राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा गैर जाट पर केंद्रित रखेगी राजनीति, मजबूरी या रणनीति 

विधानसभा चुनाव में सिख पंजाबी को पाले में लाने के लिए सिख पर दांव लगाएगी भाजपा?

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बिट्टू लुधियाना से हार गये थे चुनाव

मोदी सरकार में बनाए गए रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री

पंजाब की तरह हरियाणा में भी भाजपा बिट्टू को सिख चेहरा बनाने की तैयारी में

किरण चौधरी व कुलदीप बिश्नोई की आशाओं पर तुषारापात 

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले बीजेपी अपने गैर जाट वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है। राज्य में जल्द ही राज्यसभा की एक खाली सीट पर चुनाव होना है और इसके लिए ऐसी चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी पंजाब से आने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू या फिर हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को उम्मीदवार बना सकती है। यह सीट दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद खाली हुई है। भाजपा की नई रणनीति से राज्यसभा सीट के लिए लॉबिंग कर रहे कुलदीप बिश्नोई तथा हाल में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई किरण चौधरी की आशाओं पर तुषारापात हो सकता है। जिस अपेक्षा से यह दोनों नेता भाजपा में आए थे उसके अनुरूप उनके मंसुबे सिद्ध नहीं हो रहे।

इस बात की संभावना ज्‍यादा है क‍ि ब‍िट्टू को राज्‍यसभा भेजा जाए, क्‍योंक‍ि नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें जून में अपनी सरकार में मंत्री बनाया है। छह महीने के भीतर अगर उन्‍हें सांसद नहीं बनाया गया तो वह मंत्री नहींं रह सकेंगे।

हरियाणा में बीते दिनों सिख और पंजाबी समुदाय ने राज्य की राजनीति में अपनी हक और हिस्सेदारी की आवाज को जोर-शोर से उठाया है। पंजाब से लगने वाले हरियाणा के जिलों में सिख और पंजाबी समुदाय की अच्छी आबादी है। इस ल‍िहाज से भी ब‍िट्टू को राज्‍यसभा भेजना व‍िधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के ल‍िए फायदेमंद हो सकता है।

सिरसा में बीते दिनों सिख संगठनों की एक बैठक में यह मांग की गई थी कि उनके समुदाय के लोगों को राज्य में 15 से 20 विधानसभा सीटों पर टिकट दिया जाना चाहिए। ब‍िट्टू को राज्‍यसभा भेज कर इन संगठनों की कुछ हद तक हमदर्दी हास‍िल की जा सकती है।

हर‍ियाणा में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा था। इस लि‍हाज से व‍िधानसभा चुनाव में वह फूंक-फूंक कर कदम उठाएगी।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हुआ नुकसान

सीट लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)

कांग्रेस 0 5 28.51 43.67

बीजेपी 10 5 58.21 46.11

जाट नेता को नहीं मिलेगा मौका?

अगर बीजेपी रवनीत सिंह बिट्टू या फिर मनीष ग्रोवर को राज्यसभा में भेजती है तो इससे यह साफ हो जाएगा कि किसी जाट नेता को राज्यसभा जाने का मौका नहीं मिलेगा। राज्यसभा टिकट के दावेदारों में जाट बिरादरी से आने वाले पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ का नाम भी शामिल है। गैर जाट बिरादरी में से हरियाणा बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रामबिलास शर्मा, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल के नाम की भी चर्चा है।

भाजपा के बाकी दावेदारों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामबिलास शर्मा, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, कांग्रेस से भाजपा में आई किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, पूर्व मंत्री विपुल गोयल, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर, पूर्व मंत्री कविता जैन और पूर्व सांसद संजय भाटिया के नाम लिए जा रहे हैं।

हालांकि बीजेपी ने पिछली बार जाट समुदाय से आने वाले सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा था। लेकिन बीते दिनों जब प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए विधायक मोहनलाल बड़ौली का चयन किया गया तब यह बात जोर-शोर से उठी कि बीजेपी 75% आबादी वाले जाट वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। 

हरियाणा में बीजेपी के पिछले 10 साल के शासन में गैर जाट नेता ही मुख्यमंत्री बने हैं। पहले मनोहर लाल खट्टर के पास सीएम की कुर्सी थी और अब नायब सिंह सैनी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया है। इस विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी सैनी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है।

हरियाणा में किस समुदाय की है कितनी आबादी

समुदाय आबादी

जाट 25%

दलित 20%

ओबीसी 40.94%

मुस्लिम 7%

सिख-पंजाबी 8%

कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू?

रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह के पोते हैं। रवनीत सिंह बिट्टू कांग्रेस के टिकट पर पंजाब में कई बार लोकसभा का चुनाव जीते लेकिन इस बार चुनाव से ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

बीजेपी ने उन्हें लुधियाना सीट से टिकट दिया था लेकिन कांग्रेस ने उनके खिलाफ पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को उतार दिया था और बेहद कड़े मुकाबले में रवनीत सिंह बिट्टू को 20 हजार वोटों से हार मिली थी। हार के बाद भी बीजेपी ने बिट्टू को मोदी सरकार में राज्य मंत्री बनाया है। यह जरूरी है कि बिट्टू 6 महीने के भीतर लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक सदन के सदस्य बनें।

इसलिए ऐसी चर्चा है कि हरियाणा की पंजाबी और सिख बिरादरी के वोटों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी बिट्टू को राज्यसभा भेज सकती है। ग्रोवर बोले- नहीं लड़ूंगा विधानसभा चुनाव

मनीष ग्रोवर के नाम की चर्चा इसलिए चली है क्योंकि ग्रोवर ने शनिवार को अचानक ऐलान किया कि वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा। ग्रोवर को पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का करीबी माना जाता है।

हरियाणा में राज्यसभा की कुल 5 सीटें हैं। इनमें से 3 भाजपा के पास हैं जबकि एक सीट पर बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा राज्यसभा पहुंचे थे।

हरियाणा की विधानसभा में 90 विधायक हैं लेकिन विधानसभा में अभी 87 विधायक हैं।

राजनीतिक दल   कितने हैं विधायक

बीजेपी 41

हलोपा 1

निर्दलीय 1

तय मानी जा रही भाजपा की जीत

जयहिंद सेना के संयोजक नवीन जयहिंद ने सभी विपक्षी दलों से अनुरोध किया है कि वे उन्हें अपना साझा उम्मीदवार बनाएं, लेकिन किसी ने अभी इसके लिए स्पष्ट रूप से हामी नहीं भरी है। विपक्षी दलों में बिखराव के चलते इस सीट पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है।

विपक्ष का उम्मीदवार तय नहीं, क्रॉस वोटिंग का खतरा

विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि कांग्रेस राज्यसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि विपक्ष चुनाव मैदान में उतरेगा या नहीं। इसके अलावा विपक्ष के साथ मुश्किल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को लेकर भी है।

पिछले चुनाव में जेजेपी को 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन बीजेपी के कम से कम छह विधायक बगावत की राह पर हैं और ऐसा लग रहा है कि बीजेपी इस हालत में राज्यसभा का चुनाव जीत सकती है क्योंकि चुनाव में क्रॉस वोटिंग होने का पूरा खतरा है।

विपक्षी दलों में साझा उम्मीदवार पर सहमति नहीं

राज्यसभा के चुनाव में विपक्ष के किसी साझा उम्मीदवार के नाम पर सहमति नहीं बनने के बावजूद जननायक जनता पार्टी अपना अलग उम्मीदवार खड़ा करने पर विचार कर रही है।

पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने दो दिन पहले अनौपचारिक बातचीत में इसके संकेत दिए हैं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जयहिंद अभी तक उनके पास किसी तरह का समर्थन प्राप्त करने नहीं आए हैं।

सिख समुदाय हुआ मुखर

सिरसा में सिख समुदाय की बैठक में विधानसभा सीटों पर हिस्सेदारी के अलावा यह भी मांग की गई थी कि राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाए और राज्य सरकार को जिलों में सिख समुदाय के केंद्रों को बनाने के लिए जमीन और पैसा दिया जाना चाहिए। अंबाला में हुई सिख संगठनों की एक बैठक में राज्य सरकार से कहा गया था कि वह हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव जल्दी कराए वरना बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाएगा।

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