सुखना लेक क्लब में हुए साहित्यिक सत्रों में किताबों और विषयों पर रखे गए विचार, साहित्य प्रेमियों ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई।

कई जाने माने साहित्यकारों की मौजूदगी में साहित्यक पर्व हुआ शुरू।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

चंडीगढ़, 24 नवंबर : चंडीगढ़ लिट फेस्ट (सीएलएफ) – लिटराटी 2024 के 12वें संस्करण की शुरुआत शनिवार को खूबसूरत सुखना लेक क्लब में हुई। सीएलएफ लिटराटी 2024 में साहित्यिक गतिविधियाँ, साहित्य, कला, रचनात्मकता और बौद्धिकता का जीवंत उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें साहित्यकारों से लेकर साहित्य प्रेमी शामिल हो रहे हैं।सीएलएफ लिटराटी 2024 सुखना झील की खूबसूरत और शांत बैकग्राउंड में, चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी (सीएलएस) द्वारा आयोजित किया जा रहा है ।

दिन के कार्यक्रमों की शुरुआत पंडित सुभाष घोष द्वारा एक आकर्षक संगीतमय प्रस्तुति से हुई, जिसने साहित्यिक कृतियों की सर्वश्रेष्ठता के उत्सव के लिए बेहतरीन माहौल तैयार किया।

फेस्ट के औपचारिक उद्घाटन के बाद, सीएलएफ लिटराटी 2024 की फेस्टिवल डायरेक्टर और सीएलएस की चेयरपर्सन डॉ. सुमिता मिश्रा, आईएएस ने दो दिवसीय साहित्य महोत्सव में दर्शकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि “मैं लिटराटी 2024 में सभी का स्वागत करती हूं, जो कला, संस्कृति और ज्ञान का उत्सव है। इस महोत्सव में शीर्ष लेखक और वक्त 18 सत्रों में भाग लेंगे और इसमें कई पुस्तकों का विमोचन भी होगा । इस महोत्सव में एआई, सिंगल पेरेंटिंग, कानून, इतिहास और बहुत सारे अन्य विषयों पर चर्चा होगी ।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “साहित्य हमेशा से एक ऐसा पुल रहा है जो दुनिया भर के लोगों और दृष्टिकोणों को जोड़ता है। आज के सोशल मीडिया अराजकता के युग में, हम हर चीज की सुंदरता को खोते जा रहे हैं, और अंतहीन बहस में डूबते जा रहे हैं। आइए सार्थक विमर्श को फिर से खोजें और अलग-अलग विचारधाराओं का शालीनता से जश्न मनाएं।”
राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने फेस्टिवल का उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि “चंडीगढ़ सिर्फ़ ‘द सिटी ब्यूटीफुल’ही नहीं है, बल्कि ये ‘द सिटी ऑफ इंटलेक्चुअल्स’भी है, जिसमें उर्दू, पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी के लेखकों के आशियाने हैं। लिटराटी उन सभी के लिए साहित्य पर चर्चा का एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है।”

पहले दिन की साहित्यिक गतिविधियाँ “द लीजेंड लिव्स ऑन – ए मैन कॉल्ड रतन टाटा” नामक एक इंटरैक्टिव सेशन से शुरू हुईं। इसमें लेखक डॉ. थॉमस मैथ्यू, जो कि एक रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट हैं, ने श्री रतन टाटा पर लिखी आकर्षक जीवनी “रतन टाटा: ए लाइफ़” पर चर्चा की। डॉ. मैथ्यू ने टाटा को एक अद्वितीय विनम्रता, करुणा और सहानुभूति वाले व्यक्ति के रूप में चित्रित किया है। उनकी इस किताब में बताया गया कि कैसे टाटा का जमीन से जुड़े व्यक्ति वाला स्वभाव उनके करियर और व्यक्तिगत जीवन दोनों में झलकता है। उन्होंने कहा कि “टाटा का परोपकार अपने पैमाने के लिए नहीं बल्कि अपने इरादे के लिए जाना जाता है।”

“पंजाब: द जलियांवाला बाग ट्रैजेडी एंड द नैरेटिव्स अराउंड इट”,थीम वाले सेशन में, अवॉर्ड विजेता लेखिका और इतिहासकार किश्वर देसाई ने 13 अप्रैल, 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड की अनकही त्रासदियों के बारे में बताया। उन्होंने अपनी पुस्तक को उन लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने उस नरसंहार में अपनी जान गंवाई और पंजाब के लोगों के मजबूत हौसले पर जोर दिया।

क्रिमसन स्प्रिंग के लेखक नवतेज सरना ने अपने काल्पनिक उपन्यास के बारे में खुलकर बातचीत की, जिसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड के दूरगामी परिणामों का पता लगाने के लिए वास्तविक घटनाओं और ऐतिहासिक आंकड़ों को एक साथ लाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी ये किताब काफी सावधानीपूर्वक से रिसर्च कर लिखी गई है और इसे ग़दर आंदोलन और इसे रॉलेट एक्ट की पृष्ठभूमि में लिखा गया है। सरना ने रेजिनाल्ड डायर और माइकल ओ’डायर की कई अंजान दमनकारी कार्रवाइयों का भी पता लगाया, जिनके फैसलों ने इतिहास की दिशा बदल दी।

