बारे में चुनाव आयोग ने कहा है कि यह हिंसा गलतफहमी के कारण हुआ है। सवाल उठता है कि जनता संसार के सबसे …… इस प्रधानमंत्री के आरोप को सच माने या चुनाव आयोग के बयान को? वास्तव में यह ……. प्रधानमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा करने के प्रयास में रहता है इसलिए ‘जो भी अवसर’ इसे मिलता है, इन अवसरों को ममता बनर्जी के खिलाफ अपने विकृत इरादों के प्रदर्शन में नहीं चूकता है।

मैं इन खबरों को कहानी इसलिए कहता हूँ कि कोई अख़बार या टीवी ऐसे इवेंट की आलोचना पेश नहीं करेगा। इसलिए हमारे जैसे असंख्य पत्रकार सोशल मीडिया पर इन्हें खबरों नहीं कहानियों के रूप में पेश करते हैं।

ज़ाहिर है कुछ सवालों के जवाब वक्त पर मिलते हैं। ऐसे ऐतराज़ करने वालों ने कांग्रेसी दौर में न मुझे पढ़ा, न खबरें देखीं, न लेख देखें। मैं हनुमान तो हूँ नहीं कि सीना चीर कर दिखा सकूँ।

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