-हकृवि में एग्री-टूरिज्म सेंटर का मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण हिसार: 9 जनवरी – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में वीरवार को मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने बतौर मुख्य अतिथि एग्री-टूरिज्म सेंटर (कृषि पर्यटन केंद्र) का लोकार्पण किया। कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा व लोक निर्माण एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर नलवा के विधायक रणधीर पनिहार व हांसी के विधायक विनोद भ्याणा भी मौजूद रहें। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि एग्री-टूरिज्म सेंटर (चरण-2) को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान अर्जित करने के भाव से कृषि अनुसंधानों व प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और प्रकृति को स्वच्छ रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना है। इस केन्द्र के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति, प्राचीन कृषि पद्धति व कृषि संबंधी ज्ञान को रोचकता के साथ सीखने में मदद मिलेगी साथ ही विद्यार्थियों को जैव-विविधता के बारे में जानने का अवसर भी मिलेगा। कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत: प्रो. बी.आर. काम्बोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि एग्री-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत है। इस पर्यटन केन्द्र में बने संस्कृति सूचना केन्द्र में हरियाणवी महिला-पुरूष के परिधान, व्यंजन, त्यौहार, लोक संगीत वाद्ययंत्र, पारम्परिक बर्तन, आदि के अलावा सभी फसलों के उन्नत किस्मों व बीजों की जानकारी मिलती है। फूड कोर्ट बनाया गया है जिसमें परम्परागत हरियाणवी व्यंजनों का जायका आमजन चख सकेंगे। साथ ही प्रकृति प्रेमियों के लिए पेड़ों के साथ प्रकृति का नजारा लेने के लिए ट्री-हाउस बनाया गया है, जोकि आगंतुकों के लिए अति आकर्षक होगा। अपनी संस्कृति अपनी विरासत के नाम से थीम पार्क में हरियाणवी संस्कृति, रहन-सहन एवं ग्रामीण परिवेश की झलक मिलती है। साथ ही इस केन्द्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश को दर्शाने के लिए भव्य रथ भी बनाया गया है। इन सबके साथ इस एग्री-टूरिज्म सेंटर में डेकोरेटिव वाटर पूल का भी निर्माण किया गया है। इस सेंटर में पुरानी सिंचाई पद्धति को दर्शाने के लिए रेहट का मॉडल बनाया गया है, जिसमें दिखाया जाएगा कि जब आधुनिक मशीन नहीं थी तब किस तरह से सिंचाई की जाती थी। सुनहरी मछली उत्पादन की जानकारी देने के लिए ओरनामेंटल फिश एक्वेरियम की भी व्यवस्था की गई है। वनस्पति उद्यान में देशी और विदेशी पौधों की प्रजातियों का संग्रह किया गया है। एग्री-टूरिज्म सेंटर चरण-2 में भावी पीढी को हरियाणवी संस्कृति से जोडऩे का विशेष प्रयास किया गया है। इस अवसर पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति व विश्वविद्यालय के अधिकारीगण भी मौजूद रहें। Post navigation गायब होती बेटियाँ: आख़िर किसकी बन रहीं शिकार …… (लापरवाही या नाकामयाबी, क्यों नहीं ढूँढ पाती पुलिस?) हर वर्ग के कल्याण पर आधारित होगा इस बार का बजट – मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी