श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद व महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयानः

चंडीगढ़, 28 जून – हरियाणा विधानसभा चुनाव के 90 दिन पहले भाजपा सरकार ने कौशल विकास निगम के माध्यम से
सिर्फ 2,800 ‘‘दिहाड़ी JBT अध्यापक’’ लगाने का नया षडयंत्रकारी इश्तिहार निकाला है। यह हरियाणा के युवाओं को बरगलाने और बेवकूफ बनाने का नया भाजपाई शगूफा है।

भाजपा सरकार के युवाओं को ‘‘बरगलाओ व बेवकूफ बनाओ अभियान’’ का पर्दाफाश करने का समय आ गया है। हमारी चुनौती है कि भाजपा सरकार JBT अध्यापक भर्ती के निम्नलिखित पहलुओं का जवाब देः-

हरियाणा में आखिरी बार साल 2012 में कांग्रेस सरकार ने 12,731 JBT अध्यापकों की पक्की नौकरी लगाई।
12 साल से (साल 2012-2024 तक) भाजपा सरकार ने एक भी JBT अध्यापक क्यों नहीं लगाया?

भाजपा सरकार ने प्राईमरी टीचर भर्ती के लिए HTET एग्ज़ाम करवाया। 7,50,000 युवाओं ने ₹1,000 जमा करवा यह एग्ज़ाम दिया ताकि वो JBT टीचर की नौकरी ले सकें। 7,50,000 बच्चों से भाजपा सरकार ने 75 करोड़ रुपये वसूल लिए। पर 12 साल से एक JBT टीचर भी क्यों नहीं लगाया? बच्चों से वसूले 75 करोड़ किसकी जेब में गए?

5 सितंबर, 2019 को ‘किराना देवी केस’ में भाजपा सरकार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने JBT अध्यापकों की भर्ती न करने के लिए फटकार भी लगाई, और ₹25,000 जुर्माना भी लगाया। भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में एफिडेविट देकर कहा कि सरकार 9,670 JBT टीचर्स जल्द ही लगाएगी। 2019 से 2024 तक तो JBT टीचर की वैकेंसी बढ़कर 11,000/12,000 से भी अधिक हो गई होंगी।

फिर 12,000 से अधिक JBT टीचर के पद खाली क्यों हैं? इतनी वैकेंसी होने के बाद भी दिहाड़ी पर कौशल निगम के माध्यम से केवल 2,800 JBT टीचर ही क्यों लगाए जा रहे हैं?

भाजपा सरकार के 2021 के विधानसभा सत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा के पटल पर बताया कि अब JBT टीचर नहीं लगाए जाएंगे। 7 नवंबर, 2022 को हरियाणा की भाजपा सरकार ने ‘नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन’ (NCTE) को लिखकर कहा कि B.Ed. और D.Ed. कोर्स बंद कर दिए हैं। अगर भाजपा सरकार और उसके मुख्यमंत्री खुद विधानसभा के पटल पर यह कह रहे हैं कि JBT टीचर नहीं लगाए जाएंगे, तथा भाजपा सरकार NCTE को लिखकर JBT खत्म करने की बात कह रही है, तो क्या फिर कौशल विकास निगम के माध्यम से 2,800 JBT टीचर की दिहाड़ी पर नियुक्ति केवल युवाओं को बरगलाने व बेवकूफ बनाने का भाजपाई शगूफा है?

साल 2015 में भी भाजपा सरकार ने 3 से 8 महीने के लिए JBT टीचर दिहाड़ी पर लगाए व बाद में उन्हें नौकरी से निकाल दिया। क्या अब फिर चुनाव को देखते हुए दिहाड़ी पर JBT अध्यापक लगाकर चुनाव के बाद उन्हें बर्खास्त करने का षडयंत्र किया जा रहा है?

कौशल विकास निगम के माध्यम से दिहाड़ी पर JBT टीचर लगाने का क्या औचित्य है? क्या यह सही नहीं कि कौशल विकास निगम के माध्यम से इन कच्ची नौकरियों में 100-100 किलोमीटर दूर पोस्टिंग की जाती है, न समय पर तनख्वाह मिलती, न पूरी तनख्वाह मिलती, और एक साल की कच्ची नौकरी के बाद फिर बच्चों को फिर रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।

तो फिर युवाओं का यह शोषण क्यों? भाजपा सरकार जवाब दे।

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