भाजपा को मिला नया ‘कप्तान’ – बडोली के रूप में ‘ब्राह्मण कार्ड’ खेला …….

‘संघ पृष्ठभूमि’ के बडोली को खट्टर और सैनी की सिफारिश पर मिली ‘बागडोर’ 

गैर जाट की लड़ाई में खट्टर-सैनी-बड़ौली रहेंगे ‘योद्धा’

जाटों को ‘लुभाने’ के लिए पूनिया को बनाया प्रभारी

लोकसभा चुनाव में ‘पराजित’ बडोली क्या विधानसभा में भाजपा की ‘नैया’ लगाएंगे ‘पार’?

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को नया कप्तान मिल गया है। मोहन लाल बड़ौली को नए प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मोहन लाल बड़ौली राई से विधायक है। बड़ौली ने मुख्यमंत्री नायब सैनी का स्थान लिया है, सीएम बनने के बाद भी सैनी ये पद संभाले हुए थे। राज्य में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले ये अहम फैसला लिया गया है। भाजपा महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। 

हरियाणा में इसी वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसे देखते हुए भाजपा फिर सत्ता में आने के लिए तैयारी कर रही है। पार्टी ने मंगलवार को मोहनलाल को हरियाणा का भाजपा अध्यक्ष बनाकर ब्राह्मण कार्ड खेला है। बड़ौली पहले मनोहर लाल खट्टर और अब सीएम नायब सैनी के करीबी हैं। 

इससे पूर्व बीजेपी ने हरियाणा चुनाव की दृष्टिगत राजस्थान के जाट नेता सतीश पूनिया को अपना प्रभारी बनाया, वही सह प्रभारी की जिम्मेदारी सुरेंद्र सिंह नागर को बनाया था।

हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका भी निभा रहे थे। इसी साल मार्च में जब नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर की जगह हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया था, उस समय सैनी प्रदेशाध्यक्ष भी थे। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से यह तय माना जा रहा था कि राज्य में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। इसी बीच मंगलवार को भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने विधायक मोहन लाल बडौली को तत्काल प्रभाव से हरियाणा प्रदेश भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जून को कहा था कि भाजपा आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में अकेले लड़ेगी। साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि पार्टी लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में सत्ता में आएगी।

भाजपा 2014 से हरियाणा में सत्ता में है, लेकिन कांग्रेस ने हाल के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। राज्य की 10 में से पांच सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की। मौजूदा विधायक बड़ौली सोनीपत लोकसभा सीट से करीबी मुकाबले में अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी से लोकसभा चुनाव हार गए थे। अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि मोहनलाल बडोली जो लोकसभा चुनाव में परास्त हो गए थे, क्या वह अपने बलबूते प्रदेश में भाजपा की नैया पार लगा सकते हैं?

बड़ौली जाति से ब्राह्मण हैं और उनकी नियुक्ति गैर जाट समुदाय के बीच अपने आधार को मजबूत करने के भाजपा के प्रयासों को रेखांकित करती है। भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड खेलकर विधानसभा चुनावों को लेकर भी अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है। इस नियुक्ति से स्पष्ट है कि भाजपा गैर-जाट की राजनीति पर ही आगे चलने वाली है। राज्य में जाट समुदाय के अधिकांश मतदाताओं पर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खास प्रभाव माना जाता है।

जाट इस उत्तरी राज्य में सबसे बड़ी जाति है। हालांकि जाति के आधार पर उनकी जनगणना संबंधी कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन ऐसा अनुमान है कि वे राज्य की आबादी के करीब 27 प्रतिशत हैं। राज्य में ब्राह्मण भी अच्छी खासी संख्या में हैं और हुड्डा उन्हें भी लुभाते रहे हैं।

क्या ओबीसी, ब्राह्मण गठजोड़ से होगा बेड़ापार ?

मुख्यमंत्री सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं जबकि उनके पूर्ववर्ती और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से हैं और अब नए अध्यक्ष के रूप में एक ब्राह्मण नेता को जिम्मेदारी दी गई है। राज्य में कांग्रेस का सामना करने के लिए भाजपा एक मजबूत सामाजिक समीकरण के साथ चुनाव में उतरने की कोशिशों में है।

पुराने संघी मोहनलाल की नियुक्ति पूर्व सीएम व केंद्रीय बिजली तथा आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल की सिफारिश पर हुई है। सीएम नायब सिंह सैनी के गत दिवस के नई दिल्ली के दौरे के कारण भी अब स्पष्ट हो गए हैं। नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के बाद जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि दिल्ली दौरे के दौरान सीएम ने केंद्रीय नेतृत्व के साथ प्रदेशाध्यक्ष को लेकर ही चर्चा की।

