– महेन्द्रगढ़ के अधिवक्ताओं ने नहीं की जिला बनाने या मुख्यालय स्थापना की माँग
– तीव्र गति से निर्णय के पीछे किसी नेता का हाथ होने की संभावना

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । महेन्द्रगढ़ उपमण्डल में मंगलवार के दिन जिला स्तर के सभी अधिकारियों को बैठने का निर्णय हरियाणा सरकार ने महज 6 घंटे में ले लिया। इन 6 घंटों में ही फाईल मुख्य सचिव के कार्यालय में, मुख्यमंत्री के कार्यालय में, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के कार्यालय में टेबल दर टेबल घूम भी ली और सप्ताह में एक दिन जिला स्तर के सभी अधिकारियों को महेन्द्रगढ़ में बैठ कर कार्य करने का निर्णय भी हो गया। इस जानकारी का खुलासा जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना पर हुआ है। 

पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने गत 12 फरवरी को मुख्य सचिव हरियाणा के कार्यालय से इस संबंध में सूचना की मांग की गई थी। गौरतलब है कि महेन्द्रगढ़ नगर के अधिवक्ता महेन्द्रगढ़ में जिला मुख्यालय की मांग कर रहे हैं तथा नारनौल नगर के अधिवक्ता जिला मुख्यालय बचाने व महेन्द्रगढ़ में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पदस्थ करने के विरोध में अदालती कार्य रोक कर धरने पर बैठे हैं। श्री वशिष्ठ ने कहा कि इसी विवाद से पर्दा हटाने के लिए उन्होंने सूचनाओं की मांग की थी।

पूर्व प्रधान ने बताया कि बार एसोसिएशन, महेन्द्रगढ़ ने अपने उक्त पत्र में महेन्द्रगढ़ को जिला बनाने या जिला मुख्यालय स्थापित करने की मांग ही नहीं की है। ऐसे में महेन्द्रगढ़ के अधिवक्ताओं का धरना तो बेमानी साबित हो ही रहा है तथा नारनौल मुख्यालय पर भी किसी तरह के संकट के कोई बादल नहीं हैं।

श्री वशिष्ठ ने बताया कि दिनांक 31 जनवरी 2021 को बार एसोसिएशन, महेन्द्रगढ़ के प्रधान द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को प्रेषित किया गया था। उक्त पत्र में दो मांगे सरकार से की गई थी, जिसमें से एक महेन्द्रगढ़ में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय की स्थापना से उच्च न्यायालय को सिफारिश करने तथा दूसरी मांग सप्ताह में 1 या 2 दिन जिला स्तर के अधिकारी महेन्द्रगढ़ में बैठाने की थी। इस पत्र में कही भी महेन्द्रगढ़ को जिला बनाने या वहाँ जिला मुख्यालय स्थापित करने की माँग नहीं थी। उक्त पत्र गत 03 फरवरी को मुख्य सचिव कार्यालय में दर्ज किया गया तथा उसी दिन मुख्यमंत्री हरियाणा के मुख्य प्रधान सचिव के कार्यालय में प्रेषित कर दिया गया। 

मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस. ढेसी द्वारा उक्त पत्र, मुख्यमंत्री को प्रस्तुत करके अपनी टिप्पणी कर दी कि मुख्यमंत्री ने केवल महेन्द्रगढ़ में जिला स्तर के अधिकारी बैठने की मांग पर विचार करने की अपनी इच्छा जाहिर की है। इसके बाद यह फाईल उसी दिन वापस मुख्य सचिव के कार्यालय से होती हुई विशेष कार्य अधिकारी (नियम) के पास पहुँची। जिस पर ओएसडी (रूल्स) ने जिला स्तर के सभी अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन महेन्द्रगढ में बैठ कर कार्य करने, उसके लिए दिन निर्धारित करने, यदि उस दिन अवकाश हो तो उससे अगले दिन महेन्द्रगढ़ में कार्य करने या नहीं करने पर निर्णय लेने तथा यात्रा भत्ता नियमों के अनुसार उन अधिकारियों को यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता देने या नहीं देने बारे एक अंतिम प्रारूप तैयार कर दिया तथा उसे मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के अनुमोदन के लिए भी भेज दिया गया। 

श्री वशिष्ठ ने बताया कि ताज्जूब की बात यह है कि मुख्य सचिव ने उक्त प्रारूप को उसी दिन अर्थात 3 फरवरी को ही अनुमोदित कर दिया। इस तरह से यह कार्य महज 6 घंटे में ही हो गया, क्योंकि सरकार के कार्यालय प्रातः 10 बजे खुलते हैं तथा 5 बजे बन्द हो जाते हैं, जिसमें भोजनावकाश भी होता है। मुख्य सचिव के अनुमोदिन होने के बाद मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस. ढेसी ने दिनांक 4 फरवरी को मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार की इच्छा के अनुरूप महेन्द्रगढ़ में जिला स्तर के अधिकारियों के बैठने का दिन मंगलवार का निर्धारित कर दिया, जिस पर सामान्य प्रशासन के अवर सचिव ने पत्र जारी कर दिया।

मनीष वशिष्ठ का कहना है कि इतनी तीव्र गति से फाइल चलने के पीछे कोई ना कोई राजनीतिक ताकत का ही हाथ है। उन्होंने कहा कि ऐसी पूरी संभावना है कि महेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक एवं हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा के प्रयासों से ऐसा संभव हुआ है। उन्होंने यह भी संभावना जताई कि अटेली, नारनौल व नांगल चौधरी के विधायकों को इसकी शायद भनक ही नहीं लगने दी। 

उक्त पत्र से दो दिन पूर्व प्रदेश सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के महापंजीयक को महेन्द्रगढ़ में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के लिए अपनी सैद्धांतिक मजूरी दी थी, जिसके विरोध में जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ता अदालती कार्य से विरक्त हो गए थे। उक्त पत्र के दो दिन बाद महेन्द्रगढ़ में मंगलवार को अधिकारी बैठाने का उक्त पत्र जारी कर दिया गया, जिसके बाद अधिवक्ताओं ने एक जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर दिया तथा नारनौल के विधायक एवं प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री औम प्रकाश यादव, नांगल चौधरी के विधायक अभय सिंह यादव, केन्द्र सरकार के मंत्री इन्द्रजीत यादव व प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे। इसके अतिरिक्त नारनौल, अटेली, नांगल चौधरी व निजामपुर कस्बों के बाजार गत 9 फरवरी को पूरी तरह से बन्द रहे।

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