20 जून, 2020. सत्ता के नशे में चूर हरियाणा की कर्मचारी विरोधी भाजपा-जजपा सरकार प्रदेश के कर्मचारियों को परेशान करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। महामारी के इस संकट के दौर में भी आए दिन यह सरकार नए तुगलकी फरमान देकर कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रही है। 19 जून को जारी नए तुगलकी फरमान में हरियाणा सरकार ने 4,400 कम्प्यूटर शिक्षकों व लैब सहायकों की तनख्वाह बंद कर दी है।

एक तरफ तो सरकार उद्योगपति और दुकानदारों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए कह रही है, वहीं दूसरी तरफ यह सरकार अपने ही कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे रही, जो इस सरकार की कथनी और करनी के अंतर और दोहरे चरित्र को साफ दर्शा रहा है।

आकड़ें गवाह हैं की प्रदेश की बेरोजगारी दर इस सरकार के निकम्मेपन और गलत नीतियों के कारण इस समय 43 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है। प्रदेश के उद्योग धंधे तबाह हो रहे हैं, प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां है नहीं, ऐसे में सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के वायदा करके सत्ता में आयी भाजपा सरकार द्वारा वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। सरकारी नौकरी यह सरकार साजिशन देना नहीं चाहती, ऐसे में अब जो सरकारी कर्मचारी पहले से ही कार्यरत हैं उनको भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। इससे बड़ा निकम्मापन इस सरकार का और क्या हो सकता है और उससे भी बड़ा प्रश्न है पढ़ रहे छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा और लैब में सहायता कौन करेगा ?

इस सरकार के कर्मचारी विरोधी होने के कई सबूत पहले भी सामने आ चुके हैं। इस सरकार के नेताओं के सिर पर सत्ता का घमंड इस कदर चढ़ा हुआ है कि इसके नेता कर्मचारियों को सरेआम धमकी देते हैं। कोरोना रिलीफ फंड में दान देने के नाम पर कर्मचारियों से जबरन वसूली की जाती है। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कहा जाता है कि अगले एक साल के लिए सरकारी नौकरियों की भर्ती बंद कर दी गई है और फिर हजारों कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाता है।

इसके अलावा कोरोना की महामारी के दौर में आउटसोर्सिंग पर लगे हजारों स्वास्थ्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की तैयारी की ख़बरें आ रही है। 1,983 पीटीआई अध्यापक नौकरी से बर्खास्त करने के बाद सरकार चुप्पी साढ़े हुए है, जिससे पीटीआई शिक्षक अपनी रोजी, रोटी औऱ परिवार के भविष्य के खातिर इस तपती धूप, भीषण गर्मी व महामारी में सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं और सरकार से राहत की लगातार गुहार लगा रहे हैं।

मुख्यमंत्री से हमारा सवाल है की-

यदि इन कर्मियों को तनख्वाह नहीं मिलेगी तो इनका गुजारा कैसे होगा, इनका घर कैसे चलेगा?
क्या हरियाणा की इस हिटलरशाही सरकार में सरकारी नौकरी करना गुनाह हो गया है।
आखिर क्यों खट्टर-चौटाला सरकार ने कर्मचारियों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया है?
आखिर क्यों रोजाना लोगों के पेट पर सरकार द्वारा लात मारी जा रही है ?
क्यों कर्मचारियों का रोजगार छीना जा रहा है?

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