बिना किसी बड़े नेता के सहारे आखिर तक चलाया हाथी को

अगर मायावती सीट को गंभीरता से लेकर स्वयं आती तो मिल जाती जीत?

अटेली सीट को जीतने के लिए राव इंद्रजीत सिंह ने सब कुछ दांव पर लगाया

आरती राव की जीत रामपुरा हाउस के लिए सबक, भाग्य का धन्यवाद कीजिए

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार जीत हासिल कर सरकार बनाने की ओर है। विधानसभा चुनाव में जिला महेंद्रगढ़ की एकमात्र हॉट सीट रही अटेली विधानसभा इन सबके बीच ऐसी है जहां मायावती की बहुजन समाज पार्टी का हाथी ठाकुर अतर लाल के बलबूते आगे चलता रहा है। हरियाणा के चुनावी दंगल में भले ही भाजपा- कांग्रेस की टक्कर हो लेकिन इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा ने या इसे यूं कहें कि ठाकुर अतर लाल ने दोनों पार्टियों को पीछे कर दिया है। अगर और स्पष्ट कहे तो बिना किसी बड़े नेता के आखिर तक इनेलो मायावती गठबंधन को आखिर तक मैदान में जमाए रखा।

राव इंद्रजीत सिंह की बेटी को दिया था बीजेपी ने टिकट

इस सीट पर भाजपा की आरती सिंह राव दूसरे नंबर पर और कांग्रेस की अनिता यादव तीसरे नंबर है। यहां से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी क्योंकि उनकी बेटी आरती सिंह को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। 

बीजेपी का गढ़ रहा है अटेली

अटेली को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है जहां बीजेपी पिछले दो चुनाव से लगातार जीत रही थी। यह ठाकुर रतनलाल का दूसरा चुनाव है जिसमें वह दूसरे नंबर पर रहे हैं इस बार तो उन्होंने राव इंद्रजीत सिंह को नाको चने चबवा दिए। यादव बहुल सीट पर बड़ी आबादी ग्रामीण मतदाताओं की हैं।

अगर मायावती आ जाती तो बदल जाते समीकरण

यहां यह बता दें कि इस सीट को लेकर 2019 और 2024 के चुनाव में मायावती ने गंभीरता नहीं दिखाई। 2019 के चुनाव में उन्होंने स्वयं न आकर सतीश चन्द्र मिश्रा को भेजा। वही 2024 के चुनाव में भी खुद ना कर अपने भतीजे आकाश आनंद को भेजा। शायद मायावती को इस बात का अनुमान नहीं था। यही चूक मायावती को भी भारी पड़ी और ठाकुर अतरलाल को भी। इनेलो से भी कोई बड़ा नेता रैली करने के लिए नहीं आया। हालांकि इनेलो के कारण कुछ जाट वोटों का सहारा अवश्य लगा।

राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी के लिए सब कुछ लगाया दांव पर

दूसरे मायने में गुरुग्राम के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र परिवार राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी बेटी की जीत के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। अपने समर्थक उम्मीदवारों की जीत का पैमाना तय करने वाले राव इंद्रजीत सिंह के लिए आरती को जिताना अपने राजनीतिक जीवन की में सबसे बड़ी जंग जीतना जैसा रहा। राव तुलाराम के वंशज को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक का सहारा लेना पड़ा। अंतिम समय भाग्य ने साथ दिया और मात्र ढाई हजार मतों से जीत मिलने पर प्रतिष्ठा बची।

