भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

रविवार को सारा दिन सोशल मीडिया पर चलता रहा कि हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगेगा। कल ही मुख्यमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले। उसके पश्चात सुनने में यह भी आ रहा है कि आज उनकी प्रधानमंत्री से भी मुलाकात संभव है।

हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद दुष्यंत चौटाला पर इस्तीफे का दबाव बन रहा है। उनकी पार्टी के विधायक भी कुछ ओर-छोर में बोल रहे हैं। इसके चलते मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी की चिंता हुई और वह निर्दलीयों को पक्ष में करने की प्रयास में लग गए। इधर, हाइकमान की निगाह भी हरियाणा पर टिकी हुई है तो हाइकमान ने हरियाणा की स्थिति को खुद संभालने का निर्णय किया लगता है। इसी कड़ी में उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री व अन्य से हुई।

हाइकमान को यह नजर आ रहा है कि वर्तमान में स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है, क्योंकि राष्ट्रपति शासन के पश्चात भी सत्ता तो भाजपा के पास ही रहेगी और विपक्ष इतना प्रबल दिखाई नहीं देता कि वह सरकार बनाने के लिए मांग कर सके।

दूसरी ओर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हाइकमान को यह भी ज्ञात हुआ कि मुख्यमंत्री खट्टर से उनके मंत्री और विधायक भी उनसे संतुष्ट नहीं हैं और अब इन तीन कृषि संबंधी कानूनों के चलते वे विधायक बागी भी हो सकते हैं, यह कहकर कि हमें जनता ने चुना है, हम जनता के साथ अर्थात किसानों के साथ खड़े रहेंगे।

सूत्रों के अनुसार ताजा जानकारी यह है कि भाजपा ने यह निर्णय लिया है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को कोई और जिम्मेदारी देकर हरियाणा का मुख्यमंत्री किसी और को बनाया जाए। किसे बनाया जाए, यह अभी निर्णय ज्ञात जानकारी के अनुसार नहीं हुआ है। ऐसी संभावना है कि विधानसभा के विधायकों के अतिरिक्त भी किसी और को मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा जा सकता है और उसे फिर विधायक का चुनाव लड़ाकर जिता दिया जाएगा। अब आने वाला समय ही बताएगा कि क्या निर्णय हुए हैं लेकिन यह अवश्य दिखाई दे रहा है कि भाजपा ने इस समय की नजाकत को समझ लिया है और अब इसे केंद्र अपने तरीके से संभालने में लग गया है।

बातें बहुत निकलकर आ रही हैं कि असंतुष्टों को संगठन में पद देकर सरकार में चेयरमैन पद देकर और मंत्रीमंडल विस्तार में किसी को मंत्री बनाकर संतुष्ट कर सरकार को सुगमता से चलाने के प्रयास किए जाएंगे परंतु इसमें परेशानी यह नजर आ रही है कि मुख्यमंत्री ने बहुतों को पद का आश्वासन दे रखा है, जबकि पद उस लिहाज से बहुत कम हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के प्रयास में कहीं अनेक कार्यकर्ताओं को असंतुष्ट न कर जाएं। समस्याएं बहुत हैं भाजपा के पुराने शीर्ष नेता भी अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में उनका क्या रवैया रहता है, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हरियाणा भाजपा सरकार के लिए आने वाला समय बहुत चुनौतीपूर्ण है।

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