हरियाणा महाराष्ट्र हारे तो राष्ट्रीय राजनीति में हो सकता है बदलाव ……….

कौन जीतेगा हरियाणा में क्या कहते हैं चुनाव विश्लेषण?

संघ के फीडबैक और सर्वे के बाद तय होंगे भाजपा की टिकट, युवाओं को तरजीह 

भाजपा और संघ के बीच दूरियां कम होने के आसार, हरियाणा में संघ भेजेगा नए प्रचारक

करीब 40 फीसदी से अधिक मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ होगा?

कुछ खास होगा इस बार का चुनाव घोषणा पत्र

हरियाणा में हलोपा भाजपा गठबंधन 

अशोक कुमार कौशिक 

इस साल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम देखे जाएं तो इनमें से 2 राज्यों में भाजपा कमजोर दिखाई पड़ रही है। ये राज्य हरियाणा और महाराष्ट्र हैं। अगर इन राज्यों में से भाजपा तीन में हार जाती है तो उथल पुथल होने की गुंजाइश है। पहला असर यह हो सकता है कि राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव हो जाए, क्योंकि 2 राज्य जो अभी भाजपा के पास हैं वो उसके हाथ से निकल जाएंगे।

जब इस तरह का माहौल दिखने लगेगा कि जनता का रुख बदल रहा है तो बदलाव की संभावना बनी रहेगी। बिहार में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होना है। इस बीच काफी बदलाव की गुंजाइश बनी रहेगी। जब भाजपा के सहयोगियों को ये लगने लगेगा कि जिस पार्टी के साथ वो खड़े हैं उसका जनाधार छिटक रहा है तो कुछ न कुछ बदलाव की संभावना तो रहेगी ही। ऐसा होने की संभावना हरियाणा और महाराष्ट्र, इन दोनों राज्यों में काफी हद तक दिखाई दे रही है। 

लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में पार्टी के खराब प्रदर्शन से सीख लेते हुए बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। इस सिलसिले में आपसी कड़वाहट को दरकिनार करते हुए हरियाणा चुनावों के लिए आरएसएस और बीजेपी नेता कदमताल करते नजर आ रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर संघ के पदाधिकारियों के साथ बीजेपी नेताओं की मीटिंग के अलावा दिल्ली में तीन और बैठकें की जा चुकी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हरियाणा में बीजेपी अब आरएसएस के भरोसे है?

क्या बीजेपी संघ के सुझावों से हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाएगी? दरअसल, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि दो महीने पहले एक इंटरव्यू में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बीजेपी अब सक्षम है। आज पार्टी अपने आप को चला रही है। पहले आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज बीजेपी सक्षम है और हम बढ़ गए हैं। हरियाणा चुनाव को लेकर गत सोमवार को प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर बैठक की गई, जिसमें प्रदेश मुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एमएल खट्टर, चुनाव सह प्रभारी विप्लव देव शामिल हुए। इस बैठक का मकसद था- एक दिन पहले आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में चर्चा की गई बातों पर कैसे अमल किया जाए?

उधर हरियाणा भाजपा के दिग्गज नेताओं ने लगातार सात घंटे तक अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार कर ली है। नई दिल्ली में दो दौर में हुई भाजपा दिग्गजों की यह बैठक मंगलवार रात साढ़े आठ बजे आरंभ हुई और बुधवार सुबह साढ़े तीन बजे खत्म हुई। भाजपा उम्मीदवारों को लेकर सर्वे कर रही एजेंसी और आईटी कंपनी के प्रमुख प्रतिनिधि भी इस रणनीतिक बैठक का हिस्सा बने। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गड़करी से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा की गई।

सूत्रों के अनुसार रविवार को हुई बैठक में आरएसएस अधिकारियों ने हरियाणा चुनावों के लिए बीजेपी नेताओं को एक खास सुझाव दिए। संघ की तरफ से बीजेपी को हरियाणा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को चुनाव मैदान में मौका देने की सलाह दी गई। इस तरह से यदि संघ पदाधिकारियों की सलाह पार्टी द्वारा मानी जाती है तो हरियाणा में इस बार तुलनात्मक रूप से नए और युवा चेहरों पर पार्टी अधिक दांव लगा सकती है। इस तरह से युवा चेहरों को तरजीह देने के साथ साथ कई नामी और पुराने नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाए जाने का फैसला हो सकता है।

