तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे किसान संगठनों ने गुरुवार केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों ने 10वें दौर की वार्ता में तीनों नए कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल तक स्थगित रखने का सुझाव दिया था और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति गठित करने की भी बात कही थी. नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे किसान संगठनों ने गुरुवार केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों ने 10वें दौर की वार्ता में तीनों नए कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल तक स्थगित रखने का सुझाव दिया था और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति गठित करने की भी बात कही थी. सरकार के इस प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक की, जिसमें इसे सर्व सम्मति से खारिज करने फैसला लिया गया. इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं. आज फिर से सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच 11वें दौर की वार्ता होनी है. आज (शुक्रवार) को विज्ञान भवन में दोपहर 12 बजे एक बार फिर से किसान संगठनों और सरकार के मंत्री बातचीत के टेबल पर होंगे. दो दिन पहले सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक टालने का प्रस्ताव दिया था लेकिन किसानों ने उसे खारिज कर दिया. इससे दोनों तरफ फिर से तनातनी बढ़ गई है. बावजूद इसके दोनों पक्ष आज फिर से 11वें दौर की वार्ता करेंगे. उधर किसान संगठन तीनों कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं. विज्ञान भवन की ओर रवाना होने से पहले किसान नेता मनजीत सिंह राय और राजिंदर सिंह ने कहा कि हमारी मांग पहले दिन से साफ़ है कि तीनों क़ानून रद्द कर दिए जाएं. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार झुक रही है, यानी बातचीत असल में अब शुरू हुई है. सिंह ने कहा, हमने कल बैठक में 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च पर चर्चा की और हम उससे पीछे नहीं हटने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “अगर सरकार हमारा ट्रैक्टर मार्च टालना चाहती है तो क़ानून रद्द करे.” सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन में 147 किसानों की मौत हो चुकी है. उन्हें आम सभा ने श्रद्धाजंलि अर्पित की. बयान में कहा गया, ‘‘इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं. इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.”बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था. दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था. इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने वार्ता शुरू कर दी और इस कड़ी में उसने आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से संवाद किया. उच्चतम अदालत ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था. फिलहाल, इस समिति मे तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था. समिति ने एक बयान में कहा कि बृहस्पतिवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से संवाद किया गया. इसमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए. इससे पहले इन कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच दूसरे चरण की बातचीत हुई जो बेनतीजा रही. किसान नेता अपने इस रुख पर कायम रहे कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के व्यस्त बाहरी रिंग रोड पर ही यह रैली निकाली जाएगी. Post navigation साफ बोले किसान हर हाल में दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, दिल्ली, हरियाणा, UP पुलिस से सरकार-किसानों की बातचीत में दूर नहीं हुआ गतिरोध, अगली बैठक की तारीख तय नहीं