जींद जिले की महिला पुलिस कर्मियों से यौन शोषण के प्रयास के हैं आरोप, एसपी को हटाने की मांग और 4 पेज की वायरल चिट्टी

हरियाणा महिला आयोग ने आईपीएस का दर्ज किया बयान, तुरंत छुट्टी पर भेजने या तबादला करने की सीएम व डीजीपी से अनुशंसा 

यौन शोषण के आरोप में डेरा सच्चा सौदा सिरसा प्रमुख के खिलाफ गुमनाम चिट्ठी पर हुई थी सीबीआई जांच, फिर इस मामले में क्यों नहीं?

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के जींद जिले के एसपी सुमित कुमार अपने विभाग की महिला कॉन्स्टेबल के कथित यौन शोषण के बाद घिरे हुए हैं। मंगलवार को एसपी और डीजीपी ने महिला आयोग के सामने अपना पक्ष रखा। उन्हें अपने फरीदाबाद एनआईटी स्थित कार्यालय में बुलाकर बयान दर्ज किए। वहीं, अब इस मामले में महिला आयोग ने डीजीपी को एसपी की ट्रांसफर या फिर छुट्टे पर भेजने के आदेश दिए हैं। अब हरियाणा महिला आयोग ने इस संबंध में नायब सैनी सरकार को चिट्टी भी लिखी है।

दरअसल, जींद के एसपी सुमित कुमार पर यौन उत्पीड़न मामले में 7 महिला पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाए थे। हालांकि, अब तक आरोपी लगाने महिला पुलिस कर्मचारी सामने नहीं आई हैं। लेकिन इस संबंध में दो पत्र वायरल हुए थे।

मंगलवार को हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने संज्ञान लेते हुए उन्हें अपने फरीदाबाद एनआईटी स्थित कार्यालय में बुलाकर बयान दर्ज किए।

उनसे करीब एक घंटे तक जानकारी ली गई। आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने केस से जुड़े कई सवाल पूछे। पूरा मामला पता किया। साथ ही आईपीएस को अपना पक्ष रखने के लिए कहा।

‘यू-ट्यूबर कर रहा टारगेट’

आईपीएस ने इन आरोप को गलत बताया और कहा कि उनके खिलाफ साजिश है। आईपीएस अधिकारी ने अध्यक्ष को बताया कि एक यू-ट्यूबर उन्हें टारगेट कर रहा है, जिस ई-मेल से आरोप वाला पत्र भेजा गया, अब वह डिलीट कर दिया गया है।

हरियाणा सरकार को महिला आयोग ने लिखी चिट्टी

आयोग की अध्यक्ष ने उनसे करीब एक घंटे पूछताछ की। रेनू भाटिया ने कहा कि पुलिस अधिकारी के बयान के आधार पर मामले में कई बड़े सुराग मिले हैं। लेकिन यह सुराग अफसर के खिलाफ हैं या पक्ष में, इस बात की जानकारी नहीं दी है। साथ ही उनका कहना है कि इस मामले की जांच पूरी होने के बाद ही उजागर करा जाएगा। रेनू भाटिया ने ये भी जानकारी दी कि दिवाली के चलते पुलिसकर्मियों की प्रदेशभर में ड्यूटी लगी है। ऐसे में जांच की रफ्तार पर थोड़ा ब्रेक लगा है।

डीजीपी शत्रुजीत कपूर को एसपी सुमित कुमार को तुरंत प्रभाव से जिले से हटाने या छुट्टी पर भेजने के आदेश दिए। महिला आयोग ने खत में लिखा कि मामला काफी सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में एसपी सुमित कुमार की ट्रांसफर की जाए या फिर उन्हें छुट्टी पर भेजा जाए, ताकि जांच प्रभावित ना हो।

एसपी सुमित कुमार ने अपने बयान में कहा है कि यह आरोप उनके चरित्र हनन के लिए हैं और वे इस मामले में पूरी तरह से बेकसूर हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि यह आरोप साजिश के तहत लगाए गए हैं और अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, केवल सोशल मीडिया पर शिकायत वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया पेज पर केस दर्ज

इस मामले में जींद ब्रेकिंग न्यूज नाम से एक सोशल मीडिया पर पेज पर जींद में ही केस दर्ज किया गया है। इस पेज पर शिकायत वायरल अपलोड किया गया था और फिर पेज को कुछ ही मिनट बाद पत्रों को डिलीट कर दिया गया। 

एसपी ने चौपाई सुनाई

एसपी ने महिला आयोग के पास पेशी के बाद कहा कि मीडिया बताए कि क्या एक भी आरोप लगाने वाली महिला उनके पास आई है। एसपी ने अपनी सफाई में रामायण की चौपाई सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेउ मुनिनाथ। हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ। इसमें मुनि वशिष्ठ ने व्याकुल होकर कहते हैं कि हे भरत! सुनो, होनी बहुत बलवान है। हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश, ये सब विधाता के हाथ में हैं। इसी के जरिये एसपी ने अपना पक्ष रखा। एसपी ने कहा कि कितने लोग इस इंतजार में बैठे हैं कि मैं कब गिल्टी साबित हूं। लेकिन दोषी तो तब साबित होंगे, जब कोई आरोप लगाने वाला सामने आए।

जिले में तैनात हैं 150 महिला पुलिस कर्मी

इस मामले की जांच फतेहाबाद की एसपी आस्था मोदी कर रही हैं। अध्यक्ष ने आस्था मोदी से भी बात कर केस का स्टेटस पता किया। आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने बताया कि जिस जिले में आईपीएस अधिकारी एसपी के पद पर तैनात हैं, वहां करीब 150 के महिला पुलिस कर्मी कार्यरत हैं।

50 महिला पुलिसकर्मी दे चुकीं बयान

साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस मामले को लेकर हरियाणा के प्रशासन ने भी सख्ती बरतना शुरू कर दी है क्यूंकि इस मामले को लेकर लगभग 50 महिला कर्मी के बयान सामने आ चुके हैं। आस्था मोदी के फतेहाबाद स्थित सरकारी आवास पर मंगलवार को 50 महिला पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए। सुबह 10 बजे बस से पहुंचीं महिला कर्मियों के एक-एक करके शाम तकरीबन सात बजे तक एसपी आस्था मोदी के समक्ष बयान दर्ज कराए गए।

सभी महिला पुलिस कर्मियों के दर्ज होंगे बयान

सभी महिला पुलिस कर्मियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। जांच अधिकारी द्वारा उन पुलिस कर्मियों का भी बयान दर्ज किया जाएगा, जिस पर पीड़िताओं ने सांठगांठ करने का भी आरोप लगाया है। एसपी द्वारा इस मामले में 43 महिला पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।

सोशल मीडिया पर महिला पुलिस कर्मियों ने की थी शिकायत

बता दें 25 अक्टूबर को इंटरनेट मीडिया पर चार पन्ने का एक शिकायत पत्र वायरल हुआ था। इस पर सात महिला पुलिस कर्मियों के हस्ताक्षर थे। जो कि 18 अक्टूबर को सीएम के नाम लिखा गया था। पत्र में महिला पुलिस कर्मियों ने एक आईपीएस अधिकारी पर यौन शोषण के प्रयास के आरोप लगाए थे।

प्रमोशन के लिए समझौता करने का दबाव

कहा था कि उन्हें पदोन्नति के नाम पर सहयोग करने के लिए कहा जा रहा है। बार-बार दबाव डाला जा रहा है। कुछ ही देर में जारी किए गए दूसरे पत्र में कहा गया था कि पीड़ित महिला पुलिसकर्मियों पर समझौते के लिए दबाव बनाया जा रहा है। 10-10 लाख रुपये का ऑफर देने का भी आरोप लगाया गया। उधर हरियाणा पुलिस संगठन के पदाधिकारी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सरकार की इस मामले पर पूरी नजर है।

क्या है पूरा मामला

जींद के एसपी सुमित कुमार के खिलाफ एक चार पेज का लैटर वायरल हुआ था। इस लैटर में एसपी पर 7 महिला कॉन्स्टेबल ने कथित तौर पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इसके बाद मामले ने सुर्खियां बटोरी और सरकार ने भी जांच के आदेश दिए थे। महिला आईपीएस अफसर आस्था मोदी को इस मामले में जांच अधिकारी बनाया गया था। महिला आयोग ने भी डीजीपी और एसपी को तलब किया था।

निष्पक्ष जांच को लेकर उठ रहे सवाल

क्या भाजपा सरकार में  जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार पर महिला पुलिस कर्मियों द्वारा लगाए गये यौन शोषण के आरोपों की सही ढंग से जांच हो  पायेगी ? इस सरकार से ऐसी कोई ज्यादा उम्मीद तो नहीं दिखती। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद इस एसपी को जींद से ट्रांसफर तक नहीं करना बताता है कि इनको किसी आरएसएस,बीजेपी नेता का खुला संरक्षण है ।

एसपी सुमित कुमार पर लगे इन आरोपों में सच कितना है, ये तो सही ढंग से हुई जांच से ही पता चल पायेगा। लेकिन ये जरूर सुनने में आया है कि हरियाणा के पुलिस अधिकारियों में अपनी जूनियर महिला पुलिस कर्मियों का यौन शोषण करना आम बात है, कोई विशेष बात नहीं । इसी के चलते सिर्फ पांच साल पहले भर्ती हुई किसी किसी महिला पुलिस कांस्टेबल को तो इन पुलिस अधिकारियों ने बार बार  प्रमोशन देकर पुलिस सब इंस्पेक्टर भी बना डाला है, जबकि पुलिस अधिकारियों के यौन शोषण के खेल में संलिप्त न होने वाली महिला पुलिस कर्मी अपनी प्रमोशन के लिये धक्के खा रही हैं।

पहले भी गुमनाम चिट्ठी पर हुई थी डेरा सच्चा सौदा सिरसा प्रमुख की जांच, हुई सजा 

गुमनाम चिट्ठी का हरियाणा में यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व जब प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे और देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे, उस समय सिरसा से कुछ साध्वियों द्वारा गुमनाम चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी गई थी। जिस पर प्रदेश और केंद्र सरकार के अनुशंसा के बाद सीबीआई जांच कराई गई। इसी गुमनाम चिट्ठी के आधार पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम को अदालत ने सजा दी। जब उस गुमनाम चिट्ठी पर सीबीआई की जांच हो सकती है तो इस चिट्ठी पर क्यों नहीं? यौन शोषण से जुड़े दोनों मामलों पर दोहरा मापदंड क्यों?

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