हरियाणा के विश्वविद्यालयों में एक भी दलित व पिछडे वर्ग से कुलपति व रजिस्ट्रार नही, डॉ सुरेन्द्र सेलवाल, महासचिव, भारतीय दलित साहित्य अकादमी हरियाणा।

-:विश्वविद्यालयों में नौकरी बैन वापिस लेकर आरक्षण प्रणाली के तहत अस्थाई प्राध्यापकों व कर्मचारियों को  नियमित करें खट्टर सरकार । –: हरियाणा के कॉलेजों में अनुबन्ध आधार पर लगे अस्थाई एक्सटेंशन लेक्चरर को भी नियमित करें सरकार।    

 हरियाणा में  20 सरकारी विश्वविद्यालय हैं जिनमें एक भी कुलपति औऱ  कुलसचिव अनुसूचित जाति का नहीं हैं जबकि पिछड़ी जाति से नाममात्र एक कुलपति है । इस तरह जातिवादी पक्षपात रवैये से अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के साथ घोर अन्याय हो रहा है।

आज इन विश्वविद्यालयों में दलित व पिछड़े वर्ग के प्रोफ़ेसर के पद खाली पड़े है जिसका मुख्य कारण इन दोनो वर्ग से कुलपति औऱ रजिस्ट्रार का ना होना है । इसलिये अनुसूचित जाति के जनसंख्या के हिसाब से कम से कम चार कुलपति एवं चार रजिस्ट्रार  होनें चाहिए।

27% पिछड़ा आरक्षण के अनुसार 6 कुलपति औऱ 6 रजिस्ट्रार पिछड़े वर्ग से होने चाहिऐ । हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य जो ख़ुद अनुसूचित जाति से संबंधित हैं उनको विश्वविद्यालयों में दलित व पिछड़े समाज के लोगों की भागेदारी सुनिश्चित करनी चाहिऐ । लेकिन राज्यपाल महोदय भाजपा के हाथों में कठपुतली की तरह खेल रहे है, अपने निजी सुख और सुविधाओं के लिए राज्यपाल जैसे गरिमा पूर्ण पद की गरिमा को कम कर रहे है। उन्हें बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के विचारोंनुसार तुरंत कदम बढ़ाना चाहिये लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे है,वह भाजपा कार्यकर्ता बनकर पद लोलुपता में जकड़े हुए इंसान है।

मुख्यमन्त्री मनोहर लाल खट्टर ,ईमानदारी का मुखौटा लगाये हुये घूम रहे है, जबकि वो सबसे बडे जातिवादी बनकर उभरे है इन्होंने अपनी जाति से करीब 12 लोगों को कुलपति व रजिस्ट्रार लगाया हैं जो कि पूर्णतः गैरसंवैधानिक व भाई भतीजावाद है । डॉ सुरेन्द्र सेलवाल ने कहा कि भारतीय दलित साहित्य अकादमी इस जातिवादी व आरक्षण विरोधी मानसिकता का पुरजोर विरोध करती है औऱ भाजपा जजपा सरकार व हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेवनारायण आर्य से पुरजोर अपील है कि भारतीय संविधान की पालना करते हुऐ जल्द से जल्द अनुसूचित जाति औऱ पिछड़े वर्ग से संख्यानुपात में कुलपति एवं रजिस्ट्रार  लगाए जायें । सभी विश्वविद्यालयों में लगे नौकरीयों पर बैन को तत्काल हटाकर जो कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं उनको नियमित करें ।  सेलवाल ने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों में अनुबन्ध आधार पर लगे एक्सटेंशन लेक्चरर को भी नियमित करें 

अन्यथा  लोकडाउन के उपरांत दलित- पूँछड़ वर्ग के लोग विरोध का रास्ता अपनाने में पीछे नहीं हटेगें। वर्तमान हिन्दूवादी सरकार द्वारा दलित ,  पिछड़े औऱ ग़रीब वर्ग के लोगों कि अनदेखी असहनीय ही नही पीड़ादायक भी है। स्पष्ट नज़र आता है कि सरकार में आर एस एस की विचारधारा से कार्य चल रहा है जो वर्णव्यवस्था को पवित्र मानती है सँविधान को नहीं।यह तथ्यात्मक है सरकार सँविधान के प्रति आस्थावान होती तो लगातर दलित पिछड़े गरीब किसानों से भेदभाव नहीं करती वरन इनके हकको की रक्षा करती। 

error: Content is protected !!