भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
जैसा कि पहले भी दिखाई दे रहा था कि जो भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर आसीन होगा, उसे अनेक कठिनाइयों से गुजरना होगा, वैसा ही कुछ अब हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ अब तक जिला अध्यक्षों की घोषणा कर नहीं पाए हैं। पार्टी पदाधिकारियों की बैठक लेने में ही व्यस्त नजर आ रहे हैं। जिस जोश से हरा-भरा हरियाणा अभियान की शुरुआत की थी, सभी मंत्री, पदाधिकारी सम्मिलितत थे। उसके अनुसार पार्टी कार्यकर्ताओं ने पूरा साथ नहीं दिया। यह तो हम नहीं कहेंगे कि यह अभियान फेल हो गया लेकिन यह अवश्य बनता है कि आशातीत सफलता इसे प्राप्त नहीं हुई। अभी दूसरा कोई अभियान आरंभ किया नहीं है।
बरोदा उप चुनाव सिर पर है। जेपी दलाल को प्रभारी बनाकर यह दर्शाया कि मैं अपने अनुसार काम करूंगा लेकिन दबी-छुपी आवाजें उनके इस निर्णय के विरुद्ध उठी हैं। बरोदा उप चुनाव का उम्मीदवार घोषित करना भी टेढ़ी खीर होता साबित नजर आ रहा है, क्योंकि जजपा, वहां के सांसद रमेश कौशिक, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और इस प्रकार के कई फैक्टों को एक बिंदु पर रजामंद करना आसान नहीं होगा।
इसी प्रकार पिछले दिनों संकेत आए थे कि 16 अगस्त को जिला अध्यक्षों की घोषणा हो जाएगी किंतु नहीं हुई। यह तो तय लगता है कि सभी जिला अध्यक्षों की घोषणा एक साथ करना शायद मुमकिन नहीं हो पाएगा लेकिन शुरुआत कब होगी और यह प्रक्रिया कब संपूर्ण होगी, यह बड़ा सवाल है। इसके पश्चात प्रदेश कार्यकारिणी भी बननी है।
यह तो हुआ मुख्य जो दिखाई दे रहे हैं उनका लेकिन इनके पीछे जो छिपा है, वह यह है कि जिला अध्यक्ष और पदाधिकारी बनने के पश्चात पार्टी एकजुट रहे, ऐसा न हो कि जिनको पद नहीं मिला है, वे मोर्चा खोल लें।
सबसे बड़ी समस्या पार्टी के जनाधार को रोकना है, बढ़ाने की बात तो दूर की कौड़ी है, क्योंकि वर्तमान में भाजपा सरकार से जनता का मोह भंग होता नजर आ रहा है। जिसका प्रमाण यह है कि प्रदेश के लगभग सभी कर्मचारी प्रदर्शन और विरोध की राह अपनाए हुए हैं। सरकार का रवैया यह नजर आ रहा है कि यह तो अपने आप सब सुलझ जाएगा तो घोषणाएं लगी हुई है। जबकि जनता को उनकी घोषणाओं पर ऐतबार कम ही है, क्योंकि कोविड-19 जोकि इस वक्त देश-प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है, उसकी ओर सरकार का रवैया जनता को संतोषजनक नहीं लग रहा है।