·         पुलिस, प्रशासन ट्रैक्टर परेड के लिये व्यवधान रहित, निर्विघ्न रास्ता सुनिश्चित कराएं. ·         अहिंसा, अनुशासन और शांति किसान आंदोलन की असली ताकत, सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए. . – अच्छा होता कि ट्रैक्टर परेड से पहले ही सरकार किसानों की मांगे मान जाती, आखिर उसे मांगे माननी ही होंगीकहा – किसानों की मांगों का पूर्ण समर्थन, सरकार राजहठ छोड़कर किसानों की मांगे माने

चंडीगढ़, 25 जनवरी। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश व प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस बार गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड न केवल ऐतिहासिक होगी बल्कि, पूरी दुनिया में एक नया विश्व-कीर्तिमान भी बनायेगी। उन्होंने दिल्ली पुलिस के साथ ही संबंधित प्रदेश सरकारों से भी अपील करी कि पुलिस और प्रशासन किसानों की ट्रैक्टर परेड के लिये व्यवधान रहित, निर्विघ्न रास्ता सुनिश्चित कराएं, ताकि किसान शांतिपूर्ण व अनुशासित तरीके से अपना परेड निकाल सकें। अहिंसा, अनुशासन और शांति इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की असली ताकत है। सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए। अच्छा होता कि इस परेड से पहले ही सरकार किसानों की मांगे मान जाती। आखिर उसे मांगे माननी तो पड़ेगी ही। दीपेंद्र हुड्डा ने फिर दोहराया कि किसानों की मांग का हम पूर्ण समर्थन करते हैं।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसान के खून के जर्रे-जर्रे में देश भक्ति है। किसान धरती पुत्र है वो धरती से प्यार करता है। जो धरती से प्यार करता है वो कभी गद्दार नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि चारों तरफ से इस बात की खबरें आ रही हैं कि लाखों ट्रैक्टरों के साथ देश भर के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। दिल्ली की तरफ आने वाले रास्तों पर कई-कई किलोमीटर तक एक इंच जगह नहीं बची। इस ट्रैक्टर परेड के लिये किसानों में जबरदस्त उत्साह है। किसानों ने परेड को शानदार बनाने की भी जोरदार तैयारी की है। ट्रैक्टर परेड निकलने पर पूरी दुनिया देखेगी कि भारत के किसान की ताकत क्या है। जब लाखों की तादाद में ट्रैक्टर पर सवार किसान रंगबिरंगी झांकियों के साथ परेड करेंगे, तो अब तक के सारे अनुमान फेल हो जायेंगे। नया इतिहास रचा जायेगा, विश्व रिकार्ड बनेगा।

उन्होंने किसानों से अपील करी कि वे शांति व अनुशासन को किसी भी हाल में भंग न होने दें। इस अहिंसक, शांतिपूर्ण और अनुशासित आंदोलन को बदनाम करने की किसी भी साजिश को सफल नहीं होने देना है। किसान कभी भी अपनी तरफ से शांति व अनुशासन को भंग नहीं करते। इसका जीता-जागता सबूत पिछले 60 दिन से ज्यादा समय से चल रहा आंदोलन है। किसानों के धैर्य का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 150 से अधिक शहादत के बावजूद भी उन्होंने अपने अहिंसक आंदोलन पर कोई दाग लगने नहीं दिया। दीपेंद्र हुड्डा ने उम्मीद जताई कि सरकार राजहठ छोड़कर, किसानों की मांगो को मानेगी और 2 महीनों से भीषण सर्दी में तपस्या कर रहे किसानों को खुशी-खुशी घर लौटने का मौका देगी।

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