“आओ सब मिलकर के शिक्षक दिवस मनाएं, ज्ञान का दीप जलाकर करके अज्ञान को दूर भगाए “

वानप्रस्थ संस्था में धूमधाम से मनाया गया शिक्षक दिवस

हिसार – वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब में आज शिक्षक दिवस बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। वरिष्ठतम प्राध्यापक डा: एम पी गुप्ता , प्रधान श्री दयानंद बैनीवाल ने अन्य सदस्यों के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया । इस से पहले श्रीमती कौशल जैन एवं श्रीमती कमला सैनी ने सभी अध्यापकों के आगमन पर उनको तिलक लगाया और पुष्प भेंट कर स्वागत किया।इस से पहले शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सदस्यों ने गमलों में 60 पौधे लगाए।

क्लब के महासचिव डा: जे. के. डाँग ने सभी अध्यापकों एवं क्लब के वरिष्ठ सदस्यों का अभिनंदन करते हुए कहा कि आज हम अपने शिक्षको को नमन करते हैं जिन्होंने हमारे जीवन को सजाया और संवारा है । डॉ पुष्पा ख़रब , डा: सुदेश गांधी , डा: दवीना ठकराल , डा: कृष्णा हुडा एवं श्रीमती सुनीता महतानी ने मिलकर सरस्वती वन्दना एक नए अन्दाज़ में प्रस्तुत की । मंच संचालिका डॉ. दवीना अमर ठकराल ने सभी को शिक्षक दिवस की अनंत बधाई देते हुए कहा कि शिक्षक बचपन से अब तक अक्षर ज्ञान करा कर संपूर्ण ज्ञान देने वाले, ईश्वर तुल्य, अंधकार से रोशनी की ओर ले जाने वाले, अज्ञान का तिमिर हटाने वाले, मार्ग दर्शक एवं हमारे पथ प्रदर्शक हैं । शिक्षकों से हमने सीखा….शुभाचरण,सद्व्यवहार, चरित्र निर्माण,समायोजन, परिस्थितियों से संतुलन बनाना ।

आज हम वन्दनीय, सम्माननीय, शिक्षकों, गुरु जनों को स्मरण करते हुए चरण वंदन व हार्दिक नमन करते हैं ।

डॉ पुष्पा ख़रब ने प्रश्नोतरी प्रतियोगिता का आयोजन कर सभी उपस्थित प्रबुद्धजनों की सहभागिता को सुनिश्चित करते हुए सब का मनोरंजन एवम ज्ञान – वर्धन किया। इस अवसर पर डॉ सुनीता जैन ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की झलक व शिक्षा दिवस का महत्व पर अपने वक्तव्य में कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षक / गुरु का सम्मान किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि डा राधा कृष्णन महान विद्वान, एक प्रख्यात दार्शनिक, एक उल्लेखनीय और प्रतिष्ठित शिक्षक, स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। डॉ. राधाकृष्णन को उनके छात्र बहुत सम्मान देते थे । उन्होंने अद्वैत और वेदांत पर विस्तार से लिखा और पश्चिमी देशों के धर्म प्रचारक और हिंदू धर्म के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य किया। उन्होंने अभेद (मनुष्यों के बीच कोई भेद नहीं) का सिद्धांत दिया।

डा: जैन ने कहा कि एक आदर्श शिक्षक में प्रेम, दया, करुणा, आशावाद, आत्मविश्वास, सच्चाई का सामना करने का साहस, विकास की मानसिकता होनी चाहिए और उसके कार्य और व्यवहार में समानता होनी चाहिए तभी देश आगे बढ़ सकता है

उन्होंने कहा कि आज हम उन महान शिक्षकों का अनुसरण कर रहे हैं या सिर्फ जश्न मनाने के लिए जश्न मना रहे हैं। शिक्षण पेशे को सम्मान और गौरव दिलवाना समाज और शिक्षण समुदाय दोनों का कर्तव्य है। हमें शिक्षक-शिष्य संबंधों में सामंजस्य और दक्षता बनाए रखने की आवश्यकता है ।