बड़े मंथन के बाद तय हुआ बड़ौली का नाम

सूत्रों का कहना है कि नये प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पार्टी में कई दिनों से मंथन चल रहा था। पार्टी के स्तर पर जाट, ब्राह्मण, पंजाबी और एससी कैटेगरी में से किसी एक को प्रधान बनाने पर विचार-विमर्श हुआ। जातिगत व क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत पार्टी नेतृत्व ने ब्राह्मण कार्ड खेला है। पंजाबी कैटेगरी में पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, जाट में राज्यसभा सांसद सुभाष बराला व एससी में कृष्णलाल पंवार का नाम चर्चाओं में था। सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की सिफारिश पर मुहर लगाते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ौली के नाम को हरी झंडी दी।

बीजेपी को लोकसभा चुनाव में जाट बहुल क्षेत्र में कोई खास सफलता नहीं मिली, जिसके बाद पार्टी को शायद नॉन जाट का समीकरण का ही अच्छा लगा। इससे ये भी स्पष्ट हो रहा है कि बीजेपी जीटी रोड बेल्ट को साधने की जुगत में लगी है, क्योंकि 2014 और 2019 में बीजेपी को हरियाणा की सत्ता में लाने में इस बेल्ट ने अहम भूमिका अदा की थी। शायद पार्टी ने इसी को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव से पहले सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ही जीटी रोड बेल्ट से बनाए हैं।

ये है बड़ौली का राजनीतिक सफर

मोहन लाल बड़ौली वर्ष 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में राई से हरियाणा विधान सभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1995 में मंडल अध्यक्ष (मुरथल) का पद संभाला। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान जिला परिषद में चुने गए थे।

2019 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और 2,663 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। वह इस राई सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले पहले बीजेपी उम्मीदवार हैं। मोहन लाल बड़ौली 1989 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं ।

व्यक्तिगत जीवन

मोहन लाल का जन्म 1963 में हरियाणा के सोनीपत जिले की राई तहसील के बड़ौली गांव में हुआ था। उनके पिता, कली राम कौशिक, अपने गांव में एक प्रतिष्ठित कवि थे और जांटी, सोनीपत के कवि पंडित लखमी चंद की रागनियों के शौकीन थे। वह एक किसान और व्यापारी हैं।

मोहन लाल ने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई जीएसएसएस, खेवड़ा, सोनीपत से पूरी की। इसके बाद उन्होंने सोनीपत के बहालगढ़ चौक के पास कपड़ा मार्केट में एक दुकान चलाई।

राजनीतिक करियर

मोहनलाल 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। वह सोनीपत क्षेत्र के बहुत कम भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं में से थे। इनेलो राज के दौरान मुरथल से जिला परिषद का चुनाव जीतने वाले वह पहले भाजपा उम्मीदवार थे।

2019 में बड़ौली को हरियाणा विधानसभा चुनाव

मोहनाल लाल को 2019 में सोनीपत के राई निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में नामित किया था। वह इस सीट पर जीत हासिल करने में सक्षम रहे, इसे कांग्रेस के लिए एक निश्चित सीट माना जाता था।

2020 में बडौली को भाजपा सोनीपत का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके अलावा, 2021 में, उन्हें प्रदेश महामंत्री के पद के साथ हरियाणा भाजपा की कोर टीम में शामिल किया गया। 

आवास पर खुशी का माहौल

उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने से राज्य के कार्यकर्ताओं में जोश दिखाई दे रहा है। सोनीपत के सेक्टर-15 स्थित आवास पर बड़ौली की पत्नी गीता कौशिक को मिठाई खिलाकर खुशी जताई जा रही है। घर पर बधाई देने के लिए कार्यकर्ताओं का तांता लगा हुआ है।

मिला मेहनत का फल

बड़ौली को पार्टी और संगठन के लिए की गई मेहनत का फल मिला है। नायब सिंह सैनी व बड़ौली ने कई साल एक साथ काम किया था। भाजपा किसान मोर्चा में नायब सिंह व मोहन लाल बड़ौली पदाधिकारी थे।

प्रधानगी के साथ चुनौतियां भी

मोहनलाल बड़ौली के सामने सबसे बड़ी और पहली चुनौती आगामी विधानसभा चुनावों की रहेगी। लोकसभा के चुनाव सीएम नायब सिंह सैनी के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए लड़े गए। भाजपा में एक नेता एक पद का सिद्धांत बना हुआ है। 12 मार्च को नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनते ही पार्टी का नया प्रधान बनना तय हो गया था। लेकिन लोकसभा चुनावों की घोषणा के चलते पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष को नहीं बदला। 2014 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान प्रो़ रामबिलास शर्मा प्रदेशाध्यक्ष थे। 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सुभाष बराला प्रदेशाध्यक्ष थे। बराला की जगह ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया और फिर धनखड़ की जगह नायब सिंह सैनी को यह जिम्मेदारी सौंपी थी।

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