वेदप्रकाश विद्रोही

12 अगस्त 2020 ,  स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक वक्तव्य में कहा हरियाणा के वे नागरिक जो शहरों के पास के उन गावो के है जो क्या तो शहरी सैक्टरों से घिर गए या सरकार द्वारा घोषित कंट्रोल्ड एरिया में आ गए उनकी आवासीय स्थिति बड़ी विकट होती जा रही है1            

 विद्रोही ने कहा ऐसे गावो के नागरिको को अपने ही गाँव में अपनी ही भूमि की कंट्रोल्ड एरिया होने के कारण आवासीय प्लाटो-घरो की रजिस्ट्रियां नहीं होती1 और यदि कोइ रजिस्ट्री करा भी लेता है तो ऐसी रजिस्ट्रियो को घोटाला करार दे दिया जाता है1 जो ग्रामवासी तहसीलों में चढ़ावा चढ़ाकर आवासीय प्लाटो-घरो की रजिस्ट्रियां करवाने में कामयाब भी हो जाते है उस भूमि को खाली प्लाट की जगह एक-आध कमरे का मकान बताकर रजिस्ट्री हो भी जाती है तो उनके ऐसे मकानों को नगर योजनाकार अवैध मकान-निर्माण बताकर जब-चाहे तब तोड़ देता है1               

 विद्रोही ने कहा पुरे हरियाणा में लगभग 15 लाख मकान ऐसे है जो गाँवों की ज़मीन होते हुए भी कंट्रोल्ड एरिया में पडऩे के कारण जिला योजनाकार की नजरो में अवैध मकान है1 जिन्हे जिला नगर योजनाकार जब चाहे तब अवैध निर्माण बताकर अपना हथोड़ा चलाकर 15 लाख परिवारों को कानून बेघर करके सडको पर पटक सकता है1 बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के इस खेल में कोई कसूर न होते हुए भी आमजन पीस रहा है1 और योजनाकार विभाग के हाथो शोषण का शिकार भी हो रहा है1 एक तरह से आमजन को अपनी ज़मीन पर बने कथित अवैध मकान को छोडक़र बिल्डरों द्वारा एक-दो कमरों के आवासीय बिल्डिंगो में फ़ैलेट लेने को बाध्य किया जा रहा है1                     

 विद्रोही ने इसका उदाहरण देते हुए बताया उनके खुद के शहर रेवाड़ी में गढ़ी बोलनी रोड पर राजेश पायलट चौक के पास डालियावास गाँव है1 आज यह गाँव चारो तरफ से क्या तो रेवाड़ी शहर या हुडा सैक्टरों या निजी बिल्डरों की सोसायटीज से घिरा होने के कारण अब यह पता करना भी मुश्किल है यह गाँव है या शहरी स्लम बस्ती? डालियावास के लगभग 76 घर तो गाँव के लाल डोरे के भीतर है1 जबकी लगभग एक हजार घर गाँव की कृषि भूमि में लाल डोरे के बहार बने हुए है1 अपनी खुद की कृषि भूमि पर गाँव के लाल डोरे के बहार बने होने के कारण उक्त सभी एक हजार के आसपास के घर कानून की भाषा में अवैध निर्माण है1 क्योकि उक्त घर कंट्रोल्ड एरिया में पडऩे के कारण सभी घर अवैध निर्माण की परिभाषा में आते है1 और इन्हे जिला नगर योजनाकार जब चाहे तब हथोड़ा चलाकर तोड़ सकता है1 जबकी व्यवाहरिक रूप से उक्त घर अवैध नहीं है1 यही स्थिति शहरों से घिरे हर उस गाँव की है जो कंट्रोल्ड एरिया में आ गए1             

विद्रोही ने कहा प्रदेश के ऐसे लगभग 15 लाख घर कानून अनुसार न तो गाँव में है और न ही शहर की श्रेणी में है1 ऐसे सभी घर कानून अनुसार अवैध निर्माण है1 जबकी व्यवाहरिक रूप से यह गलत है1 इन घरो के मालिक अपनी किसी आर्थिक आपदा में भी अपने घरो को नहीं बेच सकते1 क्योकि उन्हें इन घरो की दुसरो के नाम रजिष्ट्रिया करवाने न तो नगर निकाय और न ही जिला योजनाकार एनओसी देते1 जिसके कारण तहसीलों में चढ़ावा चढ़ाकर की गयी इनकी रजिस्ट्री भी कानून अनुसार अवैध है1 जब कोई नागरिक आर्थिक आपदा, जरुरत पडऩे या अन्य स्थान पर मकान बनाने की स्थिति में अपना खुद का घर भी नहीं बेच सकता तो ऐसे मकान मालिकों की तकलीफ का वर्णन करना भी मुश्किल है1 ऐसा नहीं की इस कठिनाई को सांसद, विधायक, अधिकारी, सरकार या आमजन नहीं जानते हो1 पर कोई भी जानते हुए भी इस स्थिति का समाधान नहीं करता1             

 विद्रोही ने कहा जनप्रतिनिधि इस डर से ऐसे लोगो की आवाज सार्वजनिक रूप से नहीं उठाते कही ऐसा करने पर उसे अवैध कॉलोनियां काटने वाले भू माफिया से जोडक़र बदनाम न कर दिया जाए1 प्रदेश के लगभग ऐसे 15 लाख घरो के मालिकों की स्थिति अजीबो-गरीब बन  गई1 लालफीताशाही के चक्कर में उनकी स्थिति धोबी के उस कुत्ते जैसी बन गयी जो न घर का रहा और न घाट का1 सरकार को लोगो को ऐसी स्थिति से बहार निकालने का समाधान करना होगा1              

 विद्रोही ने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर से आग्रह किया ऐसे सभी मकानों को कानून अनुसार वैध निर्माण घोषित किया जाए1 ताकि उक्त मकानों के मालिक बे-रोक टोक अपने मकानों को बेच सके और उन्हें रजिस्ट्रियां करवाने में किंचित भी समस्या न आये1 

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