सरकार नहीं संभाल पा रही किसान आंदोलन

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

लगता है कि हरियाणा सरकार किसान आंदोलन को संभाल नहीं पा रही है। या यूं कहें कि नए कृषि कानून किसानों के हित में है, यह किसानों को समझाने में सरकार नाकाम लगती है।

मंगलवार को जिस प्रकार सिरसा में उपमुख्यमंत्री का त्यागपत्र मांगने और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, मंत्री रणजीत चौटाला तथा सांसद सुनीता दुग्गल का घेराव करने के लिए किसानों का जनसैलाब उमड़ा, उसकी भाजपा सरकार को ही आशा नहीं थी और इसी प्रकार राहुल गांधी के दौरे पर जो किसानों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया, इन बातों से भाजपा सरकार में बेचैनी तो बनी दिखाई देने लगी है।

हरियाणा सरकार और भाजपा संगठन पिछले महीने से सब काम छोडक़र केवल और केवल किसानों को यह समझाने में लगा है कि तीनों नए कृषि कानून उनके हितकारी हैं लेकिन मंगलवार को जिस प्रकार किसान एकत्र हुए, वह यह साबित करने के लिए काफी है कि किसानों पर भाजपा के समझाने का असर नहीं हो रहा। यह बात विपक्षी भी समझ रहे हैं और भाजपा के कार्यकर्ता भी समझ रहे हैं। शायद इसी का परिणाम हो कि आज भाजपा के विधायक असीम गोयल विधानसभा के सामने अपनी ही सरकार के विरूद्ध धरने पर बैठ गए। वह तो धरने पर बैठ गए, हिम्मत दिखाई किंतु सूत्रों के अनुसार ज्ञात हुआ है कि भाजपा के कुछ और विधायक यह सोच रहे हैं कि हमें ऐसे में सरकार के साथ रहना चाहिए या कि जनता के।

भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि विधायक सोच रहे हैं कि अगली बार तो मोदी के नाम से विधायक बनने से रहे, जनता का ही साथ चाहिएगा और इस समय जनता किसानों के साथ दिखाई दे रही है तो क्या हमें किसानों के साथ होना चाहिए?

उसने आगे कहा कि कुछ विधायक यह भी सोचने लगे हैं कि देर-सवेर दुष्यंत चौटाला को जनता के दबाव में सरकार से समर्थन वापिस लेना ही पड़ेगा और उस स्थिति में हरियाणा सरकार का गिरना तय है, क्योंकि निर्दलीय भी लगता नहीं कि साथ देकर सरकार बचा पाएंगे, क्योंकि कुछ निर्दलीय तो अभी भी सरकार के विरूद्ध बोलना शुरू हो गए हैं।

वर्तमान में नए बने प्रदेश प्रधान ओमप्रकाश धनखड़ अपने संगठन को बनाने के लिए ही समय नहीं निकाल पा रहे। पहले तो उन्होंने कहा था कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के सप्ताह में ही सारी कार्यकारिणी घोषित हो जाएगी फिर उन्होंने कहा कि श्राद्धों के पश्चात होगी, फिर ओमप्रकाश धनखड़ ने गुरुग्राम प्रेसवार्ता में कहा कि सितंबर माह में कार्यकारिणी अवश्य घोषित हो जाएगी। फिर सूत्रों से आवाज आई कि दो अक्टूबर को घोषित करेंगे लेकिन आज 8 अक्टूबर तक भी स्थिति जस की तस है।

भाजपा के लिए एकमात्र राहत की बात यह है कि हरियाणा में विपक्ष नाम की चीज नहीं है। राहुल गांधी के दौरे से भी कांग्रेस में कोई बदलाव आया हो, ऐसा दिखाई नहीं दे रहा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा अकेले अपने तरीके से अपना वर्चस्व बनाना चाहते हैं। उनकी निगाह केवल और केवल बरौदा उपचुनाव पर है। बाकी हरियाणा के उनके कार्यकर्ता अब भी निष्क्रिय हैं। यही भाजपा के लिए संतोष की बात है कि उसे अब सिर्फ खुद से लडऩा है।

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