हरियाणा में क्यों उठा रहे है अपने ही नेता बीजेपी के खिलाफ आवाज?

नहीं हो रही जन सुनवाई आदित्य चौटाला का आरोप, हरियाणा में अफसरशाही हावी, डीसी एसपी को दे दो टिकट 

राव इंद्रजीत ने कैबिनेट मंत्री न बनाने पर पीड़ा का किया इजहार, गुटबाजी को स्वीकारा 

लोकसभा परिणाम के बाद भाजपा प्रत्याशियों ने अपनी पार्टी पर लगाया था भीतरघात का आरोप

खट्टर अपने ‘चेले’ सैनी से ‘नाराज’ कार्यक्रम में फोटो नहीं लगवाया, डमी छवि को तोड़ रहे हैं सीएम 

क्या जाट वोट में सेंध लगा पाएंगे पूनिया?

अशोक कुमार कौशिक 

लोकसभा चुनावी नतीजे व गुटबाजी का असर अब बीजेपी में दिखने लगा है। उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन के बाद बीजेपी में बयानबाजी तेज होने लगी है। यूपी बीजेपी में भीतरघात के आरोपों के बाद हरियाणा बीजेपी सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी होने की भी आवाज उठने लगी है। 

लोकसभा सीट जीतने के बाद गुड़गांव से बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि, हरियाणा बीजेपी का साथ उन्हें नहीं मिला। केंद्र में कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने पर भी उनका दर्द छलका। इससे पहले सिरसा के भाजपा नेता आदित्य चौटाला ने हरियाणा में ब्यूरोक्रेसी हावी होने का खुला आरोप लगाकर सबको चौंका दिया। उनका यह बयान तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर और वर्तमान सीएम नायब सिंह सैनी की शासन कार्यशैली पर सीधा प्रहार है।

नायब सिंह सैनी द्वारा मनोहर लाल खट्टर के फैसले बदले जाने पर उनके अहम को चोट लगी है। करनाल जनसंवाद कार्यक्रम में इसी बात से दुखी होकर खट्टर ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की फोटो भी नहीं लगाई। मुख्यमंत्री सैनी भी कार्यक्रम में उपस्थिति नहीं थे। इससे लगता है कि मनोहर लाल खट्टर की अभी अकड़ गई नहीं है, वह अभी भी हरियाणा में अपने आप को सर्वेसर्वा मानते हैं।

सीएम नायब सैनी की शैली मधुर है, जबकि खट्टर की जुबान में रस नहीं है। उन्होंने प्रदेश में भाजपा का बेड़ा गर्क करने में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने अपनी अकड़ के कारण पार्टी को भले ही रसातल में पहुंचा दिया पर कभी अपने निर्णय को गलत नहीं माना। प्रदेश जनता के लिए विकसित किए गए ‘पोर्टल’ उनकी विफलता के सबसे बड़े प्रमाण है। इनमें से पीपीपी और प्रॉपर्टी आईडी ने भाजपा व जनता के बीच गहरी खाई पाट दी। सैनी ने खट्टर द्वारा लिए गए अनेक फैसले बदले। फैसले बदले जाने का अर्थ यह है कि वह वास्तव में गलत थे, जो अब बदले जा रहे हैं। नए सीएम नायब सिंह सैनी राज्य में डैमेज कंट्रोल के प्रयास में जुटे हैं।

लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ भाजपा का आपसी विरोध अब सार्वजनिक है। दूसरी पार्टियों से दीगर सिद्धांतवादी पार्टी बताने वाली भाजपा में गुटबाजी के आरोप लोकसभा के प्रत्याशियों ने लगाए। सिरसा से प्रत्याशी अशोक तंवर, हिसार से प्रत्याशी चौधरी रणजीत सिंह, गुड़गांव से राव इंद्रजीत सिंह तथा सोनीपत से प्रत्याशी ने भीतरघात के आरोप लगाए।