संघ के अधिकारियों ने भाजपा को दिया ये सुझाव

मिली जानकारी के मुताबिक, संघ के अधिकारियों ने ये भी सुझाव दिया कि जिस किसी सीनियर नेता या सीटिंग विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट ठीक नहीं हो उनकी टिकट काट दी जानी चाहिए। संघ ने साफ कहा है कि सत्ता विरोधी लहर झेल रहे सिटिंग विधायकों से किनारा किया जाना चाहिए। ऐसे में मिल रही जानकारी के मुताबिक बीजेपी इस बार मौजूदा विधायकों का टिकट काटने में आनाकानी नहीं करेगी। करीब 40 फीसदी से अधिक मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो सकता है और इनकी जगह नए और युवा चेहरों को मौका दिया जा सकता है।

संघ पदाधिकारियों ने बीजेपी नेताओं को सुझाव दिया कि चुनाव के लिए पार्टी को जमीन पर विस्तृत कंसल्टेशन करने जरूरत है और हर सीट पर चार से पांच उम्मीदवारों का पैनल बनाकर उनमें से एक का चुनाव किए जाने की जरूरत है। यानि हर सीट पर पारंपरिक रूप से 2/3 नाम मंगवाए जाने की जगह 4/5 नाम मंगवाए जाएं ताकि पार्टी के सामने अधिक से अधिक उम्मीदवारों का पैनल पहुंच सके और पार्टी उनमें से विनिबलिटी के हिसाब से प्रत्याशी छांट सके।

क्या संघ के मंत्र से निकलेगी जीत की हैट्रिक?

बीजेपी के साथ समन्वय का काम देखने वाले आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की कर्मभूमि भी हरियाणा रही है। लिहाजा हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर वे भी नहीं चाहते कि सूबे की सत्ता पर बीजेपी और संघ की पकड़ कमजोर हो। ऐसे में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए आरएसएस के सभी अनुसंगिकों का अपेक्षित सहयोग और कोऑर्डिनेशन बेहतर ढंग से चले इसकी पूरी कवायद की जा रही है। इस सिलसिले में हफ्ते भर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संघ के सभी सांसदों के साथ बैठक की थी और उनको विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ झोंक देने की सलाह दी थी। उस बैठक में पीएम मोदी ने सभी सांसदों को सलाह दी थी कि हर हाल में हरियाणा चुनाव जीतने के लक्ष्य के साथ सभी सांसद जुट जाएं।

आरएसएस से मिलने वाले फीडबैक को रखा जाएगा ध्यान

बैठक में राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर मंथन करने के साथ ही उनके पाजिटिव और नेगेटिव संदर्भों पर खुलकर विचार विमर्श हुआ। हालांकि, टिकटों के लिए फाइनल नामों पर अगस्त माह के अंत में मंथन किया जाएगा। उससे पहले आरएसएस से मिलने वाले फीडबैक को भी ध्यान में रखा जाएगा।

सर्वे एजेंसियों से लिया गया फीडबैक

सर्वे एजेंसी के प्रतिनिधियों से फीडबैक लिया गया कि लोग केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार के कार्यों को लेकर क्या सोचते हैं, ताकि उसके आधार पर पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव कर सके। बैठक में कांग्रेस के हरियाणा मांगे हिसाब का धारदार तरीके से जवाब देने तथा इंटरनेट मीडिया पर कांग्रेस की खामियों को उजागर करने के साथ ही भाजपा की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करने पर सहमति बनी।

नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं हरियाणा के विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के निवास पर यह बैठकें हुई। पहले यह बैठक गुरुग्राम में होनी थी, लेकिन ऐन वक्त पर इसका स्थान बदल दिया गया।

