यमुना और उसके पानी को लेकर भाजपा, आप और कांग्रेस में घमासान
भाजपा की केंद्र और हरियाणा को मिलाकर डबल इंजन वाली सरकार
आप की भी दिल्ली और पंजाब को मिलाकर डबल पावर वाली सरकार
अपनी अपनी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार को पहुंचे हरियाणा-पंजाब से नेता
फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम। पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ! यह गाना किसी समय में लोकप्रियता के पायदान चढ़ता हुआ लोगों की जुबान पर भी गुनगुनाया जाता रहा। चुनाव में जिस प्रकार के वादे और घोषणाएं करते हुए आरोप प्रत्यारोप उछाल जाते हैं, वह सभी के सामने हैं । वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए राजनीतिक दल और नेताओं को नए मुद्दे की तलाश भी निरंतर बनी रहती है । दिल्ली चुनाव में इस बार सर्दी के मौसम में भी यमुना नदी के पानी को आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए उबालने का काम होता रहा। मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा और चुनाव आयोग के द्वारा यमुना के जल की गुणवत्ता के आरोप को लेकर जवाब भी तलब किए गए। यमुना नदी वास्तव में हरियाणा से दिल्ली और फिर दिल्ली से दूसरे प्रदेश में बहती हुई निकल जाती है । बड़ा सवाल यही है कि यमुना के पानी की गुणवत्ता को तो चुनावी मुद्दा बना दिया गया । लेकिन इससे बड़ा सवाल और आम लोगों में जिज्ञासा यही बनी हुई है, ऐसा क्या कारण और क्या मजबूरी रही जो की एसवाईएल चुनावी मुद्दा नहीं बनाई गई ?

सतलुज यमुना लिंक नहर का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा । इसका फैसला हरियाणा के पक्ष में आया। पंजाब ने अपनी सुविधा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। सीधे और सरल शब्दों में गणित और राजनीतिक नजर से देखें तो, पंजाब हरियाणा और दिल्ली तीनों को मिलाकर सतलुज यमुना लिंक नहर को भी चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जाना भी एक राजनीतिक मुद्दा कहा जा सकता है। वास्तव में इस नहर का पानी पंजाब से हरियाणा प्रदेश में आना है और हरियाणा प्रदेश के पानी के मामले में पिछड़े और सूखे कहे जाने वाले इलाके दक्षिणी हरियाणा को ही सबसे अधिक लाभ होना है। भिवानी जिला, दादरी, महेंद्रगढ़ और नारनौल वह क्षेत्र है, जिसको सबसे अधिक लाभ सतलुज यमुना लिंक नहर के पानी का मिलना निश्चित है । इस नहर के पानी से हरियाणा में 4.50 लाख हेक्टेयर जमीन और पंजाब में सवा लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई अथवा इतने रकबे की फसलों की सिंचाई हो सकती है।
केंद्र में और हरियाणा में भाजपा की डबल इंजन वाली हैट्रिक सरकार है । दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की डबल पावर वाली सरकार है । हरियाणा, दिल्ली और पंजाब के नेताओं ने दिल्ली के सिंहासन के लिए यमुना के पानी की गुणवत्ता को चुनावी मुद्दा बना लिया ,हालांकि अन्य मुद्दे भी चुनावी माहौल में गर्म रहे। लेकिन यमुना का पानी कुछ अधिक ही उबाल पर लाने का प्रयास जारी रहा । कुछ महीने पहले ही हुए लोकसभा चुनाव में भी दक्षिणी हरियाणा के लिए जीवन रेखा कही जाने वाली सतलुज यमुना लिंक नहर चुनावी मुद्दा नहीं बनाई जा सकी । न हीं इस पर किसी प्रकार की चर्चा अथवा बहस होते हुए देखा गया। देश की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी भाजपा के द्वारा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब तीनों प्रदेश में लोकसभा के चुनाव लड़े गए । इसी प्रकार से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के द्वारा भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे गए। लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में विधानसभा के चुनाव के बाद भाजपा की नई हैट्रिक सरकार बन चुकी है । दिल्ली में क्यास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी की हैट्रिक वाली सरकार बन सकती है ।
सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर सबसे अधिक खींचतान पंजाब और हरियाणा प्रदेश की राजनीति सहित राजनेताओं में बनी हुई है। राजनीति में रुचि रखने वाले लोगों का यह भी कहना है कि जब यमुना के पानी की गुणवत्ता को लेकर पॉलीटिकल पार्टी और नेता एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं । तो फिर सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण सहित इसके पानी की उपलब्धता को लेकर पॉलिटिकल पार्टियों सहित नेताओं को बोलने से किसके द्वारा रोका गया है ?