आज पूरे हरियाणा मेें डीएपी खाद पुलिस के पहरे में बांटा जा रहा है और वह भी आधारकार्ड देखकर एक किसान को खाद के केवल दो ही कट्टे दिये जा रहे है : विद्रोही

पर्याप्त खाद न मिलने के चलते किसानों को मजबूरी में डीएपी खाद ब्लैक में खरीदना पड रहा है। सवाल उठता है कि जो डीएपी खाद ब्लैक में उपलब्ध हो जाता है, वहीं खाद सरकारी रेट पर क्यों नही मिल पाता? विद्रोही

मुख्यमंत्री से मांग की कि कांग्रेस को कोसने व लम्बीे-चौडी डींगे हांककर सत्ता अंहकार दिखाने की बजाय वे किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करवाकर अपना राजधर्म निभाये : विद्रोही

29 अक्टूबर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने किसान हितैषी होने का ढोंग करने वाले सत्ता अहंकार में चूर बडबौले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पूछा कि पूरे हरियाणा में पर्याप्त डीएपी खाद किसानों को क्यों नही मिल रहा? विद्रोही ने कहा कि भाजपा नेता विगत कांग्रेस राज पर खाद के संदर्भ में अनर्गल आरोप लगाते रहते है, परन्तु विगत दस सालों से रबी फसल बिजाई से पूर्व खाद पर किस तरह मारा-मारी मचती आ रही है, इस पर भाजपा सरकार न तो विचार करने को तैयार है और न ही कभी पर्याप्त मात्रा में खाद की व्यवस्था करने को गंभीर रही है। आज पूरे हरियाणा मेें डीएपी खाद पुलिस के पहरे में बांटा जा रहा है और वह भी आधारकार्ड देखकर एक किसान को खाद के केवल दो ही कट्टे दिये जा रहे है। लोग सुबह से सांय तक खाद लेने के लिए लाईन में लगे रहते है। दिनभर पुलिस के डंडे खाते है, फिर भी रात को खाली हाथ बिना खाद लिये लौटते है और अगले दिन फिर लाईन में लग जाते है, फिर भी खाद नही मिलता। 

 विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल क्षेत्र में तो डीएपी खाद की इतनी किल्लत है कि सरसों व गेंहू की बिजाई के लिए एक भी किसान को पर्याप्त खाद नही मिला। पर्याप्त खाद न मिलने के चलते किसानों को मजबूरी में डीएपी खाद ब्लैक में खरीदना पड रहा है। सवाल उठता है कि जो डीएपी खाद ब्लैक में उपलब्ध हो जाता है, वहीं खाद सरकारी रेट पर क्यों नही मिल पाता? वहीं कांग्रेस राज में एक डीएपी खाद के कट्टे में जहां 50 किलोग्राम का वनज होता था, वह घटकर 40 किलोग्राम रह गया है। इस प्रकार खाद के मामले में किसान पर दोहरी पड़ रही है। एक ओर खाद उपलब्ध नही होने से किसान ब्लैक में खाद खरीदने को मजबूर है तो वहीं दूसरी ओर 50 किलोग्राम कटटे में 40 किलोग्राम वजन रहने से उसे दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है। वहीं सत्ता अंहकार में चूर मुख्यमंत्री रोज कांग्रेस पर ऐसेे-ऐसे अभद्र बडबौल बोलते है जो किसी भी मुख्यमंत्री के मुंह से शोभा नही देते। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से मांग की कि कांग्रेस को कोसने व लम्बीे-चौडी डींगे हांककर सत्ता अंहकार दिखाने की बजाय वे किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करवाकर अपना राजधर्म निभाये।    

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