ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 20 जुलाई – ठीक विधानसभा चुनाव से पहले ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान और इस अभियान के तहत हरियाणी की यात्रा पर निकले दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश के सियासी माहौल में बड़ी हलचल मचा दी है। वैसे भी हरियाणा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यात्राओं ने कई बार प्रदेश की सियासत में बड़े फेरबदल किए हैं। कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ तक यात्रा निकाली थी। बेशक ताऊ देवीलाल को बार-बार चुनाव हराने के बाद हुड्डा, पहले ही प्रदेश के बड़े चेहरे बन गए थे। लेकिन उस यात्रा ने हुड्डा को कांग्रेस में सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

अब लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी कामयाबी के बाद प्रदेश में बने कांग्रेस के मोमेंटम को बनाए रखने के लिए दीपेंद्र हुड्डा ने भी यात्रा की रणनीति को अपनाया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से यात्रा की शुरुआत की और सिर्फ इसे कार्यकर्ताओं की नारेबाजी या समर्थकों की भीड़ तक सीमित नहीं रखा। अपने पीछे चल रही हजारों की भीड़ के काफिले से बाहर निकलकर दीपेंद्र कभी दुकानदारों और व्यापारियों के बीच पहुंच जाते हैं तो कभी रेहड़ी वालों के पास। सांसद उनके साथ लंबी-लंबी बातचीत करते हैं और उनको सुनते हैं। एक जगह वो अचानक से एक कॉलोनी में पहुंच गए, जहां पूरी गली सीवरेज के पानी से भरी पड़ी थीं। दीपेंद्र एक ऐसे गरीब परिवार से मिलने पहुंच गए जो फैमिली आईडी की गड़बड़ियों के चलते सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो गया। सांसद दीपेंद्र एक कुम्हार के घर भी गए और गीली मिट्टी से बर्तन बनाते नजर आए। यात्रा के दौरान दीपेंद्र का किसान अवतार भी देखने को मिला। उन्होंने धान के खेत में खुद ट्रैक्टर चलाकर पैड़ काटी। फिर ट्यूबवैल पर गोते मारकर नहाते हुए भी उनकी वीडियो खूब वायरल हुईं।

यात्रा के दौरान दीपेंद्र हुड्डा को अपनी समस्याओं और मांगों से अवगत करवाने वाले लोग भी मिल रहे हैं और उनके साथ सेल्फी-फोटो लेने वाले लोग भी। खासतौर पर युवाओं और महिलाओं में उनका खासा क्रेज देखने को मिल रहा है। आम तौर पर नेताओं की यात्रा के दौरान महिलाएं घरों की छतों से ही नजारे को आंखों में उतारती हैं। लेकिन इस यात्रा को जगह-जगह महिलाएं सड़कों पर रुकवाकर दीपेंद्र के साथ सेल्फी और फोटो लेती हैं। हांसी में तो महिलाओं की तादाद ने सभी को हैरान करके रख दिया। हजारों की तादाद में महिलाओं का काफिला दीपेंद्र की यात्रा के दौरान सड़कों पर निकला।

इन तमाम पहलुओं पर नजर डालने के बाद लगता है कि दीपेंद्र की यात्रा भीड़ के लिहाज से असर छोड़ ही रही है, साथ ही ये उन तबकों के भीतर फिर से कांग्रेस को लेकर जा रही है, जो पार्टी से छिटक गए थे। महिलाओं, एससी, ओबीसी, कच्ची कॉलोनियों के बाशिंदों और गरीब कामगारों को तमाम पार्टियां वोट के लिए साधना चाहती हैं। लेकिन उनसे पर्सनल संवाद स्थापित करना, दीपेंद्र के अभियान को नया रूप देता है। प्रवासी और पुर्वांचली कॉलोनी में दीपेंद्र हुड्डा की हाजिरी भी पूरी तरह से नई पहल है। पानीपत में पुर्वांचलियों के बीच जब दीपेंद्र हुड्डा गए तो वहां के लोगों के अलग ही उमंग देखने को मिली। उन्होंने पहली बार हरियाणा के किसी बड़े नेता को अपने बीच पाया था।

हरियाणा में चुनाव को अभी 2 महीने से ज्यादा समय बाकी है, लेकिन कांग्रेस चाहती है कि बीजेपी लोकसभा में लगे झटके से ना उभर पाए। इसलिए ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान के जरिए कांग्रेस लगातार बीजेपी पर सवालों की बौछार कर रही है। दीपेंद्र हुड्डा की यात्रा ने तो इस अभियान को बीजेपी हाईकमान तक पहुंचा दिया और जब अमित शाह महेंद्रगढ़ में आए तो वो इस अभियान का जिक्र करते नजर आए। अमित शाह के भाषण और सवालों को भी दीपेंद्र कैश करना नहीं भूले और अब वो अपने हर मंच से हुड्डा सरकार के काम गिनवाकर शाह के सवालों का जवाब दे रहे हैं। यानी दीपेंद्र की यात्रा ने बीजेपी को कांग्रेस की पिच पर आकर खेलने के लिए मजबूर कर दिया है।

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