भाजपा आलाकमान नहीं चाहेगी उप-चुनाव हारना, भाजपा प्रत्याशी के बरोदा उप-चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने से जेजेपी कार्यकर्ताओं में रोष 

ईश्वर धामु 

चंडीगढ़।  बरोदा उप-चुनाव को लेकर प्रदेश की राजनीति में गरमी आने लगी है। विपक्ष और सत्ता पक्ष एक दूसरे को ललकारने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्तमान मुख्यमंत्री को बरोदा से उप-चुनाव लडऩे तक का चैलेंज दे दिया। अब सभी राजनैतिक दलों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर अपने नेताओं को चुनावी दंगल में उतार दिया है। बताना होगा कि यह उप-चुनाव कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के कारण खाली हुई सीट पर होगा। अभी उप-चुनाव अक्तूबर में होने की सूचनाएं आ रही है।

कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने बरोदा से लगातार तीन चुनावों में जीत हासिल की थी। विधानसभा के 2019 के चुनाव में श्रीकृष्ण हुड्डा ने भाजपा के योगेश्वर दत्त को 4840 वोटों से हराया था। हुड्डा को 42566 वोट हासिल हुए थे। जबकि जेजेपी का प्रत्याशी भूपेन्द्र मलिक को 32480 वोट मिले थे और वें तीसरे स्थान पर रहे थे। इस चुनाव में इनेलो के जोगिन्दर को 3145 वोटों पर संतोष करना पड़ा था।

लेकिन इस बार राजनैतिक हालात बदले हुए हैं। उस समय चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाला जेजेपी अब भाजपा की सत्ता में हिस्सेदार है। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल यह घोषणा कर चुके हैं कि भाजपा और जेजेपी मिल कर चुनाव लड़ेंगे। परन्तु इस उप-चुनाव में प्रत्याशी भाजपा का होगा। बताया यह भी गया है कि भाजपा का प्रत्याशी अपनी पार्टी के चुनाव चिंह पर ही चुनाव लड़ेगा और जेजेपी उसका समर्थन करेगी। हालांकि अभी तक ऐसा उपरी स्तर पर ही तय किया गया है।

परन्तु इस निर्णय पर जेजेपी का मूल कार्यकर्ता खुश नहीं बताया गया है। जेजेपी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि बरोदा उप-चुनाव में प्रत्याशी जेजेपी का हो और अपनी ही पार्टी के चुनाव चिंह पर चुनाव लड़ा जाए। ऐसी विचारधारा के जेजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि सत्ता में पहले से ही उनकी पार्टी को आपेक्षित हिस्सेदारी नहीं मिली हुई है। इसलिए इस उप चुनाव में उनकी पार्टी का हक बनता है। दूसरी ओर चर्चाकारों का मानना यह है कि जब बरोदा उप-चुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने का समय आयेगा, उस समय भाजपा बड़ा दिल दिखाते हुए यह उप-चुनाव जेजेपी को लडऩे का मौका दे देगी। उस समय इस बात के समर्थन में दलिले क्या दी जाए, उसका अभी कयास ही लगाया जा सकता है। परन्तु भाजपा ऐसा कर सकती है।

इसके लिए चर्चाकारों का कहना है कि अभी तक के राजनैतिक हालातों से लग रहा है कि बरोदा उप-चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रह सकता है। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल को बरोदा का उप-चुनाव लडऩे का चैलेंज देकर जाट मतदाताओं में सुगबुगाहट पैदा कर दी है। हालांकि इस समय में इनेलो का ग्राफ बढ़ा है पर अभी तक पार्टी चुनाव में टक्कर देने की स्थिति में नहीं आई है। अब भाजपा की नजरें भी प्रदेश प्रधान के नाम पर टीकी हुई है। लेकिन सर्वेकारों ने भाजपा आलाकमान को बरोदा उप चुनाव में हार के बारे में अवगत करवा दिया है।

भाजपा के सूत्र बताते हैं कि प्रदेश प्रधान की घोषणा के बाद पार्टी बरोदा उप चुनाव पर मंथन प्रारम्भ कर देगी। मंथन और पार्टी के अपने सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा निर्णय लेगी। पर भाजपा के उच्च स्तरीय सूत्र यह मानते हैं कि पार्टी को उप-चुनाव में हार का डर सता रहा है। अगर किन्ही भी कारण से भाजपा बरोदा उप चुनाव हार जाती है तो यह पार्टी के लिए हरियाणा में बड़ा झटका होगा। इसलिए पार्टी के शीर्ष नेता नहीं चाहेंगे कि पार्टी की उप-चुनाव में हार हो। चर्चाकारों का कहना है कि अगर यही सोच काम करती है तो भाजपा आलाकमान माहौल बना कर जेजेपी को उप चुनाव लडऩे का मौका दे सकती है। 

error: Content is protected !!