अब तक दक्षिण से तीन अध्यक्ष रह चुके, ‘भाजपा का नया अध्यक्ष दक्षिण भारत से बनाने पर मंथन?

अशोक कुमार कौशिक 

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा का कार्यकाल इसी साल जनवरी में खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव के लिए जून तक विस्तार दिया गया था। भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दक्षिण भारत से हो सकता है। पार्टी ने 15 दिसंबर तक नया अध्यक्ष चुनने का लक्ष्य रखा है।

प्रदेश संगठनों से कहा गया है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक अपने यहां संगठन चुनाव पूरे कर लें, ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी की संवैधानिक जरूरतों को पूरा किया जा सके।

इन नामों पर चर्चा

जम्मू कश्मीर और हरियाणा चुनाव से पहले जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए वसुंधरा राजे, अनुराग ठाकुर, स्मृति ईरानी के नामों पर चर्चा हो रही थी तो वही अब मनोहर लाल खट्टर, देवेंद्र फडणवीस, धर्मेंद्र प्रधान, जी. किशन रेड्डी, शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे नामों की चर्चा अध्यक्ष पद के लिए हो रही है।

दक्षिण भारतीय नेता पर नजर?

संभावना जताई जा रही है कि पार्टी की संसदीय समिति इस बार दक्षिण भारत के किसी नेता को कमान सौंप सकती है। भाजपा के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भी बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णमूर्ति और वेंकैया नायडू जैसे दक्षिण भारतीय नेता अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके है। संघ के सूत्रों का मानना है कि भाजपा के लिए इस समय दक्षिण भारत में विस्तार के लिए वहां के किसी नेता को आगे लाना बेहतर होगा। इसके साथ ही, पार्टी अपने काडर और कोर समर्थकों को जोड़े रखने के लिए सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिहाज से सवर्ण समुदाय से ही अध्यक्ष चुन सकती है।

वाजपेई सरकार के दौरान दक्षिण भारत से तीन शख्स राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। ये हैं: बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णामूर्ति और वेंकैया नायडू। पीएम मोदी के दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर और पश्चिम भारत के रहे।

फिलहाल भाजपा के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी. किशन रेड्‌डी, के. अन्नामलाई, के. ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। हो सकता है कि पार्टी इन्हीं में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए।

जून में बढ़ा था जेपी नड्‌डा का कार्यकाल

मौजूदा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा का कार्यकाल इसी साल जनवरी में खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव के लिए जून तक विस्तार दिया गया था। जुलाई में पार्टी को नया अध्यक्ष चुनना था, लेकिन नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले संगठनात्मक चुनाव की जरूरत होती है। इसमें 6 महीने का समय लगता है। इसलिए जून में नड्‌डा का कार्यकाल 6 महीने और बढ़ाया गया था।

अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया

पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसदीय बोर्ड के सदस्य के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया है। अध्यक्ष के चुनाव से पहले जरूरी आम सदस्यता अभियान का काम पूरा हो चुका है। सक्रिय सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी हो जाएगी।

इसके बाद प्रदेशों में बूथ, मंडल, जिला से लेकर प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव होंगे। भाजपा संविधान के मुताबिक, 50% राज्यों के संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।

अभी पूर्व से राष्ट्रपति, पश्चिम से उप राष्ट्रपति और उत्तर से प्रधानमंत्री हैं

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उपयुक्त व्यक्ति को लेकर पार्टी का संसदीय बोर्ड विचार करेगा। इसके लिए मैकेनिज्म पर काम किया जा रहा है।

मोदी सरकार की प्राथमिकता में देश के सभी हिस्सों को संगठन और सरकार में प्रतिनिधित्व देने की कोशिश रहती है। इस लिहाज से विचार चल रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए दक्षिण भारत का कोई नेता उपयुक्त हो सकता है।

मौजूदा राष्ट्रपति पूर्वी भारत से आती हैं। उप राष्ट्रपति पश्चिम भारत से। प्रधानमंत्री उत्तर भारत (वाराणसी के सांसद) से चुने गए हैं। ऐसे में दक्षिण भारत के किसी नेता को जिम्मेदारी मिलने की संभावना अधिक है।

अध्यक्ष के चुनाव से पहले जरूरी आम सदस्यता अभियान का काम पूरा हो चुका है। सक्रिय सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी हो जाएगी।

अब तक चुनाव निर्विरोध

भाजपा में अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होता आया है। यानी सिर्फ एक ही व्यक्ति नामांकन करता है और बिना वोटिंग अध्यक्ष चुन लिया जाता है। इस बार भी यही परंपरा रहने की उम्मीद है। हालांकि, 2013 में जब नितिन गडकरी को दोबारा अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब यशवंत सिन्हा ने नामांकन पर्चा लिया था। इससे बवाल मच गया था, लेकिन जब गडकरी ने अनिच्छा दिखाई, तब सिन्हा ने पर्चा वापस लिया था और राजनाथ सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।

अभी कौन, कहां प्रदेश अध्यक्ष

* आंध्र प्रदेश- दग्गुबाती पुरंदेश्वरी * अरुणाचल प्रदेश- बियुराम वाहगे * असम- भाबेश कलिता

* बिहार- दिलीप कुमार जयसवाल * छत्तीसगढ़ – किरण सिंह देव * गोवा सदानंद- तनावड़े

* गुजरात – सीआर पाटिल * हरियाणा- मोहन लाल बड़ौली * हिमाचल प्रदेश- राजीव बिंदल

* झारखंड- बाबूलाल मरांडी * कर्नाटक- बीवाई विजयेंद्र * केरल- के सुरेंद्रन * मध्य प्रदेश- वीडी शर्मा

* महाराष्ट्र- चन्द्रशेखर बावनकुले * मणिपुर- अधिकारीमयुम शारदा देवी * मेघालय- रिकमान मोमिन

* मिजोरम- वनलालहमुअका * नगालैंड- बेंजामिन येपथोमी * ओडिशा- मनमोहन सामल

* पंजाब- सुनील जाखड़ * राजस्थान- मदन राठौड़ * सिक्किम- दिल्ली राम थापा * तमिलनाडु- के अन्नामलाई

* तेलंगाना- जी किशन रेड्डी * त्रिपुरा- राजीब भट्टाचार्य * उत्तर प्रदेश – चौधरी भूपेन्द्र सिंह

* उत्तराखंड- महेंद्र भट्ट * पश्चिम बंगाल- सुकांत मजूमदार

केंद्र शासित प्रदेशों में अध्यक्ष

* अंडमान और निकोबार- अजॉय बैरागी * चंडीगढ़- जतिंदर पाल मल्होत्रा * दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव – दीपेश ठाकोर भाई टंडेल

* दिल्ली- वीरेंद्र सचदेवा * जम्मू-कश्मीर- रविंदर रैना * लद्दाख- फुंचोक स्टैनज़िन * लक्षद्वीप- केएन कास्मिकोया

* पुडुचेरी- एस सेल्वगणपति

शुभ लग्न का इंतज़ार

पार्टी और सियासी सूत्रों की मानें तो 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास का समय रहेगा, जिसमें कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होते है। ऐसे में पार्टी का नया अध्यक्ष इस दौरान पदभार ग्रहण नहीं करेगा। वहीं, जनवरी से दिल्ली विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, इसलिए बीजेपी के पास नए संगठन को स्थापित करने और चुनावी तैयारियों के साथ आगे बढ़ने के लिए ज्यादा समय नहीं होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *