-कमलेश भारतीय

बड़े लोकप्रिय हो रहे थे बुलडोजर बाबा और बहुत शोर था, डर था बुलडोजर बाबा का लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में दुर्भावनापूर्ण कार्वाई के खिलाफ दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं, जिसका सार कवि प्रदीप की पंक्तियों में इतना है :

अपना घर हो, अपना आंगन हो
इस ख्वाब में हर कोई जीता है
इंसान के दिल की यह चाहत है
एक घर का सपना कभी न छूटे !
जस्टिस गवई ने फैसले की शुरुआत में कवि प्रदीप की इन पंक्तियों से की ।

इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती के नाम पर होने वाली बुलडोजर कार्यवाई पर रोक लगा दी । यह भी निर्देश दिये कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये किसी के घर पर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है । जस्टिस बी आर गवई व जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि आम नागरिक के लिए अपना घर बनाना वर्षों की मेहनत और सपनों का नतीजा है । कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की नींव है । कानून का राज यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को पता हो कि उनकी सम्पत्ति मनमाने ढंग से छीनी नहीं जायेगी ! कोर्ट ने कहा कि कानून हाथ में लेकर मनमानी करने वाले अफसरों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है । कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये निर्देश सड़क, फुटपाथ, रेल पटरी, जलाशय व सार्वजनिक स्थल‌ पर अवैध निर्माण पर कब्जे के मामले में भी लागू रहेंगे ! यह भी कहा कोर्ट की पीठ ने कि घर में रहने वाला एक व्यक्ति आरोपी है तो क्या पूरा घर ढहाना उचित है ? किसी एक व्यक्ति के आरोपी या दोषी हो जाने से उसका पूरा घर गिरा देना, पूरे परिवार को ‘सामूहिक सजा’ देने के समान होगा ! महिलाओं, बच्चों व वृद्धों‌ पर रातों रात सड़क पर लाना, उन्हें उनके घरों को ढहते देखना बहुत भयावह है !
इस तरह ये आदेश सुन लो बुलडोजर बाबा ! अब तक बहुत वाहवाही लूट चुके, अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी सुन लो ! शायर ने कहा भी है :

एक उम्र बीत जाती है घर बनाने में
तुम खौफ नहीं खाते हो बस्तियां जलाने में!!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075

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