हर से जुड़े चार सबूत भी मंगवाए भूपेंद्र हुड्डा का नाम प्रतिपक्ष नेता की दौड़ में शामिल नहीं चंद्र मोहन अशोक अरोड़ा के नाम पर मंथन अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में विधानसभा का शीतकालीन सत्र के लिए 13 नवंबर की डेट फाइनल कर ली गई है। हरियाणा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर अब तक घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस की तरफ से अब तक विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं किया गया है। इधर कांग्रेस हार पर मंथन के साथ हार के सबूत भी भी जुटा रही है। हार के कारण जानने के लिए कांग्रेस 8 सदस्य कमेटी आज शनिवार को दिल्ली में बुलाई गई है। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश प्रभारी जितेंद्र बघेल तथा हरियाणा कांग्रेस प्रधान उदयभान करेंगे। कांग्रेस का मानना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हेराफेरी, धनबल और प्रशासन तंत्र का सहारा लिया है। इसको लेकर पार्टी ने चुनाव आयोग में गुहार लगाई थी लेकिन चुनाव आयोग ने उल्टा कांग्रेस पर ही प्रहार कर दिया। इससे खफा होकर अब पार्टी सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय में जाने से पहले वह तमाम सबूत इकट्ठा करने में जुटी है। पार्टी में 9 नवंबर को दोपहर 12:00 बजे दिल्ली में आ रहे हुए सभी 53 नेताओं को बुलाया है। नेता प्रतिपक्ष पर भी हो सकता है मंथन 90-सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में 37 विधायकों के साथ, कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता विपक्ष का नेता (एलओपी) भी बन जाएगा, जिसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है. कांग्रेस ने 25 अक्टूबर को बिना किसी सीएलपी नेता के पहले विधानसभा सत्र में प्रवेश किया और अब, जबकि शीतकालीन सत्र 13 नवंबर को शुरू होने वाला है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह प्रतिष्ठित पद किसे मिलेगा। अनिश्चितता हरियाणा कांग्रेस में बेचैनी पैदा कर रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जहां अधिकांश विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएलपी नेता बनाए जाने के पक्ष में थे, वहीं सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा के नेतृत्व वाला गुट हुड्डा को चुनाव हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए किसी नए चेहरे को जिम्मेदारी सौंपना चाहता है। कांग्रेस आलाकमान ने कांग्रेस विधायक दल के नेता की नियुक्ति के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। 18 अक्टूबर को उन्होंने चंडीगढ़ में नवनिर्वाचित विधायकों से मुलाकात कर उनके विचार जाने। पर्यवेक्षकों ने घोषणा की कि चूंकि विधायकों ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को कांग्रेस विधायक दल के नेता के नाम की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया है, इसलिए आलाकमान जल्द ही नाम का खुलासा करेंगे। पहले भी हुई है बैठक बीते माह 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में कांग्रेस की तरफ से विधायक दल के नेता को चुनने के लिए मीटिंग का आयोजन किया गया था। बैठक में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के अलावा दूसरे नेता भी शामिल हुए थे। बैठक में सभी नेताओं ने विधायक दल नेता के चुनाव के लिए अपनी-अपनी राय भी दी, इसके बाद भी अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ दिया गया। बैठक के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान इस पर फैसला नहीं कर पाया। इस कड़ी में आज यानी 8 नवंबर शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा की तरफ से दावा किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम इस बार नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। विधानसभा सत्र की डेट फाइनल हो जाने के बाद कांग्रेस के लिए यह जरुरी हो गया है कि वह विधायक दल के नेता का चुनाव कर लें। मुझे किसी पद की लालसा नहीं- अशोक अरोड़ा सूत्रों के मुताबिक, नेता प्रतिपक्ष के लिए अभी दो नाम पर चर्चा चल रही है, जिसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। दोनों में किसी एक को कांग्रेस द्वारा नेता प्रतिपक्ष चुना जा सकता है। इस कड़ी में हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल का कहना है कि फिलहाल हाईकमान की तरफ दोनों में किसी के नाम पर मुहर नहीं लगाई गई है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष की चर्चाओं पर अशोक अरोड़ा का कहना है कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है, पार्टी द्वारा जो उन्हें जिम्मेदारी दी जाएगी उसे वह बखूबी निभाएंगे। बता दें कि विधानसभा सत्र में बीजेपी समेत दूसरी पार्टी कार्यकर्ता भी शामिल होंगे। ऐसे में विधानसभा बैठक में शामिल होने के लिए स्पीकर को बताना पड़ता है कि विधायक दल के नेता कौन हैं, इसके बाद ही नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा जाता है। ऐसे में कांग्रेस पर विधायक दल का चुनने का दबाव बना हुआ है। हरियाणा में विपक्ष की किसी पार्टी द्वारा अपने नेता के नाम का ऐलान करने में इतना समय लगना “अभूतपूर्व” है। शैलजा और हुड्डा गुट की पसंद कांग्रेस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि शैलजा गुट पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे चंद्र मोहन को कांग्रेस विधायक दल का नया नेता बनाना चाहता है। इस बीच हुड्डा गुट ने चंडीगढ़ में पार्टी पर्यवेक्षकों के साथ बैठक से पहले अपने दिल्ली स्थित आवास पर 32 विधायकों को इकट्ठा करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। विधायक चाहते हैं कि हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता और विपक्ष का नेता बनाया जाए। हालांकि, नाम न बताने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हुड्डा गुट को झज्जर विधायक गीता भुक्कल, अरोड़ा या उस तबके के किसी अन्य वरिष्ठ विधायक को यह पद दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। “20 साल में पहली बार किसी पार्टी को राज्य में विपक्ष का नेता तय करने में इतनी दिक्कत आ रही है। मुझे इसके पीछे दो बड़ी वजहें नज़र आती हैं। एक स्पष्ट वजह पिछले तीन चुनावों – 2014, 2019 और 2014 में कांग्रेस की लगातार हार है। हम 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से चूक गई थी।” उन्होंने कहा कि दूसरी वजह कांग्रेस के भीतर “अंदरूनी कलह” है, जो इस साल के विधानसभा चुनावों के दौरान काफी स्पष्ट थी। “अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की महासचिव शैलजा और हुड्डा के नेतृत्व वाले गुटों ने अलग-अलग अभियान चलाए।” मिश्रा ने कहा कि 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव नतीजों के बाद हर बार करीब 15 दिनों के भीतर ही विपक्ष का नेता चुन लिया गया। इस साल कांग्रेस सरकार बनाने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन पार्टी को सिर्फ 37 सीटें मिलीं। इस वजह से इस बात पर बहस छिड़ गई है कि विपक्ष का नेता किसे बनाया जाए। Post navigation किसान, खाद, पानी और आत्महत्या …… डीएपी खाद के लिए किसान का आत्महत्या करना सरकार के लिए शर्म की बात:कुमारी सैलजा