शीर्ष नेतृत्व की सख्ती, हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा शैलजा के तेवर पड़े ठंडे  

शैलजा ने आज किया पोस्टर में बदलाव, हुड्डा व उदयभान की फोटो लगाई

हुड्डा ने भी कहा शैलजा पार्टी को मजबूत कर रही है

चौधरी बीरेंद्र सिंह का ऐलान नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, बेटे के लिए मांगी टिकट

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में अक्तूबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन उससे कल तक कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी और कलह सतह पर दिखाई दे रही थी आज उसे पर विराम सा लग गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने शनिवार (27 जुलाई) को अंबाला से ‘कांग्रेस संदेश यात्रा’ शुरू करने की घोषणा की थी। 

उनकी यह यात्रा विधानसभा चुनावों से पहले शहरी क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। बड़ी बात यह है कि यह यात्रा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदय भान द्वारा निकाली जा रही ‘हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा’ से अलग है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं द्वारा सीटों पर दावेदारी जारी है इस बीच हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके अलावा उन्होंने अपने बेटे के लिए टिकट की दावेदारी पेश की है।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने कहा,”मैं खुद चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन मेरे बेटे, जो पहले हिसार से सांसद थे, बृजेंद्र सिंह ने उचाना विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए अपनी उम्मीदवारी दायर की है, जहां से मैं पांच बार और मेरी पत्नी एक बार विधायक चुनी गई हैं। ” बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि उचाना से मेरे बेटे बृजेंद्र सिंह से उपयुक्त उम्मीदवार कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीति में अगर नए लोग आएंगे तो हो सकता है उनकी सोच हमसे बेहतर हो।

कुमारी शैलजा ने अपनी यात्रा का जो पहला पोस्टर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, वह पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को और भी उजागर कर रही था क्योंकि उस पोस्टर पर ना तो भूपेंदर सिंह हुड्डा की तस्वीर थी और न ही प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की या राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया की। 

शैलजा के पहले पोस्टर में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की बड़ी तस्वीर है, जबकि शीर्ष पर पार्टी का चुनाव चिह्न के साथ महात्मा गांधी, अंबेडकर, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की तस्वीर लगाई गई है।

कुमारी शैलजा के गुट में तीन बड़े नेता है, इसकी झलक भी इसी पोस्टर में देखने को मिली थी। पोस्टर में नीचे की ओर शैलजा के अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की तस्वीर लगाई गई है। 

कल तक प्रदेश दोनों कांग्रेस नेता एक दूसरे अलग-अलग अंदाज में बातें कर रहे थे। आज हुड्डा व शैलजा के तेवर ठंडे पड़ते दिखाई दिए। शैलजा ने आज एक नया पोस्टर जारी किया है जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उदयभान की फोटो को जगह दी है। शैलजा ने सोशल मीडिया पर नए पोस्टर को खुद जारी किया है। 

वहीं दूसरी तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यक्रम में अब शैलजा की फोटो भी दिखाई देने लगी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। शैलजा कांग्रेस को मजबूत कर रही है, भले ही उनका फोटो पोस्टर में नहीं है, लेकिन वह काम कांग्रेस के लिए कर रही है।

बता दे की 25 जुलाई को जारी पोस्टर में हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया, भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान का फोटो नदारद था। 

सूत्रों के अनुसार शैलजा के पोस्टर जारी होने के बाद यह बात हाई कमान तक पहुंची। जहां से शैलजा को हाई कमांड से स्पष्ट आदेश आया कि तालमेल बनाकर एकता का प्रदर्शन दिखाया जाए। किसी प्रकार की गुटबाजी का प्रदर्शन न हो। इसके बाद शैलजा‌ के तेवर ठंडे पड़ गए। 27 जुलाई को जारी नए पोस्टर में हुड्डा व उदयभान की फोटो को जगह दी गई। उधर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी हाई कमांड का सख्त आदेश मिला है। परंतु दोनों नेताओं ने अभी तक एक भी स्थान पर मंच सांझा नही किया है।

बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान भी शैलजा ने संदेश यात्रा निकाली थी। तब उनके साथ सुरजेवाला के अलावा किरण चौधरी भी थीं, जो बेटी को टिकट नहीं देने से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। लोकसभा के चुनाव में चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बिजेंद्र सिंह को भी टिकट नहीं दी गई थी। जबकि पिता पुत्र भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए थे। भुपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ में हरियाणा मांगे इंसाफ कैंपन में चौधरी बीरेंद्र सिंह को मार्गदर्शक कहा तो चौधरी बीरेंद्र सिंह ने खुद को एक्टिव पॉलीटिशियन बताया था।

शैलजा ने तब राज्य की करीब 7-8 लोकसभा क्षेत्र को कवर किया था लेकिन रोहतक और सोनीपत को उन्होंने छोड़ दिया था। शैलजा तब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं लेकिन पार्टी ने उन्हें सिरसा से मैदान में उतार दिया, जहां से उन्होंने बंपर जीत दर्ज की।

दलित समुदाय से आने वाली शैलजा की पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा से नहीं बनती है। शैलजा खुद को भी राज्य के मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में देखती हैं। यही वजह है कि दोनों नेताओं की बीच अक्सर तलवारें खिंचती रही हैं। 2019 में भी पार्टी ने हुड्डा के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब 90 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी को 31 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। सत्ताधारी भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं, जिसे 10 सीटों वाली जजपा ने समर्थन दिया था और मनोहर लाल खट्टर दूसरी बार सरकार बना पाए थे। तब सात निर्दलीयों ने भी जीत दर्ज की थी।

बीजेपी ने पोस्टर पर ली थी चुटकी 

शैलजा द्वारा हुड्डा ग्रुप को अनदेखा करने को लेकर भाजपा ने कटाक्ष किया था। उसने कहा था कि अब कांग्रेस एसआरके की जगह एसआरबी बन गई है। इसका मतलब सुरजेवाला शैलजा और बीरेंद्र सिंह है। पहले इस वस्तु को सुरजेवाला शैलजा और किरण चौधरी के नाम से जाना जाता था। भाजपा ने एक और पोस्टर जारी कर कांग्रेस बापू बेटा गुट और एसआरबी गुट बन गई।

हरियाणा में सरकार की एंटी इनकमबेंसी का फायदा मिलने की कांग्रेस को उम्मीद है। कांग्रेस के दिग्गजों को लग रहा है कि उनकी सरकार बन सकती है। इसी कारण दोनों गुट सीएम कुर्सी को लेकर पूरा जोर लगा रहे हैं। इसके जरिए उनकी कोशिश है कि वह यात्रा और कैंपेन के सहारे हाई कमांड का क्रेडिट ले सके। जिसके ज्यादा समर्थक जीतकर आएंगे वहीं सीएम कुर्सी का बड़ा दावेदार माना जाएगा। 

हुड्डा के समारोह में भी देखने को मिल रहे हैं शैलजा के पोस्टर

जिस तरह शैलजा के पोस्टर में परिवर्तन हुआ है ठीक उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यक्रमों में भी शैलजा के फोटो दिखाई दे रहे हैं। बीते कल सिरसा में धन्यवाद दौरें में शैलजा के पोस्टर लगे थे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुटबाजी को लेकर कांग्रेसी शीर्ष नेतृत्व कितना गंभीर है। देखने वाली बात यह होगी कि उसकी सख्ती का हरियाणा में कितना असर होता है?

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