धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ । पिंजौर कस्बे के आसपास के उन किसानों ने सरकार के सामने एक नई चुनौती पेश कर दी है जिनकी जमीन एचएमटी लिमिटेड को स्थापित करने के लिए संयुक्त पंजाब में 1961 में अधिगृहित की गई थी । संबंधित किसान इस भूमि में बसे मिल्क और मोहब्बत पुर गांव को छोड़कर इधर-उधर रथपुर पिंजोर आदि गांव में विस्थापित हो गए थे। संबंधित किसानों के वंशजों ने इस बात पर सवाल उठाया है कि पिछली शर्तों को दरकिनार कर सरकार इस भूखंड पर अब नए सिरे से नई परियोजना के तहत लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में सेब सब्जी मंडी स्थापित कर रही है। प्रोजेक्ट बदलने की स्थिति में मैं तो विस्थापितों और पूर्व के भूखंड मालिक किसानों को विश्वास में लिया गया और ना ही उन्हें यहां बन रहे बाजार शोरूम तथा अन्य व्यवसायिक उपक्रमों में कोई वरीयता दी जा रही उन्हें कदीमी मालिक होते हुए भी कभी जमीन की रॉयल्टी तक नहीं दी गई ।

60 वर्ष पूर्व 5 अक्टूबर 1961 को जिन किसानों ने कंपनी स्थापित करने के नाम पर 4062 बिका 18 बिस्वा जमीन केवल मात्र 20 लाख 33422 रुपए में सरकार के डिस्पोजल पर छोड़कर अपने परिवारों को पिंजौर रतपुर अब्दुल्लापुर में विस्थापित किया था उनके परिजन हैरान है अब कंपनी बंद हो गई है और सरकार इस मामले में अपनी सुविधा अनुसार काम कर रही है उन्हें इस बारे में किसी तरीके से भी विश्वास में नहीं लिया गया।

सरकार इस भूमि के लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में सेब मंडी बनाने जा रही है जबकि यह जमीन केंद्र सरकार को दो मुख्य शर्तों पर एक रुपए प्रति एकड़ की लीज पर गिफ्ट डीड की गई थी। शर्त यह थी कि कंपनी अन्य कोई भी उद्योग लगाने से पूर्व केंद्र और प्रदेश सरकार की अनुमति के बिना इसे किसी और को गिफ्ट मोरगेज गिरवी या ट्रांसफर नहीं कर सकती ।आज इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 5000 करोड से अधिक है जबकि इस जमीन में हजारों करोड रूपए की मशीनरी और हजारों करोड़ रूपए से निर्मित कर्मचारियों के 1112 क्वार्टर दो स्कूल ईएसआई अस्पताल डिस्पेंसरी पोस्ट ऑफिस बैंक क्लब स्पोर्ट्स क्लब कम्युनिटी सेंटर मार्केट आदि स्थापित किए गए हैं।तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने 23 अक्टूबर 1963 को फैक्ट्री का उद्घाटन किया था ।पहले यहां केवल लेथ मशीने बनती थी । लगभग 10 वर्ष बाद ट्रैक्टर प्लांट भी लगाया गया था । केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन इस पब्लिक सेक्टर को देशभर में मशीनों की मांग की पूर्ति के लिए आवश्यक उपकरणों के उत्पादन के उद्देश्य से सन 1953 में एचएमटी लिमिटेड बैंगलोर से स्थापित किया गया था।

स्थानीय निवासी गुरु भाग सिंह धमाला पूर्व सरपंच जसविंदर सदस्यों ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने उनके पूर्वजों से नाम मात्र मुआवजे के बदले जमीन ली थी । लेकिन अब उद्योग बंद कर दिया गया है और सेब मंडी में बने शोरूम दुकानों पर पुराने निवासियों इस कृषि भूमि के उस समय के मालिको के बारिशों का पहला अधिकार बनता है ।उन्होंने कहा कि सरकार मंडी की दुकान में शोरूम अपने चहेतों को दे रही है । जबकि ग्रामीणों को उचित मूल्य पर दी जानी चाहिए ।ग्रामीणों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जमीन वापस नहीं दी गई तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे ।बता दें कि तत्कालीन संयुक्त पंजाब सरकार में 5 अक्टूबर 1961 को कुल 4062 बीघा 18 बिस्वा भूमि भूमि अधिकरण कुल 20 लाख 33422 रुपया देकर ग्रामीणों को विस्थापित कर दिया गया था।

23 अगस्त 1965 को भूमि की गिफ्ट डीड की थी कि कंपनी अन्य कोई भी उद्योग लगाने से पूर्व केंद्र और प्रदेश सरकार की अनुमति के बिना इसे किसी और को गिफ्ट मोडगेज गिफ्ट डीड या ट्रांसफर नहीं करेगी । एक संबंधित किसान और समाजसेवी गुर भाग धमाला ने ऐलान किया है कि वह इस मसले को विभिन्न मंचों पर उठाएंगे और सरकार को खोज करते हुए जनता को यह बताने की कोशिश करेंगे कि सरकार चोरी चोरी चुपके चुपके संबंधित किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है उन्होंने कहा कि वे इस मामले में न्यायालय का दरवाजा भी जल्द खटखटाने वाले हैं। अब देखते हैं कि इस संदर्भ में सरकार क्या रुख अपनाएगी।

इस मामले में कानून विशेषज्ञों का यह मानना है कि जब यह भूमि अधिग्रहित की गई उस समय जमीन के मालिकों ने कोई प्रोटेस्ट वगैरह नहीं किया था ऐसे में अब इस दावे में कोई दम नजर नहीं आता।

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