एक अन्य सेशन “पंजाब दी जुबान: यंग पोएट्स डिस्कस पंजाबी पोएट्री इन करंट टाइम्स”में पंजाबी कविता पर चर्चा की गई। इस सेशन में युवा कवि रणधीर उप्पल, वाहिद खडियाल और जस्सी संघा ने पंजाबी कविता के उभरते और बेहतर होते माहौल पर चर्चा की।

एक प्रमुख सेशन“लीगल लैंडमार्क्स: चार्टिंग द पाथ ऑफ जस्टिस” में पिंकी आनंद, एक प्रसिद्ध वकील और राजनीतिज्ञ और वकील सौदामिनी शर्मा ने बातचीत की। इस दौरान भारत के इतिहास में कई प्रमुख कानूनी घटनाक्रमों पर चर्चा की गई।
एक और सेशन: “वॉयसज ऑफ वैलर: स्टोरीज ऑफ ब्रेवहार्ट्स” में जनरल इयान कार्डोज़ो ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “मैंने कार्टूज़ साब: ए सोल्जर्स स्टोरी’ में एक सैनिक की प्रतिकूल परिस्थितियों में लगातार आगे बढ़ने की कहानी लोगों को यह बताने के लिए लिखी कि हम भारतीय सेना में राष्ट्र की रक्षा के लिए क्या करते हैं। इसमें, मैं भारतीय सेना और मेरी पीढ़ी के सभी अधिकारियों की कहानी साझा करना चाहता था जिन्होंने तीन युद्धों में लड़ाई लड़ी।”जनरल कार्डोजो ने 1971 के युद्ध के दौरान खुकरी द्वारा पाकिस्तानी सैनिकों में पैदा किए गए डर के बारे में भी बात की और उस घटना को याद किया जब उन्हें बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद अपना पैर काटना पड़ा था।

जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया कि कैसे, विभाजन की अराजकता के दौरान, एक अधिकारी ने उनके पिता से पूछा, ‘आप किस देश की सेना में शामिल होंगे?’ उनके पिता ने जवाब दिया, “मैं ऐसी सेना का हिस्सा बनना चाहता हूं जहां आस्था, विचारधारा और धर्म महत्वपूर्ण नहीं हैं।” सेना की विरासत को दर्शाते हुए, जनरल हसनैन ने ऑपरेशन पवन के बारे में भी बात की, जहां भारतीय शांति सेना ने सिर्फ़ 16 दिनों में एलटीटीई को हरा कर से जाफ़ना पर कब्जा कर लिया था।

एक और दिलचस्प सेशन,”इंक एंड इमेजिनेशन: क्राफ्टिंग पोएटिक वर्ल्ड्स” में आईएएस अधिकारी डॉ. सुमिता मिश्रा ने हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने बताया कि “एक लखनवी हमेशा लखनवी होता है, और मेरे लेखन में शहर की एक अलग झलक है। कविता मेरे साथ यूं ही नहीं हुई – मेरा मानना है कि इसने मुझे चुना है। समय के साथ, मैंने पाया कि मैं हिंदी से और भी गहराई से जुड़ गई हूं, हालांकि मैं अंग्रेजी में भी लिखती और सुनाती हूं।” डॉ. मिश्रा ने दर्शकों को जितना संभव हो सके उतना पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। साहित्य प्रेमियों ने भी उनके सुझाव को गहनता से सुना और इस पर अमल का भरोसा भी दिया।

मिश्रा ने युवा महिलाओं को जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, उन्हें अपने निर्णयों में साहसी और निडर बनने के लिए कहा, तथा पुरुषों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में महिलाओं का समर्थन करने और उनका सम्मान करने में भावनात्मक रूप से अधिक जुड़े ।इसी दौरान उन्होंने अपनी किताब ‘लम्हों की शबनम’ से कुछ कविताओं को दर्शकों को सुनाया । इस किताब का पंजाबी अनुवाद भी लॉन्च किया गया।

“डैडी इन द ड्राइवर्स सीट: ए सिंगल फादर्स एक्सपीरियंस” सेशन में, बॉलीवुड अभिनेता तुषार कपूर ने सिंगल फादरहुड के अपने व्यक्तिगत अनुभव पर खुलकर बात की। उन्होंने अपनी नई किताब बैचलर डैड पर चर्चा की, जो एक अभिनेता से सिंगल पैरेंट बनने के उनके जीवने में आए एक बड़े परिवर्तन को दर्शाती है। इसके साथ ही उन्होंने अपने व्यक्तित्व के इस पक्ष को प्रदर्शित करने के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान करने के लिए सीएलएस का आभार भी व्यक्त किया।

लिटराटी 2024 के पहले दिन तीन नई किताबों का विमोचन भी हुआ।

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