विधानसभा चुनावों में एसपी और डीसी को ही टिकट दे दे

भाजपा की कार्यशैली के एकदम विपरीत ताजा नाराजगी आदित्य चौटाला की सामने आई है। जिलों के डीसी-एसपी की कार्यशैली से नाखुश आदित्य देवीलाल चौटाला ने साफतौर पर कहा है कि लोगों की सुनवाई नहीं हो रही। दरअसल, शुक्रवार को सिरसा में ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग थी। राज्य मंत्री बिशंभर वाल्मीकि इसमें बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, विधानसभा चुनावों में ‘एसपी और डीसी को ही टिकट दे देना चाहिएं’। ये चुनाव लड़ें। उन्होंने कहा कि नेताओं के पल्ले कुछ नहीं बचा है। भाजपा कार्यकर्ता चीखें मार रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

दूसरी बार भाजपा में कोई नेता लीक से हटकर खुलेआम ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ बोला है। इससे पहले मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में नारनौल जिला ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में तत्कालीन जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी। तब कमेटी के की अध्यक्षता जेपी दलाल कर रहे थे। 

सिरसा में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए आदित्य ने कहा कि एक मुकदमे में मुदई को ही उसी एफआईआर में मुजरिम बना दिया। इससे बड़ी अंधेरगर्दी नहीं हो सकती। इन लोगों से कैसे न्याय की उम्मीद की जा सकती है। 

हलके में जाकर क्या मुंह दिखाएं

अपने पूर्वज ताऊ देवी लाल के पदचिन्हों पर पर चलने वाले आदित्य देवीलाल ने कहा कि हम नहीं बोलेंगे तो और कौन बोलेगा। वर्करों की ही अगर आवाज नहीं उठाएंगे तो फिर हलके में क्या मुंह लेकर जाएंगे। लोगों की आवाज तो उठानी ही पड़ेगी। आदित्य सिरसा में भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। 2019 में उन्होंने डबवाली हलके से भाजपा टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। आदित्य डबवाली से ही चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रहे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं व आम लोगों की सुनवाई नहीं होने से वे काफी खफा हैं।

केंद्र में कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने पर ‘राव राजा’ का छलका दर्द 

हिसार बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सीएम पद को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि पंचकूला में अमित शाह द्वारा भाजपा का सीएम चेहरा घोषित हो चुका है। नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। उनकी यह बात भले ही हाई कमान से अभी सीधा टकराव ने लेने का विराम हो पर उनका पूरा भाषण उनके इरादों की झलक दिखलाता है। 

उन्होंने अपना भाषण अंग्रेजी में शुरू किया बाद में हिंदी में बोलना यह कर शुरू किया मैं अंग्रेजी में भाषण दूंगा तो भाजपा में मेरे खिलाफ शिकायत होगी। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पूरा भाषण हिंदी में दिया। 

राव इंद्रजीत सिंह ने इंसाफ मंच के कार्यक्रमों पर कहा कि यह सामाजिक मंच है, राजनीतिक नहीं इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इंसाफ मंच ने कोविड के दौरान भी काम किया। यह भविष्य में भी सामाजिक कार्य करता रहेगा। 

उन्होंने कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने पर पीड़ा का इजहार करते हुए कहा कि जी हां रोष तो है ही, सबसे पुराना और बार-बार राज्य मंत्री बनने वाला मैं ही हूं। मैं पांच बार राज्य मंत्री रहा हूं जो शायद इतिहास में पहली बार हुआ है। इसी वजह से लोगों में नाराजगी है। गुटबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि मैं 34 साल कांग्रेस में रहा वहां भी गुटबाजी थी और भाजपा में भी है। यह भविष्य में कम होने की बजाय बढ़ सकती है। 

राव ने कहा कि नीट में हरियाणा के एक सेंटर में 7 युवाओं के 720 में से 720 नंबर आ गए। सरकार को नीट को लेकर कुछ न कुछ करना पड़ेगा नहीं तो युवाओं का सरकार से भरोसा खत्म हो जाएगा। हरियाणा में कई परीक्षाओं के पर्चे लीक हुए हैं, उन पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। जहां इस तरह की हरकत होती रहेगी, इंद्रजीत सिंह की आवाज बुलंद रहेगी। इससे पहले चुनाव जीतने के बाद उन्होंने दक्षिण हरियाणा से मुख्यमंत्री होने की बात कही थी। राव इंद्रजीत सिंह के इन बयानों में नाराजगी स्पष्ट दिखाई देती है।

प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारी बदले

हरियाणा में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने डॉ. सतीश पुनिया और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर को क्रमशः हरियाणा भाजपा का प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्त किया है। सतीश पुनिया, जो पहले राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे, त्रिपुरा के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब की जगह लेंगे।

