कमलेश भारतीय आजकल टीवी चैनल्ज पर एक ही पुकार होती सुनाई देती है -रिया । रिया । रुको रिया । हमारे सवालों के जवाब देती जाओ । अरे । हमारे कैमरामेन को रोक दिया मुम्बई पुलिस ने । यह मुम्बई पुलिस नम्बर वन आरोपी का साथ दे रही है । हमें कवरेज करने से रोका जा रहा है । सोचिए , यह स्तर पहुंच गया हमारी रिपोर्टिंग का । लाइव कवरेज के नाम पर । हांफते हुए बताएंगे कि रिया घर से निकली है अभी अभी । हमारी गाड़ी पीछा कर रही है । हमारे ग्यारह कैमरामैन पीछे लगे हैं रिया के । एक एक गतिविधि हम आपके सामने लायेंगे । यह कैसी प्रतियोगिता टीवी चैनल्ज में ? आखिर यह कैसा स्तर है टीवी चैनल्ज का ? प्रेस परिषद भी निर्देश जारी कर चुकी है कि टीवी चैनल्ज अपनी मर्यादा में रहें । अपनी हद पहचाने । सीमा से आगे न जाएं । आगे रास्ता खतरनाक है । ऐसी चेतावनी की कोई परवाह नहीं । बस । टीआरपी । सबसे आगे निकलने की होड़ । इस होड़ में सब मर्यादाएं पार कर रहे हैं । कोई रिया का इंटरव्यू विस्फोटक कह कर प्रस्तुत करता है तो कोई कंगना रानौत का । मकसद एक ही टीआरपी बढ़ाने का और अपने चैनल को नम्बर वन बनाने का । इससे सीबीआई या किसी भी जांच एजेंसी पर क्या फर्क पड़ने वाला है । वे जांच करेंगी या आपकी कवरेज देखेंगी ? फिर दावा करते हैं कि यह हमारे सी सवाल पूछ रही है सीबीआई । कमाल है । आपका अपना फील्ड ।सीबीआई अधिकारियों का अपना अपना अनुभव और जांच का तरीका । आप जासूसी नहीं कवरेज कीजिए । सनसनी नहीं तथ्य दीजिए । एक हारर शो में न बदलिए सुशांत की मौत को । बहुत संवेदनशील मामला है । किसी की भावनाओं को समझो । आप चैनल के माध्यम से दिल न दुखाओ । शेखर सुमन ने सही कहा कि हमारी मुहिम थी कि सीबीआई जांच करे और सीबीआई जांच कर रही है । अब हमें सीबीआई को जांच करने देना चाहिए । कृपया टीवी रिपोर्टिंग का स्तर बनाये रखिए । बड़ी कृपा होगी । Post navigation अनलॉक-4 : क्या रहा पहले जैसा, नया क्या है? पापा छत्रपति श्रेष्ठ पत्रकार ही नहीं खूबसूरत इंसान भी थे : क्रांति सिंह