पहली बैठक में ये रहे मौजूद

पहली बैठक में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ त्रिपुरा के पूर्व सीएम व विधानसभा चुनाव सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब, भाजपा के प्रदेश प्रभारी डा. सतीश पुनिया, सह प्रभारी एवं राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर, केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, भाजपा के प्रदेश प्रधान मोहन लाल बड़ौली, भाजपा के प्रांतीय संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा, तीनों महामंत्री कृष्ण कुमार बेदी, डा. अर्चना गुप्ता व सुरेंद्र पूनिया, राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला और करनाल के पूर्व सांसद संजय भाटिया चर्चा का हिस्सा बने।

दूसरे दौर की बैठक में ये रहे मौजूद

दूसरे दौर की बैठक में चारों प्रभारी व सह प्रभारी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, नायब सिंह सैनी और मोहन लाल बडौली ने चुनावी रणनीति पर चर्चा की। बैठक में भाजपा के मौजूदा विधायकों के अलावा साल 2019 में चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने पर सहमति बनी है, ताकि इनमें से चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले दावेदारों के नाम पर विचार किया जा सके। आरएसएस की ओर से दिए जाने वाले फीडबैक और सर्वे एजेंसी द्वारा सुझाए जाने वाले फीडबैक के बाद अगस्त में उम्मीदवारों के नाम फाइनल होंगे।

सर्वे एजेंसी को फीडबैक जुटाने के दिए निर्देश

सर्वे एजेंसी को धरातल पर जाकर फीडबैक जुटाने के निर्देश दिए गए। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 15 अगस्त के बाद हरियाणा के हिसार में होने वाले संभावित दौरे की चर्चा करने के साथ ही ऐसी परियोजनाओं पर भी विचार विमर्श किया गया, जिनका लोकार्पण और उद्घाटन उनसे कराया जा सकता है। मोदी से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का चंडीगढ़ आने का कार्यक्रम बन सकता है।

कुछ खास होगा इस बार का चुनाव घोषणा पत्र

बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ाैली के जिला प्रवास कार्यक्रमों के प्रारूप पर चर्चा की गई। लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद जिस तरह कांग्रेसी उत्साह में हैं, उससे कहीं अधिक जोश भाजपाइयों में भरने के तरीकों पर मंथन किया गया। बैठक में विधानसभा चुनाव में उठाए जाने वाले मुद्दे, सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों, नीतियों व चुनावी घोषणाओं को लेकर एक दूसरे की राय जानी गई।

आकर्षक चुनावी घोषणा पत्र पर विचार कर रही बीजेपी

भाजपा इस बार के चुनावी घोषणा पत्र को साल 2014 और 2019 के मुकाबले अधिक आकर्षक बनाने पर विचार कर रही है। 

भाजपा और आरएसएस के बीच बेहतर समन्वय का अंदाजा कई सालों बाद संगठन मंत्रियों को भेजे जाने की तैयारियों से भी लगाया जा सकता है। दरअसल, भाजपा में संगठन मंत्री आरएसएस द्वारा भेजे जाते हैं, जो जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और पार्टी के बीच बेहतर समन्वय का काम करते हैं।

कहां-कहां खाली हैं संगठन मंत्री?

फिलहाल कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान बड़े राज्यों में संगठन मंत्री के खाली पद हैं। पिछले दिनों हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की समन्वय बैठक हुई।

बैठक में हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं और पार्टी की ओर से नियुक्त केंद्रीय प्रभारियों ने आरएसएस की ओर मिले सुझावों को चुनाव तैयारियों में शामिल करने का आश्वासन दिया।

सीएम नायब सिंह सैनी ने बताया कि गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी और भाजपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हलोपा एनडीए का हिस्सा रही है। इसलिए अब विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेगी।

इससे पहले गोपाल कांडा ने केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की थी। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक गोपाल कांडा ने 15 सीटों की मांग रखी थी। हालांकि मुख्य सूत्रों के मुताबिक गोपाल कांडा ने पार्टी के लिए सिरसा और फतेहाबाद जिले की 5 सीटों की मांग रखी थी।

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