डिप्टी सीएम दुष्यंत ने दिए थे समयबद्ध जांच के आदेश. पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार को सौंपी गई जिम्मेदारी. सोमवार को फिर दी गई आगामी 5 अक्टूबर की तारीख फतह सिंह उजाला पटौदी । सुबे में बीजेपी नेतृत्व वाली बीजेपी-जजपा गठबंधन सरकार जीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रशासन के मुद्दे को लेकर काम कर रही है । पटौदी में अपनी तरह का एक अनोखा ही भ्रष्टाचार का गंभीर मामला सामने आया और इसकी शिकायत डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को जांच सहित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के संदर्भ में सौंपी गई । इस जांच की जिम्मेदारी पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार के हवाले करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट तलब की गई । लेकिन लेकिन बीते 15 दिनों के दौरान जो कुछ भी जांच के नाम पर हुआ, वह यह है की जांच के नाम पर तारीख पर तारीख देने का खेल चल रहा है। लाख टके का सवाल यह है कि यदि विकास कार्य के काम निष्पक्ष और पूरी पारदर्शिता के साथ करते हुए भुगतान किए गए हैं तो फिर आरोपी संबंधित विभाग को इस मामले में दस्तावेज उपलब्ध करवाने में क्या परेशानी आ रही है ? सूत्रों के मुताबिक इस अपनी किस्म के अनोखे घोटाले की जांच करने वाले अधिकारी के द्वारा कथित रूप से आरोपी पक्ष पटौदी के बीडीपीओ कार्यालय को ही जांच के दूसरे चरण में सोमवार को तलब किया गया । जबकि शिकायतकर्ता जोकि पंचायत समिति के चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें पूरी तरह अंधेरे में रखा गया । न्याय और जांच का प्राकृतिक नियम भी यही है कि सुनवाई अथवा जांच के दौरान दोनों पक्षों को मौजूद होना चाहिए । इससे पहले इसी मामले में पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार जांच अधिकारी के द्वारा बीते 18 सितंबर को शिकायतकर्ता पंचायत समिति सदस्य नरेश कुमार और बीडीपीओ कार्यालय पटौदी को संबंधित दस्तावेज और साक्ष्य के साथ तलब किया गया था । लेकिन आरोपी पक्ष कथित रूप से किसी भी प्रकार के दस्तावेज अथवा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका । इस पर 10 दिन का समय और दिया गया और अब सोमवार को जो चैंकाने वाली जानकारी मिली , वह यह है की सोमवार को की जाने वाली जांच के विषय में प्रतिपक्ष बीडीपीओ कार्यालय को तो सूचना दे दी गई लेकिन कथित रूप से प्रतिपक्ष शिकायतकर्ता पंचायत समिति सदस्य नरेश कुमार को पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया । इससे पहले जिज्ञासा वश नरेश कुमार के द्वारा एसडीएम कार्यालय में ही फोन करके आगामी तिथि जांच के संदर्भ में जानकारी मांगने पर कथित रूप से कहा गया कि आपको सूचना भेज दी गई है ? लेकिन ऐसा कोई भी संतोषजनक जवाब एसडीएम कार्यालय से नहीं मिला की शिकायतकर्ता को जांच की प्रक्रिया से अलग क्यों रखा जा रहा है । सूत्रों के मुताबिक सोमवार को भी जांच अधिकारी पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार का झुकाव और साफट कॉर्नर इस पूरे घोटाले में आरोपी बनाए गए बीडीपीओ कार्यालय और वहां से आए अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ महसूस किया गया ? सूत्रों की माने तो एसडीएम ने शिकायतकर्ता को संतुष्ट करने के लिए बीडीपीओ कार्यालय से आए हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाह दे डाली। इस मोटरसाइकिल बनाम रोड रोलर, जेसीबी सहित अन्य वाहन संबंधित घोटाले के जो दस्तावेज आईटीआई के जवाब में उपलब्ध करवाए गए, उनकी संख्या 400 से अधिक बताई गई है । कथित रूप से सोमवार को एसडीएम जांच अधिकारी प्रदीप कुमार ने शिकायतकर्ता को यह कहकर की केवल मात्र दो ही बिलों में छोटी मोटी गलती है, संतुष्ट करने का प्रयास किया । सूचना अधिकार के तहत पंचायत समिति पटौदी के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के द्वारा नियम 47 और 50 के तहत 11 अप्रैल 2019 को 846 रूपए आरटीआई के तहत उपलब्ध करवाए गए दस्तावेजों की फीस वसूल की गई । इससे स्पष्ट है कि प्रति दस्तावेज 2 रूपएके हिसाब से उपलब्ध करवाए गए दस्तावेजों की संख्या 400 से अधिक की है। बहरहाल सोमवार को भी कथित रूप से इस अनोखे घोटाले के आरोपी बीडीपीओ कार्यालय पटौदी के द्वारा किसी भी प्रकार के संतोषजनक दस्तावेज सहित साक्ष्य जांच अधिकारी पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार के सामने प्रस्तुत नहीं किए जा सके । इससे पहले ऐसी भी सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली कि बीडीपीओ कार्यालय पटौदी के द्वारा सोमवार की जांच से पहले ही पटौदी एसडीएम कार्यालय में जांच से पहले यह तर्क दिया गया कि संबंधित रिकॉर्ड कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, जिस अधिकारी के पास संबंधित रिकॉर्ड था उसका यहां से तबादला हो चुका है ।अब सवाल यह है क्या ऐसा संभव है कि किसी कर्मचारी अथवा अधिकारी का कार्यस्थल से तबादला हो जाए तो क्या वह अपने साथ सरकारी दस्तावेज भी लेकर जा सकता है ? अब नजरें आगामी 5 अक्टूबर पर आकर टिकी है, कि इस दिन आरोपी पक्ष बीडीपीओ कार्यालय के द्वारा पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार इस घोटाले की जांच अधिकारी के सामने क्या और किस प्रकार के तर्क सहित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे । जिससे कि जांच अधिकारी अपनी निर्णायक रिपोर्ट हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला के पास भेज कर दूध का दूध और पानी का पानी कर आरोपी के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे । Post navigation राष्ट्र की उन्नति में पर्यटक स्थलो का महत्व: संजीव राव सचिव का दावा या सफेद झूठ….क्या सच में लोगों ने ही तोड़े पेयजल और सीवरेज के कनेक्शन ?