पिछड़ा वर्ग की रहेगी चुनाव में निर्णायक भूमिका, कांग्रेस लगी पिछड़ा वर्ग को रिझाने में, भाजपा ने झौकी अपनी ताकत

ईश्वर धामु
चंडीगढ़ ।  बरोदा का उप चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्र बन गया है। भाजपा ने अपनी पूरी ताकत जीत के लिए झौंक दी है तो कांग्रेस नेताओं ने भी अपने डेरे क्षेत्र में डाल दिए हैं। जाट बाहुल्य इस क्षेत्र में इस उप चुनाव में पिछड़े वर्ग की भूमिका निर्णायक रहेगी।

भाजपा ने भी रोहतक के लोकसभा चुनाव की तर्ज पर चुनावी रणनीति बनाई है। भाजपा ने जाट बाहुल्य क्षेत्र में गैर-जाट पहलवान योगेश्वर दत्त को अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि योगेश्वर दत्त 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। परन्तु भाजपा ने दोबारा उन्ही पर दांव खेला है। दूसरी ओर कांग्रेस का प्रत्याशी इंदूराज नरवाल भालू एक नया चेहरा है। हालांकि बरोदा क्षेत्र में करीब 92 हजार जाट मतदाता है। परन्तु अब बने हालातों में निर्णायक पिछड़ा वर्ग का मतदाता रहेगा।

भाजपा ने अपने जाट नेताओं के अलावा सांसद रामचन्द्र जांगिड़ा जैसे पिछड़े नेताओं को मैदान में उतारा हुआ है। परन्तु कांग्रेस ने भी पिछड़े वर्ग के 11 प्रभावी नेताओं को चुनावी जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस की प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा ने इस बारे में रणनीति तय कर पिछड़े वर्ग के 11 दिज्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस पिछड़े वर्ग की 72 जातियों के 32 प्रतिशत वोट हासिल करने की रणनीति में लगी हुई है।

कांग्रेस के पिछड़े वर्ग के नेता भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर दत्त के आरक्षण खत्म किए जाने के ट्विट को भी मुद्दा बना रहे हैं। पिछड़े वर्ग को रिझाने के लिए कांग्रेस ने बरोदा हल्के में पिछड़ा वर्ग का सम्मेलन भी किया है। कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के प्रभावी चेहरा योगेन्द्र योगी की इस उप चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका में है। बरोदा का उप चुनाव जंहा भाजपा, कांग्रेस, इनेलो की राजनीति तय करेगा, वहीं दूसरे दर्जे के नेताओं का राजननैतिक भविष्य भी तय करेगा। कांग्रेस की नियत इसी से साफ हो जाती है कि पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा पहुंचे। शायद किसी उप चुनाव में यह पहला मौका होगा, जब पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका में होगा।

चर्चाकारों का कहना है कि इस उपचुनाव में भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के परम्परम्परागत वोटों में भी सैंधमारी होगी। अभी तक वोटर चुपी साधे हुए हैं। भाजपा की सरकार में सहयोगी पार्टी जेजेपी भी चुनाव में भागीदारी कर रही है। परन्तु अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि जेजेपी अपने वोट को भाजपा तक ले भी जा पायेगी? अभी तरह तरह की चर्चाएं चल रही है। किन्ही हालातों में अगर जेजेपी के वोटर ने भाजपा को नहीं अपनाया तो इसका लाभ कांग्रेस का अधिक मिलेगा। दूसरी ओर इनेलो बरोदा उप चुनाव के बहाने अपना जनाधार को विस्तार और लोगों में विश्वास पैदा करने की लड़ाई लड़ रही है।

निसंदेह चुनाव प्रचार में इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। उनका भाषण अभी भी वोटर को आकर्षित करता है। पर बरोदा उप चुनाव की चुनावी राजनीति में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। सभी पार्टियों के मतदाताओं के विचारधारा में बदलाव हो रहा है। यही बदलाव बरोदा उप चुनाव की परिणाम तय करेगा।