हरियाणा की राजनीति में नई हलचल ….. पुराने प्रतिद्वंदियों का ‘छुप छुप’ कर ‘भरत मिलाप’ 

खट्टर से ‘ताड़ित’ भाजपा नेताओं की हुड्डा के साथ ‘गलबहियां’

‘वारिसों’ को विधानसभा चुनाव में स्थापित करने की ‘कवायद’ 

अरविंद शर्मा, रमेश कौशिक, राव इंद्रजीत सिंह चौधरी धर्मवीर सिंह को वारिसों की चिंता 

आरती राव की ‘ताजपोशी’ के लिए राजनीति में ‘करिश्मा’ कर सकते हैं ‘राव राजा’

भाजपा से टिकट के लिए राव इंद्रजीत सिंह  विरोधी भी सक्रिय 

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं चुनाव से पूर्व दक्षिणी हरियाणा की राजनीतिक ‘हलचल’ बढ़ने लगी है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद ‘अहम’ रहे दक्षिणी हरियाणा में इस बार नई ‘सुगबुगाहट’ के संकेत मिल रहे हैं। कल तक सीम की कुर्सी के लिए जिन्होंने कांग्रेस को ‘तिलांजलि’ दे दी थी, अब वह अपने ‘वारिसों’ की ताजपोशी के लिए अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी से हाथ मिलाने में गुरेज नहीं कर रहे। जिस ‘द्वंद्व’ व ‘चाह’ के चलते उन्होंने कांग्रेस का त्याग किया था वही ‘ईच्छा’ अब भाजपा में न केवल अधूरी रह गई अपितु उन्होंने खट्टर से ‘मात’ भी खाई।

कहते हैं समय बड़ा बलवान है। राजनीति में ना कोई स्थाई शत्रु होता है न स्थाई मित्र। कल तक जो अपने राजनीतिक ‘वजूद’ को लेकर सार्वजनिक रूप से एक दुसरे को ‘कोसते’ थे आज वह अपनी अगली पीढ़ी की राजनीति में ‘एंट्री’ के कारण ‘हमराह’ बनते दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा की राजनीति में राव इंद्रजीत सिंह, अरविंद शर्मा, चौधरी धर्मवीर सिंह तथा रमेश कौशिक भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दूरियां बनाकर कांग्रेस को छोड़कर गए थे। 

सूत्रों के अनुसार इस लोकसभा चुनाव में राव राजा ने कोसली से दीपेंद्र सिंह हुड्डा को जीतने के लिए अपना अंदरुनी सशर्त समर्थन दिया था। समर्थन की बदौलत दीपेंद्र सिंह हुड्डा कोसली से मात्र दो मतों से जीत कर निकले। जबकि 2019 के चुनाव में उन्हें भारी मतों से शिकस्त मिली थी। 

सूत्र बताते हैं कि राव राजा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच आरती राव को लेकर ढाई तीन साल पूर्व में भी एक रेवाड़ी के राजनेता द्वारा समझौते के प्रयास किए गए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अपनी बेटी आरती राव के लिए अंदरुनी हाथ मिला लिया गया। समझौते के तहत भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री तथा आरती राव को भविष्य में उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। विधानसभा चुनाव में एक दूसरे की वारिशों के लिए दोनों दिग्गज अपना ‘तालमेल’ रखेंगे। 

इसके बाद से ही चुनाव जीतने के बाद राव राजा ने घोषणा कर दी थी कि आरती राव ‘हर हालत’ ने चुनाव लड़ेगी। वह यही नहीं रुके उन्होंने यह भी घोषणा कर दी कि दक्षिणी हरियाणा से मुख्यमंत्री होगा? उनके यह दोनों बयान सोची समझी ‘रणनीति’ से परिपूर्ण थे। इसके बाद रोहतक भाजपा मुख्यालय में उन्होंने कमर दर्द के बहाने दूरी बनाकर अपनी नाराज़गी दिखाई। 

लोकसभा चुनाव के बाद में जब अरविंद शर्मा बुरी तरह मात खा गए तो उन्हें भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हाथ मिलाने अपना हित दिखाई दे रहा है। अपने पुत्र को राजनीति में लाने की चाह रखने वाले शर्मा जी की भूपेंद्र सिंह हुड्डा से गुपचुप मुलाकाते हुई बताते है।

2014 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में अलग-अलग स्थान से कई मुख्यमंत्री घोषित किए गए थे। पर चुनाव में अपार सफलता के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने संगठन में उनके साथ काम कर चुके मनोहर लाल खट्टर की सीएम के रूप में ताजपोशी कर दी। मोदी के इस कदम से सभी ‘अवाक’ रह गए। अंदर कसक रखने के बावजूद व किसी प्रकार का विरोध नहीं कर पाए। बता दे की 2014 के चुनाव में पंडित रामबिलास शर्मा, राव इंद्रजीत सिंह, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, कृष्णपाल गुर्जर व अनिल विज को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया। 