हृदय को झकझोर देने वाले अपने व्यक्तव्य में महारानी लक्ष्मी बाई कॉलेज की प्रधानाचार्य डा: शमीम शर्मा ने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में कुछ ऐसी समस्याएं हैं जैसे शिक्षकों का समाज में सम्मान ना होना, समाज में शिक्षकों की प्रशिक्षण की गुणवत्ता, डिजिटल शिक्षा का प्रसार, शिक्षा सामग्रियों की अधोपतन, और शिक्षा सेवाओं की पहुंच में असमानता , शिक्षा का व्यावसायीकरण आदि। समाज के प्रबुद्ध शिक्षाविदों और हमारी सरकारों को जागना होगा और मिलकर मंथन करना होगा , तभी कुछ सुधार की आशा की जा सकती है अन्यथा हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है ।
उन्होंने शिक्षकों को समर्पित करते हुए इन पंक्तियों से

“ हम फ़क़ीरों से जो चाहो ले जाए,
फिर ना जाने ये हवा हमें कहाँ ले जाए ।
सरे राह चिंगारी लिए बैठे हैं हम,
जो चाहे चिराग़ों को जला ले जाए …
से अपनी बानी को विराम दिया ।

श्री मती राज गर्ग,जिन्होंने अपने जीवन के 37 वर्ष राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापक / प्रधानाचार्य के रूप में विद्यार्थियों के जीवन परिवर्तन होते देखा है, अपनी स्वरचित कविता

“ शिक्षक ना पद है, ना पेशा है और ना ही व्यवसाय है,
शिक्षक सभी धर्मों से ऊंचा धर्म है
खुद कुआं है,पर प्यासा है “
प्रस्तुत की

श्री एस. पी . चौधरी ने स्वरचित कविता
“ आओ सारे मिलकर के शिक्षक दिवस को मनाएं,
ज्ञान का दीप जलाकर करके अज्ञान को दूर भगाएं।
गांव गांव और नगर नगर में यह संदेश फैलाएं,
ज्ञान का दीप जला करके अज्ञान को दूर भगाऐं …के माध्यम से शिक्षा के प्रचार का आह्वान किया वहीं श्री प्रेम केडिया ने भी गुरु – शिष्य के संबंधों पर कविता पेश की

क्लब की उपप्रधान डा: सुनीता शिओकंद ने सरकारी स्कूलों के स्तर बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया ।क्लब के उपसचिव डा: राजेंद्र जैन ने इस समारोह को सफल बनाने में उपस्थित सज्जनों का आभार प्रकट किया। इस आयोजन को सफल बनाने उन्होंने विशेषकर डा शमीम शर्मा , डा दवीना ठकराल , श्रीमती राज गर्ग, सुनीता बहल , कौशल जैन , कमला सैनी, डॉ पुष्पा खरब एवं श्री अशोक खट्टर का धन्यवाद किया डा :जैन ने बताया कि 20 महिला सदस्यों सहित 50 सदस्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

डा : दवीना ठकराल ने कार्यक्रम का समापन निम्न पंक्तियों द्वारा किया…,

“ प्रथम शिक्षक मात पिता, दूजे सकल गुणों की ख़ान,
तीजे अध्यात्म राह दिखला, पूजा योग्य हैं महान।
ज्ञान पुंज ज्ञान दाता, जीवन और निर्माता है शिक्षक,
करें नित श्रद्धा से वंदन होते, हैं ये ईश्वरीय वरदान॥
शिक्षक ज्ञान के सागर, अम्बर से विस्तृत हैं,
बांटकर ज्ञान अनवरत, संवार देते जीवन हैं।
रहें कृतज्ञ हर पल हर क्षण,हर साँस से हम,
ज्ञान की जोत बनकर, हरते अज्ञान तिमिर हैं ।
करें सम्मान शिक्षक का, शिक्षक दिवस मनाएँ हम,
देकर ज्ञान शिक्षा का, अनपढ़ अब न कोई हो॥

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