रुझानों में हरियाणा की अटेली विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार ठाकुर अत्तरलाल 6 राउंड की मतगणना के बाद 5400 से अधिक वोटों से आगे चल रहे हैं। मायावती ने राज्य में अभय चौटाला के इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन किया हुआ था। 3:45 तक राता गांव के बूथ खुलने तक ठाकुर अतरलाल आगे चल रहे थे। कई बार यह लगा ठाकुर अतर लाल जीतने जा रहे हैं। पूर्व विधायक सीताराम यादव व नारनौल से विधायक एवं पूर्व मंत्री ओम प्रकाश यादव के गांव सुजापुर व बजाड़ से भी आरती राव को कोई बहुत बड़ी लीड नहीं मिली। बड़े गांव बाछोद व मिर्जापुर से भी कोई बहुत बड़ी लीड लेकर आरती नहीं निकली। उनिंदा, धनुंदा, अटेली, बेगपुर, नांगल, पृथ्वीपुरा, राजपुरा, कुंजपुरा, सैदपुर, नावदी तथा बिहाली आदि अहीर बाहुल्य गांवों ने आरती की लाज को बचा दिया। 

अंतिम तीन से चार राउंड में आरती को मिली थोड़ी सी बढ़त और उपरोक्त गांवों में जातिगत समीकरण के चलते आरती बड़ी मशक्कत से जीत की दहलीज पर पहुंच पाई। राव इंद्रजीत सिंह ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके लिए सबसे सुरक्षित कहलाए जाने वाले अटेली में उन्हें इतना संघर्ष करना पड़ेगा। देखा जाए तो यह जीत ‘रामपुरा हाउस’ के लिए एक बहुत बड़ा ‘सबक’ है। राव इंद्रजीत सिंह व आरती को समझना ही होगा कि उनके पास समर्थकों की जो टीम नजर आ रही है, उसमें मूल्यांकन करने का समय आ चुका है। साथ ही अपने प्रबंधन को भी समय के साथ बदलना होगा। समर्थकों में बहुत से ऐसे भी है जो राव इंद्रजीत सिंह के नाम का एटीएम की तरह इस्तेमाल करते हैं। फलस्वरुप उनकी जमीनी ताकत पहले से ज्यादा कमजोर हुई है। यह जीत खुशी मनाने से ज्यादा सबक देने वाली रही। रामपुरा हाउस को अब जनता के साथ सीधा जुड़ाव करना होगा बिचोलिए की परंपरा को तिलांजलि देनी होगी।

पिछले विधानसभा चुनाव की तो अटेली सीट से बीजेपी ने सीताराम यादव को टिकट दिया था जिन्होंने शानदार जीत हासिल की थी। वहीं बसपा के अतर लाल दूसरे नंबर पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी ठाकुर अतर लाल ने साबित कर दिया कि अपने व्यवहार और सामाजिक संबंधों से भी अपना अलग मुकाम हासिल किया जा सकता है अतरलाल बेशक जीत नहीं पाए लेकिन अपने दम पर 45000 से ज्यादा वोट लेकर साबित कर दिया कि वह यहां के लोगों के दिल जीतने में जरुर सफल हुए हैं।

तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी अनीता यादव ने भी अपने दम पर ही मुकाबले में अपनी दावेदारी को किसी सूट से काम नहीं होने दिया अनीता ने भी कांग्रेस से ज्यादा खुद की ताकत से यह चुनाव लड़ा। यदि अनीता यादव अटेली क्षेत्र में भी अहीर मतदाताओं में थोड़ी सेंघमारी कर लेती तो आरती राव के लिए जितना नामुमकिन हो जाता।

पार्टी के लिए होगी बड़ी सफलता

इस सीट पर जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार आयुषी अभिमन्यु राव और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुनील राव भी मुकाबले में नजर ही नहीं आ रहे थे। हालांकि उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे दिया था। अटेली सीट पर केंद्रीय मंत्री इंद्रजीत राव की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। 

अगर अटेली सीट पर बसपा जीत हासिल करती, तो यह पार्टी के लिए बड़ी सफलता होती। क्योंकि पिछले दो चुनावों में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले कांग्रेस भी इस सीट पर विजयी रही थी। ऐसे में बसपा के लिए कांग्रेस और बीजेपी को हराकर इस सीट पर जीतना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती।

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