भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। नायब सैनी ने मंत्रीमंडल की घोषणा कर दी और उस घोषणा से इंद्रजीत खेमे की आशाओं पर तुशारापात हो गया, क्योंकि कहां तो दक्षिणी हरियाणा के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रहे थे। उसके पश्चात उनका दावा आरती को उपमुख्यमंत्री बनाने का रहा लेकिन मंत्रीमंडल में उन्हें स्वाथ्य विभाग मिला। अब किस विभाग की कितनी अधिक अहमियत है, इसका फैसला तो करने में मैं या जनता सक्षम नजर नहीं आते लेकिन हमें जो सीधा-सीधा दिखता है, वह यह है कि राव नरबीर सिंह को चौथे नंबर पर शपथ के लिए बुलाया गया और आरती राव को 12वें नंबर पर बुलाया गया तो आम आदमी की सोच यही रहती है कि जैसे सर्वप्रथम मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई जाती है, वैसे ही महत्व को देखते हुए मंत्रियों को बुलाया जाता है। राव नरबीर सिंह को उद्योग और परिवहन विभाग मिले हैं। अब किसकी अधिक महत्ता है, इसका निर्णय पाठक स्वयं कर लें।

अब विधानसभा चुनाव की बात करते हैं। भाजपा ने दक्षिणी हरियाणा में 2019 से भी अच्छा प्रदर्शन किया है। 11 में से 10 सीट प्राप्त की हैं लेकिन इन 10 सीटों में सबसे अधिक महत्व 2 सीटों का रहा। एक गुरुग्राम से राव नरबीर और दूसरा अटेली से राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव। समाचार यह भी खूब चुनाव में चलते रहे कि दोनों एक-दूसरे को हराने के प्रयास में हैं। अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह हम दावे से नहीं कह सकते लेकिन इतना अवश्य है कि राव नरबीर ने अपना चुनाव बहुत अच्छे वोटों से जीता, जबकि राव इंद्रजीत सिंह ने दक्षिणी हरियाणा में अपनी सबसे अधिक जनाधार वाली विधानसभा आरती राव के लिए चुनी थी लेकिन वहां भी राव इंद्रजीत सिंह को अत्याधिक समय व्यतीत करना पड़ा और फिर भी आखिरी राउंड की गिनती में ही विजयश्री हासिल हुई वरना वह पीछे ही चल रही थीं। 3 हजार लगभग वोटों से आरती राव जीतीं।

इस पर क्षेत्र में चर्चाएं चलती रहीं कि राव इंद्रजीत सिंह का जो जलवा पहले था वह अब रहा नहीं। खुद भी सांसद के चुनाव में बहुत कम अंतर से जीत पाए और दक्षिणी हरियाणा जो उनका गढ़ माना जाता है, उसमें मजबूत सीट मानकर आरती राव को मैदान में उतारा लेकिन उन्हें बामुश्किल विजय प्राप्त हुई। इससे यह तो अनुमान लग ही गए कि अब राव इंद्रजीत सिंह के जनाधार में कमी आ गई है, क्योंकि जब अन्य सीटें भाजपा उम्मीदवार आराम से जीत पाए तो इसमें इतना संघर्ष शायद यही दर्शाता है।

मंत्रीमंडल की शपथ में अनुमान लगाए जा रहे थे कि दक्षिणी हरियाणा को बड़ा हिस्सा मिलेगा। पहले भी नारनौल-रेवाड़ी से दो मंत्री थे लेकिन अब केवल आरती राव को मंत्री पद प्राप्त हुआ। इस प्रकार वह पहली बार विधायक चुनने पर मंत्री पद पाने का गौरव प्राप्त कर पाईं लेकिन चर्चाएं यह चल रही हैं कि राव इंद्रजीत सिंह के प्रिय बिमला चौधरी दूसरी बार विधायक बनी हैं। इसी प्रकार रेवाड़ी लक्ष्मण यादव भी दूसरी बार विधायक बने हैं। ओमप्रकाश यादव जो पहले मंत्री भी थे, तीसरी बार विधायक पद पाने में सफल हुए हैं और ये सभी राव इंद्रजीत के विशेष कृपा पात्र कहलाए जाते हैं। तो अब क्षेत्र में चिंता है कि राव इंद्रजीत सिंह को अपने अनुयायिओं से अधिक अपनी पुत्री की चिंता है और ये जो विरोध के स्वर और दक्षिणी हरियाणा की बात उठा रहे थे, उनके पीछे उनका छुपा हुआ लक्ष्य केवल और केवल अपनी पुत्री को राजनीति में स्थापित करना था, जिसमें वह सफल भी हुए।

राव इंद्रजीत सिंह 2013 में भाजपा में आए थे। उसके पश्वात से आज तक वह भाजपा कार्यकर्ताओं से सामंजस्य नहीं बिठा पाए। यही चर्चाएं चलती रहीं कि ये भाजपा के हैं और ये राव इंद्रजीत के हैं और यह चुनाव में भी प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर रहा, जिसमें यह तो भाजपाईयों को अपनी ओर करने में सफल नहीं हो पाए लेकिन इनके पुराने आदमी भी भाजपा के भक्त बन गए। और अब आरती राव के चुनाव जीतने पर भी इनके गृह क्षेत्र रेवाड़ी में भी बधाईयां देने वालों की संख्या अपेक्षित नहीं रही। रेवाड़ी की सडक़ों पर लगे बधाई के बोर्ड इस बात की तसदीक करते हैं।

लोगों से चर्चा कर कुछ यह समझ आया कि जबसे इन्होंने राव तुलाराम के परिवार को मोदी का परिवार में समाहित कर दिया तब से ही अहीर इनसे छिटकने लगे। दूसरी ओर राव नरबीर सिंह और इनके परिवार का कई पीढिय़ों से मुकाबला चल रहा है लेकिन ज्यादातर पलड़ा राव बिरेंद्र सिंह परिवार का ही भारी रहा है लेकिन इस समय राव नरबीर सिंह इन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

तो इस प्रकार ऐसा लगता है कि दुविधा में दोनों गए, माया मिली ना राम, यह कहावत चरितार्थ हुई, क्योंकि न तो मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ और न ही मंत्रीमंडल के पहले पांच में आए तथा दूसरी तरफ जनाधार भी घटता जा रहा है। ऐसे समय में यह देखना होगा कि इतने पुराने मंझे हुए राजनीतिज्ञ राव इंद्रजीत सिंह अब क्या रणनीति अपनाएंगे अपना जनाधार वापिस प्राप्त करने के लिए।

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