चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जिला महेंद्रगढ़ निवासी कैलाश चंद शर्मा द्वारा उनके बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा के खिलाफ डाली गई याचिका की सूनवाई वीरवार को हाईकोर्ट में हुई। जिसमें हाई कोर्ट के जस्टिस ने दो आदेश देकर अगली तारीख लगा दी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित कैलाश चंद ने अपने वकील सत नारायण यादव के माध्यम से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 528 के तहत क्रिमिनल याचिका दायर की थी, जिसमें प्रतिवादी संख्या 1 से 6 को याचिकाकर्ता के बेटे मोहित उम्र लगभग 26 वर्ष थी,जिसका शल बीते माह 13 दिसमबर से नागरिक अस्पताल कनीना के शवगृह में रखा हुआ है,के शव को सौंपने के लिए निर्देश जारी करने और प्रतिवादी संख्या 7 से 10 के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।

वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने अन्य बातों के साथ-साथ यह तर्क भी न्यायालय में दिया था कि याचिकाकर्ता के बेटे ने 13 दिसम्बर 2024 को आत्महत्या कर ली थी तथा इस संबंध में विभिन्न शिकायतें/अभ्यावेदन प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिकाकर्ता के बेटे का शव तभी से ही सिविल अस्पताल, कनीना के शवगृह में रखा हुआ है।

वहीं सरकार की तरफ से हरियाणा के वरिष्ठ डी.ए.जी. सुखदीप परमार, जो न्यायालय में उपस्थित थे। आधिकारिक प्रतिवादियों की ओर से नोटिस स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच करने से पीछे नहीं हट रही है। जबकि याचिकाकर्ता तथा गवाह गवाही के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

वहीं मामले की जांच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (अधिमानतः एक आईपीएस अधिकारी) को सौंपी जाए ताकि याचिकाकर्ता पर कोई संदेह न हो।

वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश कि वह अपने मृतक पुत्र के शव को 03 दिनों के भीतर अंतिम संस्कार के लिए अपने कब्जे में ले लें तथा संबंधित अधिकारी इस संबंध में उन्हें पूर्ण सहयोग प्रदान करें। मामले की सूनवाई न्यायमूर्ति श्री बरार की अदालत में हुई थी। तथा अगली सनी तारीख 20 में तक स्थगित कर दी गई है।

बता दें कि कैलाश चंद शर्मा व पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा किसी जमाने में अच्छे गहरे दोस्त हुआ करते थे। लेकिन पैसे के लेनदेन पर उनका आपस में मन मुटाव हो गया था। जो की काफी सुर्खियों में चल रहा है। वहीं पूर्व मंत्री के खिलाफ उन्होंने पैदल यात्रा कर राष्ट्रपति महोदय को भी ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई थी। वहीं गत वर्ष 13 दिसंबर को उनके बेटे ने घर में फांसी का फंदा लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली थी। जिसका आरोप भी उन्होंने पुर्व मंत्री पर लगाए हैं। अब देखना यह होगा कि पीड़ित को न्याय मिलता है या प्रदेश सरकार में मंत्री रहे आरोपी को एक आईपीएस अधिकारी अपनी जांच में क्या खुलासा करते हैं। लेकिन जांच में खुलासा जो भी होगा लेकिन अभी फिलहाल पूर्व मंत्री की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही है।

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