गुरुग्राम नगर निगम अपने भ्रष्टाचार के कारण हमेशा ही चर्चा में रहता है। सुना जाता है कि ठेकेदार, एक्स०ई०इन० और पार्षद मिल कर एक ही काम की अदायगी बार बार करवा देते है और जनता की मेहनत की टैक्स की कमाई खुर्द बुर्द हो जाती है।

यूँ तो चर्चा हर क्षेत्र के कार्यो की आती ही रहती है जैसे बनी हुई सड़क का दुबारा ठेका दे दिया जाता है। इसी प्रकार का एक मामला साउथ सिटी का सामने आया है। साउथ सिटी से लगते हुए फलुओरोसेंट रोड को बनाने के नाम से ठेका हुआ था लेकिन उसमें घोटाले की बू आ रही है। टेंडर में रोड का नाम तो फलुओरोअसेंट रोड लिखा हुआ है लेकिन नक्शा साउथ सिटी के D ब्लॉक का लगा हुआ है जबकि साउथ सिटी की सभी सड़क बनाने का 7 करोड़ रुपये का ठेका अलग से हुआ था। पता ये भी लगा है कि फलुओरोसेंट रोड साउथ सिटी से 4 किमी दूरी पर है जो पहले से ही बहोत अच्छी बनी हुई है और उसको दुबारा बनाने की जरूरत ही नही है।

टेंडर की ID है 2020_HRY_132805_2 और रिफरेन्स नंबर है EE IV/MCG/2020/16817/2
इसी प्रकार के कई मामले अन्य स्थानों पर भी चर्चा में आये रहते है और कहा तो ये भी जा रहा है कि हर पार्षद के अपने चहेते ठेकेदार है और वो अपने वार्ड में उन्ही ठेकेदारो से काम करवाना चाहते है। इसी प्रकार एस०डी०ओ० और एक्स०ई०इन० के भी चहेते ठेकेदार है। कुल मिलाकर कह सकते है कि ये एक नेक्सस बना हुआ है। चर्चा में ये है कि ये नेक्सस टेंडर लेने से लेकर काम पूर्ति तक और पेमेंट होने तक मिल जुलकर लगभग हर काम मे अनियमितताये बरतता है और इससे जनता की टैक्स की कमाई का दुरुपयोग होता है।

नैतिकता की बात करना तो आज के समय में व्यर्थ है लेकिन फिर भी निगम में कमिश्नर से लेकर निचले दर्जे के कर्मचारी तक ओर निगम की बिल्डिंग और अन्य सभी खर्चे जनता के टैक्स से ही चलते है तो ये तो ध्यान रखना ही चाहिए कि जिनकी कमाई से घर चला रहे है उनका 100% नही तो कुछ तो ध्यान रखे।