विज़न 2047 का लक्ष्य हो, आज की बालिका हर क्षेत्र में कल की लीडर बनकर उभरे

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की 10वीं वर्षगांठ और भारत में एक बड़ा जागरूकता अभियान

-एडवोकेट किशन  सनमुखदास भावनानी

22 जनवरी 2025 को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी ) योजना की दसवीं वर्षगांठ पर भारत में एक नई लहर देखने को मिली। इस योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हुई थी, और आज, एक दशक बाद, यह न केवल एक सरकारी पहल बन गई है बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में विकसित हो चुकी है। इस योजना ने भारतीय समाज में महिलाओं और बालिकाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने और लिंग भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह योजना बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, और समग्र विकास को प्रोत्साहित करते हुए भारत के विकास की राह में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

राष्ट्रीय लिंग अनुपात और बालिका सशक्तिकरण में प्रगति

भारत सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत कई पहल की हैं, जिससे बालिकाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय लिंग अनुपात (एसआरबी ) में वृद्धि हुई है, 2014-15 में यह अनुपात 918 था, जो 2023-24 में बढ़कर 930 हो गया है। वहीं, संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 61पेर्सेंट  से बढ़कर 97.3 पेर्सेंट  हो गया है। इसके अतिरिक्त, पहली तिमाही के प्रसवपूर्व देखभाल पंजीकरण में भी सुधार देखा गया है, जो 61पेर्सेंट  से बढ़कर 80.5 पेर्सेंट हो गया है।

इस अभियान के तहत महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार, बाल लिंग अनुपात में वृद्धि, और शिक्षा के क्षेत्र में समग्र विकास को प्राथमिकता दी गई है। इसके परिणामस्वरूप, बालिका शिक्षा के नामांकन अनुपात में भी सुधार हुआ है। माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का नामांकन अनुपात 75.51% से बढ़कर 78% हो गया है।

देशभर में जागरूकता अभियान और उत्सव की शुरुआत

इस विशेष अवसर पर, 22 जनवरी से लेकर 8 मार्च 2025 तक, देशभर में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में स्कूटर रैली, प्रभात फेरी, डिबेट, जुलूस जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और समानता की भावना को जागृत करना है। इस दौरान, भारत के विभिन्न हिस्सों में स्कूलों, कॉलेजों और समाजिक संगठनों द्वारा भी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री का संबोधन

नई दिल्ली में आयोजित समारोह में, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने इस योजना की सफलता पर जोर दिया और कहा कि यह योजना एक सामाजिक परिवर्तन के रूप में उभरी है। उन्होंने कहा, “यह योजना महिलाओं के उत्थान और बालिकाओं को समान अवसर देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों से भरे भविष्य का अधिकार सुनिश्चित करने का लक्ष्य है।

आलोचना और सवाल उठाते विपक्षी नेताओं के तर्क

हालांकि, इस योजना के सफल होने के बावजूद विपक्षी पार्टियों ने कुछ सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि योजना के बजट का अधिकांश हिस्सा केवल विज्ञापनों और प्रचार पर खर्च किया गया है। कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी दावा किया कि योजना के तहत आवंटित धन का इस्तेमाल समाज के कमजोर वर्ग की महिलाओं के कल्याण के बजाय मीडिया और प्रचार पर किया गया है। इन नेताओं ने यह सवाल उठाया कि सरकार ने महिला सुरक्षा और कल्याण के मुद्दों पर क्या ठोस कदम उठाए हैं और क्या योजना के खर्च का सही उपयोग हुआ है।

विज़न 2047: बालिका हर क्षेत्र में कल की लीडर बने

भारत का लक्ष्य 2047 तक एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाना है, और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, आज की बालिका को हर क्षेत्र में कल का नेता बनाना आवश्यक है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हर बालिका को अपने अधिकारों, शिक्षा और अवसरों के साथ एक उज्जवल भविष्य प्रदान करने का वादा करती है।

निष्कर्ष

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का एक दशक पूरा करना एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इसने न केवल भारत में बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार किया है, बल्कि समाज में लिंग समानता की दिशा में भी अहम कदम उठाए हैं। आगामी दशक में, इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बालिका हर क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरे, और भारत में लैंगिक समानता के लिए एक मजबूत आधार बने।

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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