2014 से 2024 तक मनोहर लाल खट्टर एकक्षत्र ‘मनमर्जी’ से राज्य किया। जैसे कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने विरोधियों को चुन-चुन कर ठिकाने लगाया इसी प्रकार मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा में अपने समानांतर सभी नेताओं को एक-एक करके दरकिनार कर दिया। खट्टर ने कुछ ऐसी नीतियां प्रदेश में लागू कर दी जिसकी वजह से प्रदेश की जनता भाजपा व सरकार से दूर होती चली गई। 

जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को आभास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए मनोहर लाल खट्टर की जगह उनके डमी नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने चुनाव में उतरने से पूर्व अपनी सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया। उसने सोचा था कि गठबंधन तोड़ने से जाटों में नाराजगी का थोड़ा असर कम हो जाएगा। पर उनका यह प्रयोग विफल हो गया। रही सही कसर पंचकूला में अमित शाह ने पूरी कर दी उन्होंने घोषणा कर दी कि अगले चुनाव के बाद यदि भाजपा जीत कर आती है तो नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री होंगे।

उधर विधानसभा टिकट को लेकर पुराने भाजपाई ‘पूरी तरह सक्रिय’ नजर आ रहे हैं। यह वही पुराने भाजपाई हैं जिनकी टिकट पिछली विधानसभा चुनाव में कट गई थी। इसके साथ तीन बार भाजपा के सांसद रहे चौधरी धर्मवीर सिंह ने किरण चौधरी की भाजपा में एंट्री के बाद भविष्य में किसी प्रकार के चुनाव में न लड़ने का ऐलान किया है।  दक्षिणी हरियाणा का ‘राजनीतिक पारा’ आजकल ‘उफ़ान’ पर है जो आगामी विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।

दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के दो खेमे हैं। इनमें से एक केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का है तो दूसरा खेमा विरोधी है। जिसमें विधायक सत्य प्रकाश जरावता, पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, पर्यटन निगम के अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद यादव, सिंचाई मंत्री डॉ अभय सिंह यादव व पूर्व सांसद सुधा यादव शामिल हैं।

यहां बता दें कि राव नरबीर सिंह एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि गुड़गांव में जो भी अधिकारी आते हैं वह जनता को दोनों हाथों से लूट कर अपना घर भरते हैं। अधिकारियों में स्थानीय प्रतिनिधियों का कोई खौफ नहीं है। वह राव इंद्रजीत का नाम लिए बिना उन पर परोक्ष हमला कर रहे हैं। राव नरबीर ने यहां के अफसर की तुलना अहमद शाह अब्दाली से करते हुए उन्हें लुटेरा तक बता दिया। उनका कहना है कि उनका 40 साल का राजनीतिक अनुभव है कि अफसर से कैसे काम लिया जाता है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि अहीरवाल इलाके के पांच जिलों महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, रोहतक व भिवानी से संबंधित एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के परिवार ‘रामपुरा हाउस’ का वर्चस्व रहा है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद 2014 – 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राव इंद्रजीत सिंह को टिकट वितरण में पूरी ‘तवज्जों’ दी जिसकी वजह से राव अपने कुछ समर्थकों को जिताने तो कुछ को ‘निबटाने’ में पूरी तरह कामयाब रहे। उनकी बदौलत दक्षिणी हरियाणा में भाजपा उम्मीदवारों के जीत के बलबूते पर 2014 में भाजपा के पक्ष में जबरदस्त ‘लहर’ बनी। इसके साथ पहली बार भाजपा ने अपने ‘बलबूते’ सरकार बनाई। 

यहां यह भी बता दे कि भाजपा इस बार भिवानी महेंद्रगढ़ से धर्मवीर की जगह किसी अन्य नेता को टिकट देना चाहती थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने धर्मवीर की ‘जीत की गारंटी’ पार्टी नेतृत्व को दी थी। अटेली, नारनौल, नांगल चौधरी व महेंद्रगढ़ विधानसभाओं में चौधरी धर्मवीर को मिली ‘लीड’ ने राव राजा की राजनीतिक ‘धाक’ पर मोहर लगा दी। वैसे भिवानी व दादरी जिले में भाजपा के राजनेताओं का ‘कौशल’ लोकसभा चुनाव में ‘धरा’ रह गया। अब वही चौधरी धर्मवीर सिंह अपनी विरोधी किरण चौधरी की भाजपा में एंट्री के बाद ऐलान कर रहे हैं कि भविष्य में वह किसी प्रकार का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके ‘ऐलान’ के बाद दक्षिणी हरियाणा में भाजपा में ‘रस्साकसी’ होने का स्पष्ट संकेत है। यह भी याद रहेगी चौधरी धर्मवीर सिंह और भूपेंद्र हुड्डा में गहरी मित्रता है।

अब ‘राव राजा’ तथा उनके ‘अभिन्न’ चौधरी धर्मवीर सिंह व रमेश कौशिक के साथ रोहतक लोकसभा से पूर्व सांसद अरविंद शर्मा की ‘नाखुशी’ और विरोधियों की ‘सक्रियता’ से दक्षिणी हरियाणा में ‘उबाल’ आता दिखाई दे रहा है। यह उबाल भविष्य के विधानसभा चुनाव में बड़ा ‘असरकारक’ बन सकता है समय ।

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