इन नियुक्तियों का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि विधानसभा क्षेत्र स्तर पर हालिया मतदान डेटा हरियाणा में प्रतिस्पर्धी दौड़ का सुझाव देता है। यदि आज चुनाव होते हैं, तो डेटा एक विभाजित घर का संकेत देता है, जिसमें विपक्षी इंडिया गुट के प्रमुख गठबंधन के रूप में उभरने की संभावना है। यह भविष्यवाणी 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद आई है, जहां भाजपा के प्रदर्शन में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई थी। पार्टी की सीटों की संख्या 2019 में प्रमुख स्थिति से घटकर हालिया चुनावों में केवल पांच सीटें हासिल कर पाई, जबकि कांग्रेस ने अपनी पांच सीटों के साथ इसकी बराबरी कर ली। इसके अलावा, बीजेपी का वोट शेयर 58.21% से घटकर 46.11% हो गया, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 28.51% से बढ़कर 43.67% हो गया।

क्या सतीश पूनिया कांग्रेस के जाट बैंक में सेंध लगा पाएंगे?

हरियाणा में तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी करते हुए बीजेपी के वोट बैंक में जबर्दस्त सेंध लगाई थी। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी को हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सतीश पूनिया की असली चुनौती हरियाणा में बीजेपी वापसी की है। 

सियासी जानकारों का कहना है कि हरियाणा में भी चुनाव में जातिगत आंकड़ा काफी मायने रखता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा में जाट वोट बैंक का दबदबा रहता है। क्या सतीश पूनिया कांग्रेस के जाट बैंक में सेंध लगा पाएंगे? यह बड़ा सवाल है। हरियाणा में, ओबीसी मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 30% है, इसके बाद जाट लगभग 25% और अनुसूचित जाति (एससी) लगभग 20% हैं। ओबीसी समुदाय पर प्रभावी ढंग से निशाना साधने के लिए बीजेपी ने हरियाणा चुनाव के लिए सतीश पुनिया को प्रभारी नियुक्त किया है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, पार्टी की रणनीति को आकार देने और जमीन पर क्रियान्वयन में पुनिया और नागर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

पुनिया व नागर के सामने भाजपा नेताओं की गुटबाजी व नाराजगी बड़ी चुनौती 

नए प्रभारी और सह प्रभारी के सामने हरियाणा भाजपा में तेजी से बढ़ रही गुटबाजी और नेताओं की नाराजगी को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। भाजपा अब सिद्धांत वाली पार्टी नहीं दिखाई दे रही। भाजपा में आप दूसरे दलों से आए नेताओं की भरमार है। समय-समय पर उनके नेताओं की महत्वाकांक्षा अब खुलकर सामने आने लगी है। लोकसभा चुनाव के अंदर हुआ भीतरघात पर भी नए पदाधिकारीयों को मंथन करना होगा।

डमी छवि से बाहर निकल रहे सैनी, जनसंपर्क को विस्तार दे जता रहे खुद को जनहितैषी

 लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने राज्य के तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिहं सैनी को सीएम पद दिया था और मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। खट्टर फिलहाल पीएम मोदी की कैबिनेट में मंत्री है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद से नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री आवास में दरवाजा खुला रखने की नीति अपनाई। सीएम ने पहले भी कहा था कि मुझे हमेशा लोगों से मिलना और उनकी शिकायतों का समाधान करना अच्छा लगता है। उनका दावा है कि वह पूरे दिन में 6 से 8 हजार से ज्यादा लोगों से मिलते हैं। वह आधी रात को भी जनता के लिए मौजूद हैं। उनके इस दावे को वेरिफाई करने के लिए कई बार तो लोग बिना किसी काम के सीएम आवास पहुंचकर दरवाजे खटखटाने लगते हैं। 

सुनना तो जरूर चाहिए। इसलिए बहुत से लोगों को लगता है कि सैनी उनका बंदा है । बीजेपी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव एक चुनौती माने जा रहे हैं, आम चुनाव में पार्टी को झटका लगा है। हालांकि बीजेपी और कांग्रेस ने राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर बराबर-बराबर जीत हासिल की, लेकिन पार्टी के लिए पिछला विधानसभा चुनाव भी बड़ी मुश्किल वाला रहा था।

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